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्वण्स-जाति , नमृजातीय , पेशा , जी्वन-पदति , लिंग-भेद , आधारित ्वैदिक आर्य रिाह्मण्वादी हिंदू धर्म ए्वं त्वश्व-दमृप्टककोण के बरक्स नयाय , समता और बंितुता आधारित सामाजिक व्यवसथा , संसकृति , जी्वन-पदति और त्वश्व दमृप्टककोण का नाम बहतुजन ्वैचारिकी है । इसी बहतुजन ्वैचारिकी पर आधारित है टी . जे . नान्वेल द्ारा तनददेशित फिलम ‘ जय भीम ’, जको इनहीं अथथों में ‘ जय भीम ’ अतभ्वादन ए्वं नारे के साथ नयाय करती है और उसके पूरे निहितार्थ कको अभिवयक्त करती है ।
आदिवासी समुदाय के जोडे की कहानी
' जय भीम ' कुर्वा आतद्वासी समतुदाय के एक जोड़े सेंगई और राजकन्नू की कहानी है । राजकन्नू कको झूठे आरकोप में पतुतिस गिरफतार कर लेती है और इसके बाद ्वह पतुतिस हिरासत से लापता हको जाता है । ऐसे में उसकी पत्नी उसकी तलाश के लिए ्वकील चंद्रू ( सूर्या द्ारा निभाया गया किरदार ) का सहारा लेती है । बता दें कि यह फिलम 90 के दशक में तमिलनाडु में हतुई सच्ी घटनाओं पर आधारित है । पहले ही दमृशय से यह दर्शकों कको पूरी तरह अपने आगकोश में ले लेती है , उनहें अनयाय के प्तत्वाद ए्वं प्तिरकोि में खड़ा कर देती है , उनकी सं्वेदना कको झकझकोर देती है और थोड़े समय के लिए सही उनहें नयाय के पक् में खड़ा हकोने के लिए भीतर से प्ेरित कर देती है । सबसे के लिए नयायपूर्ण दतुतनया रचने के लिए उकसाती है । पहले सीन में दिखता है कि कुछ िकोग िकोकल जेल से बाहर निकले हैं और उनका परर्वार बाहर इंतजार कर रहा है । बाहर निकल रहे िकोगों कको उनकी कासट पूछकर रकोका जाता है और जको निचली कासट के हकोते हैं , उनहें फिर से किसी पतुराने केस में आरकोपी बनाकर पतुतिस कको सौंप दिया जाता है । ' जय भीम ', सूर्या के करियर की सबसे अहम फिलमों से एक बन गई है । इस फिलम की सबसे खास बात है , इसे पेश करने का अंदाज । फिलम में सिर्फ हीरको ( सूर्या ) पर ही रकोकस नहीं किया गया है , बपलक सच्ी घटना
के हिसाब से अनय किरदारों पर भी पूरा धयान दिया गया है । इसमें यह दिखाया गया है कि नयायपालिका और पतुतिस त्वभाग कको नयाय दिलाने के लिए किस तरह से साथ-साथ काम करना चाहिए । फिलम में 1995 के दौरान के हालातों कको दिखाया गया है । इसके साथ ही इस बार पर भी पूरा जकोर दिया गया है कि आज भी हालात बहतुत से हिसरों में निचले कासट के िकोगों के लिए कुछ खास बदले नहीं हैं । फिलम में पतुतिस के अतयाचारों कको दिखाया गया है , जहां उनके चंगतुि से ककोई भी नहीं बच सकता है । ्वहीं सिसटम पर भी तंज कसते हतुए दिखाया गया है कि जब ककोई बड़ा अधिकारी किसी छकोटे कको
कुछ करने के लिए कहता है तको , चाहें ्वको गलत हको या सही , र्वाल नहीं पूछा जाता और ्वैसे ही किया जाता है ।
संघर्ष से सफलता की है प्रेरणा
बरॉिी्वतुि के किसी भी अनय मसाला फिलम की तरह ‘ जय भीम ’ फिलम के अंतर्य कको किसी सथूि कथन , नारे और सूत्रीकरण में खकोजना मान्व जाति द्ारा खकोजी गई अबतक की सबसे सशक्त रमृजनातमक त्विा कको एक सतही त्विा में त्दीि कर देने की मांग करना है , जैसा कि बहतुिांश मतुंबईया बालीबतुि फिलमें करती हैं ।
44 दलित आं दोलन पत्रिका fnlacj 2021