eMag_Feb 2023_DA | Page 17

निर्माण ए्वं “ दलित ” शबद की उतपशत्त पर यथोचित प्रमाण नहीं दिए गए तो “ दलित ” शबद की जगह जो भी शबद आएंगे , उनका भी भा्व दूषित होता चला जाएगा । दलित शबद स्वाभिमान , स्मान ए्वं इतिहास के उस कालखंड का यथार्थ है , जो गौर्व और स्मान का प्रतीक है । दलित शबद किसी जाति या समुदाय के साथ यदि जुड़ा हुआ पाया जाये तो सामानय हिनदुओं को उनका स्मान करना चाहिए क्योंकि श्वदेशी इसलाशमक आक्ांताओं के भयानक उतपीडन के उपरांत ्वे हिनदुओं ए्वं हिंदुत्व की रक्ा करने में सफल हुए । दलित शबद की जगह ्वंचित शबद का प्रयोग प्रचलन में आया किनतु व्यवहार पक् ने उसे कभी स्वीकार नहीं किया । देखा जाए तो सच यह है कि ्वंचित तो कोई भी हो सकता है , एक ब्ाह्मण भी ्वंचित हो सकता है , किनतु एक ब्ाह्मण कभी दलित नहीं हो सकता । इसलिए दलित शबद ्वंचित शबद के समानार्थक नहीं प्रयोग हो सकता है ।
डॉ शासरिी के अनुसार दलित समसया आर्थिक समसया इसलिए नहीं है क्योंकि करोडचों की संपत्ति का स्वामी होते हुए भी एक दलित जाति के वयलकत को धन्वान दलित अ््वा पैसे ्वाला दलित ही कहा जाता है । इसी प्रकार पढ़-लिखकर एक उच् मेरर्ट को प्रापत दलित जाति के वयलकत को पढ़ा- लिखा दलित , दलित डाक्टर , दलित इंजीनियर के ही रूप में स्बोशधत किया जाता हैI डॉ बी आर आंबेडकर को एक पढ़ा-लिखा दलित के साथ दलितचों का मसीहा ही कहा गया । राजनीतिक रूप से यदि देखा जाए तो दलित जाति का एक सदसय सांसद , श्वधायक , राजनीतिक दलचों का
पदाधिकारी , मंरिी या राषट्रपति इतयाशद भी बन जाता है किनतु फिर भी उसकी पहचान दलित ही बनी रहती है । क्पना कीजिए कि राषट्रपति जैसे पदचों पर पहुंचने के उपरांत भी एक दलित जाति का सदसय “ दलित राषट्रपति ” के रूप में ही चर्चा का श्वषय बना रहता है ।
डॉ शासरिी ने कहा कि यदि श्वकास को भी आधार मान लिया जाए तो दलित समसया का उनमूलन उपर् युकत उदाहरणचों द्ारा सपष्ट रूप से असफल प्रतीत होता हैI इसलिए यह तथयातमक निषकष्थ है कि दलित समसया आर्थिक , शैक्शणक या राजनीतिक नहीं बल्क सामाजिक है । ऐसे में दलित समसया का समाधान सामाजिक सीमा के अंतर्गत समाज में स्ाशपत मानसिकताओं को बदलने के उपरांत ही निकल सकेगा । इसलिए सरकार हो या नेता , उनहें दलित समसया के समाधान के लिए सामाजिक काय्थक्मचों , उपबंधचों ए्वं समाज की मानसिकताओं को परर्वशत्थत करने की दिशा में चिंतन करने की आ्वशयकता है । स्व्थप्रथम दलित शबद भारत में 1931 की जनगणना में अंग्ेजचों द्ारा " डिप्रेसड कलास " के रूप में प्रयोग हुआ । कालांतर में डॉ आंबेडकर ने इसे मराठी में " दलित " शबद के रूप में प्रयोग किया । अस्पृशय या अस्वच् व्यवसाय आज भी भले ही समाज ने स्वीकार कर लिया हो किनतु सैकडचों ्वष्थ पहले स्वाभिमानी हिनदुओं ( ब्ाह्मण ए्वं क्शरियचों ) को श्वदेशी शासकचों के दुभा्थ्वना और आक्रोशवश इस श्रेणी में लाया गयाI असीमित उतपीडन ए्वं अतयाचार सहकर भी हिनदू बने रहे महान हिनदू स्वाभिमानी ए्वं धर्माभिमानियचों को मधयकाल के स्वतंरिता सेनानी की मानयता
मिलनी चाहिए , न कि उनहें निम्न जाति का कहकर उनके तयाग , बलिदान ए्वं हिनदू धर्म रक्ा के महान योगदान को नकारने अ््वा उसकी उपेक्ा की आ्वशयकता है ।
काय्थक्म की अधयक्ता डाँ बी आर आंबेडकर सामाजिक श्वज्ञान श्वश्वश्वद्ालय की कुलपति श्रीमती आशा शुकला ने की । कुलपति का पदभार ग्हण करने के उपरांत श्रीमती शुकला लगातार श्वश्वश्वद्ालय को जनता के मधय पहुंचने का कार्य कर रही हैं । उन्होंने श्वश्वश्वद्ालय में ऐसे कई शोध और अनयानय कायिं कराये हैं जो सीधे और स्टीक रूप से जनक्याण की अपेक्ाओं को पूर्ण करते हैं और श्वश्वश्वद्ालय को भी जनक्याण में सार्थक बना रही हैं । उनके कार्यकाल में ऐसे सैकड़ो शोध कार्य हुए हैं , जिसका सामाजिक रूप से मू्याङ्कन यदि किया जाये तो श्वश्वश्वद्ालय के सामाजिक सरोकार को प्रक्ट करता हुआ दिखाई देता है । उन्होंने डॉ शासरिी का स्वागत करते हुए कहा कि डॉ शासरिी के श्वचारचों के माधयम से श्वश्वश्वद्ालय में डॉ आंबेडकर पीठ श्वश्वध दपृलश्टकोणो से शोध कार्य करेगी और डॉ आंबेडकर के श्वचारचों के आधार पर सुसंगठित समाज की संरचना में अपनी भूमिका तय करेगी ।
काय्थक्म में एम एस श्वलश्वद्ालय के पू्व्थ प्रोफ़ेसर दे्वलदास गुपता ने कहा कि डॉ . आंबेडकर के चिंतन ए्वं नीतियचों में हमेशा राषट्र ए्वं समाज का सर्वांगीण श्वकास ही रहा है । सामाजिक कुरीतियचों ए्वं बुराइयचों को ह्टाकर ्वे एक स्वस् समाज का निर्माण करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने अपनी सं्वैधानिक नीतियचों में समरसता का समा्वेश करने का पूरा प्रयास किया । हमें उनके सपनचों का राषट्र बनाने के लिए उनके कृतित्व को अच्े से समझने ए्वं पढ़ने की जरूरत है । काय्थक्म में संयुकत राषट्र ह्ूमन से्टेलमें्ट काय्थक्म के ्वरिषठ सलाहकार मार्कणडेय राय , श्वश्व के कुलसशच्व डॉ . अजय ्वमा्थ , डॉ . मनीषा सकसेना , डॉ . मनोज कुमार गुपता ने भी अपने श्वचार रखे । काय्थक्म में डॉ . रामशंकर सहित , सहायक कुलसशच्व संधया माल्वीय , डॉ . दीपक कारभारी सहित कई शिक्क , अधिकारी मौजूद रहेI �
iQjojh 2023 17