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इसी प्रकार यहां इनके अधिकार करी बात कही गई हैं । नारी को यह अधिकार है कि यदि उसके साथ मिसबहैर् यानी छेड़छाड़ हो तो र्ह उस व्यसति को दस चप्पल मार सकती है ..। र्ह दंड दे सकती है ..। यह अधिकार उसे समाज ने दिया है । समाज भी उसे उचित मानता है । नारी अपने स्ादभमान और इज्ज़त करी रक्ा के लिए र्ह दंड अथर्ा ताड़ना दे सकती है ।
जिले के सभी नागरिकचों पर लागू करता है ।
ऐसे में यह देखा जाये कि तुलसीदास द्ारा ्वशण्थत इन पांच वर्गों को किसने अधिकार दिया है ..? आजकल की तरह लिखित सं्वैधानिक सरकार तो था नहीं , इसलिए स्वाभाश्वक है कि सरकार ने नहीं अपितु समाज ने ही अधिकार
दिया होगा । सामाजिक नियम सारभौमिक होते हुए स्ान-कालादि से परे सभी के लिए होता है । अब चौपाई पर दपृलष्ट डाला जाये । ढ़ोल , ग्वार , शूद्र , पशु और नारी को कया अधिकार समाज ने दिया है ..? तो इस प्रश्न का उत्तर है कि हां .. यह अधिकार समाज द्ारा ही उकत पांचचों वर्गों को
दिया गया है ।
इसी प्रकार यहां इनके अधिकार की बात कही गई हैं । नारी को यह अधिकार है कि यदि उसके साथ मिसबहै्व यानी छेड़छाड़ हो तो ्वह उस वयलकत को दस चपपल मार सकती है ..। ्वह दंड दे सकती है ..। यह अधिकार उसे समाज ने दिया है । समाज भी उसे उचित मानता है । नारी अपने स्वाभिमान और इज्ज़त की रक्ा के लिए ्वह दंड अ््वा ताड़ना दे सकती है । यह नियम के्वल भारत में नहीं अपितु संसार भर में आज से नहीं बल्क पहले से है ।
इसी जगह पुरुषचों को यह अधिकार नहीं है । यदि कोई लड़की किसी पुरूष को छेड़ दे तो पुरूष नारी पर हाथ नहीं उठा सकता । पुरुषचों को नारी पर हाथ उठाने का अधिकार ही नहीं है । ऐसे
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