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राजनीति चमकाने के लिए उगला जा रहा जातिवाद का जहर दुराग्ही प्रवृत्ति के अवसरवादी लोग कर रहे राम के नाम का दुरुपयोग
गोविंद वर्मा
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भु श्रीराम द्ारा दस नकारातमक िलकतयचों को धारण करने ्वाले लंकापति रा्वण की दसचों आसुरी प्र्वपृशत्तयचों का हरण करने का प्व्थ है दशहरा , जिसे भारत्वासी सहस्रों वर्षों से मनाते आ रहे हैं । यह सहरिालबदयचों से इस बात का प्रमाण है कि भारत का जनमानस श्रीराम को अच्ाइयचों का और रा्वण को बुराईयचों का प्रतीक मानता आ रहा है । श्रीराम ही हमेशा से अनुकरणीय रहे हैं । राम को करोड़ों भारतीय ईश्वरीय अ्वतार रूप में पूजते आ रहे हैं किंतु यह भी क्टु सतय है कि दुराग्ही प्र्वपृशत्त के अ्वसर्वादी लोग अपनी राजनीति चमकाने को राम के नाम का दुरुपयोग करने में नहीं चूकते ।
माया्वती ने अपना राजनीतिक हित साधने के लिए रामभकत जातियचों को जूते मारने की हिदायत दी तो उनके गुरु ने अयोधया में राम जनमभूमि स्ल पर राम मंदिर बनाने के बजाय शौचालय बनाने की सलाह दी । आज बहिन जी ्वो्टचों के लिए इनहीं ब्ाह्मणचों के चरण छूती घूम रही हैं । एक चिरकु्ट ने तो अपनी बिरादरी के ्वो्ट प्रापत करने को अपने नाम के साथ रा्वण जोड दिया है । दशक्ण भारत में तो राम और उनके अनुयायियचों के श्वरुधि दशकचों से ज़हर उगला जा रहा है ।
ई . ्वी . रामास्वामी ने ्वैदिक संसकृशत ्व राम- कृषण का श्वरोध करने को मद्रास प्रदेश कांग्ेस का अधयक् पद छोडकर 1944 में ' द्रविड़ कडगम ' नाम का राजनीतिक दल बनाया , आज डी . एम . के ्व अन्ना डी . एम . के इसी के दुम््ले
हैं । रामास्वामी न के्वल हिंदू या ्वैदिक संसकृशत का श्वरोधी था बल्क आयभों को श्वदेशी हमला्वर और द्रश्वडचों को मूल भारतीय बताता था । उसने राम को कप्टी , कृतघ्न ्व कामी बता कर
अपमानित किया । इतना ही नहीं रामास्वामी ने राम , कृषण , गणेश आदि की मूर्तियचों को तोडकर उनहें झाड़ू से पी्टा । रामास्वामी ने हिंदी श्वरोध में हिंसक आंदोलन चलाया और राषट्रीय ध्वज
26 iQjojh 2023