eMag_Dec_2021-DA | Page 41

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्वकोटों की खातिर कांग्ेर ने राम कको नाटक का कालपतनक पात्र बता दिया और रामेश्वरम के समीप श्ीराम द्ारा बनाये गए सेततुबंध के अपसतत्व कको ही नकार दिया । समरणीय है कि तमिलनाडु के दतक्ण-पूर्वी तट पर पंबन द्ीप और श्ीिंका के उत्र-पपशचम तट पर मन्नार द्ीप के बीच श्ीराम के लंका त्वजय के समय यह सेततु ( पतुि ) बनाया गया था जको 1480 के
भयंकर तूफान में बतुरी तरह क्ततग्सत हको गया था । पतुरातत्वत्वद् प्रो . माखनलाल , ओरेगन यूतन्वतर्सटी की प्ाधयापक चेलरी रकोर के अधययन ्व सेटेलाइट रकोटको से तरद हतुआ है कि 40
कि . मी . का मार्ग ( पतुि ) मान्व निर्मित है , प्ाकृतिक सरंचना नहीं ।
यूपीए सरकार के हिसरेदार डी . एम . के के प्तिनिधि डी . राजा के परर्वहन जलयानों कको सीधा रासता देने के लिए इस सेततुबंध कको तोड़ने की यकोजना बनाई चूंकि डी . राजा के जलयानों कको 80 तकिकोमीटर घूम कर आना पड़ता था । 2005 में नये सेततुरमतुद्रम परियकोजना का भारी
त्वरकोि हतुआ और मामला मद्रास हाईककोट्ड ्व रतुप्ीम ककोट्ड पहतुंच गया । कांग्ेर सरकार ने ककोट्ड में दलील दी कि ्वह पतुि प्ाकृतिक संरचना है , राम द्ारा निर्मित पतुि नहीं है । भारतीय
पतुरातत्व त्वभाग से भी ऐसा ही हलफनामा दिलाया गया । इतना ही नहीं ततकािीन कांग्ेर सरकार के ्वकील कपिल तर्बि ने कहा कि राम कालपतनक पात्र हैं तको सेततुबंध कैसे बन सकता है ? ककोई भी इन कांग्ेतरयों से पूछ सकता है कि जिनहें आप अपना बापू कहते हैं उनकी समाधि पर आपने हे राम क्यों लिख्वाया है ?
्वास्तव में नेताओं की स्वार्थपरता के लपेटे में आकर कुछ ततुचछ मानसिकता के िकोग श्ीराम पर अनर्गल प्िाप करने लगते हैं । इलाहाबाद हाई ककोट्ड के नयायमूर्ति शेखर कुमार याद्व ने 9 अक्टूबर कको आकाश जाट्व की जमानत की याचिका पर त्वचार करते समय जको तट्पणी की है ्वह समपूण्स भारतीय समाज के लिये त्वचारणीय है । नयायमूर्ति श्ी याद्व ने कहा- ' राम ्व कृ्ण के बिना भारत अधूरा है । ककोई ईश्वर कको माने या न माने , उसे िकोगों की आसथा कको चकोट पहतुंचाने का अधिकार नहीं है । अभिवयपक्त की स्वतंत्रता असीमित नहीं , प्तिबंधित भी है । जिस देश में हम रहते हैं , उस देश के महापतुरुषों और संसकृति का सममान करना जरूरी है । हमारा संत्विान बहतुत उदार है किंततु मान्व खकोपड़ी हाथ में लेकर घूमने की इजाजत नहीं दी जा सकती । हमारे संत्विान में भी राम-सीता के चित्र अंकित है । मतुरिमानों में भी राम-कृ्ण के भक्त रहे हैं । रसखान , अमीर खतुररको , आलम शेख , ्वाजिद अली शाह , नजीर बनारसी आदि राम-कृ्ण के भक्त रहे हैं । राम-कृ्ण का अपमान पूरे देश का अपमान है ।'
जपसटर याद्व की तट्पणी काफी त्वस्तृत है , यह तको सार-तत्व है । राम भारत की आतमा है । सेक्यतुिर्वाद या धर्मनिरपेक्ता के चक्कर में हम अपनी आतमा कको खतुद से पमृथक नहीं कर सकते । राम का नाम कभी बिसारा नहीं जा सकता । राम का तारक मंत्र कहता है-
' राम रामेति रामेति रमे रामे मनकोरमे । सहस्नाम तत्तुलयं रामनाम ्वरानने ॥'
सच तको यह है कि त्व्णतु सहस्नाम के 1000 पाठ से जको पतुणय प्ा्त हकोता है , ्वह पतुणय राम नाम के एक उच्ारण से प्ा्त हको जाता है । �
fnlacj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 41