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उत्तराखंड में निर्णायक रहेंगे दलित मतदाता

देवभूमि का दलित समाज भाजपा के साथ कामयाब नहीं हो रही काांग्रेस की कू टनीति

दलित आंदोलन पवत्का ब्यूरो

्शासनिक सहूलियत और त्वकास कको तेजी देने के मकसद से छकोटे राजयों के गठन की नीति के तहत अपसतत्व में आए उत्राखंड में शतुरूआती दौर से ही राजनीतिक उथल — पतुथल की जको परंपरा बनी ्वह आज तक बदसतूर कायम है । प्देश में परंपरागत राजनीतिक अपसथरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मतदाताओं ने भाजपा के पक् में मतदान किया हको अथ्वा कांग्ेर के पक् में , राजनीतिक पसथरता किसी भी पाटटी के कार्यकाल में नहीं रही और किसी भी मतुखयमंत्री के लिए पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाना सपना ही बना रहा ।

यथा प्रजा तथा राजा
कहते हैं कि िकोकतंत्र में जैसी प्जा हकोती है ्वैसा ही ्वह राजा चतुनती है । चतुंकि छकोटा प्देश हकोने के बा्वजूद जमीनी सतर पर ही नहीं बपलक सैदांतिक और व्यावहारिक सतर पर भी प्देश में अनेकता और त्वतभनन्नता की पसथति हर सतर पर है जिसकी परिणति एकरूपता और एकमतता के अभा्व के तौर पर राजनीति में भी पररितक्त हकोती रही है । लेकिन समय के साथ अब सैदांतिक एकरूपता भी बन रही है और ्वैचारिक एकमतता का माहौल भी निर्मित हको रहा है । ्वना्स
परंपरागत तौर पर हर चतुना्व में भाजपा और कांग्ेर के बीच सत्ा हसतांतरण की परंपरा के उलट इस बार भाजपा की दकोबारा ्वापसी के प्बल आसार हर्गिज दिखाई नहीं पड़ते और चतुना्व से पहले ही कांग्ेर िड़ाई से बाहर हकोती हतुई दिखाई नहीं पड़ती ।
कांग्ेस का शगूफा नाकाम
यह पसथति बनने के पीछे सबसे बड़ी ्वजह मतदाताओं के बीच अधिकांश मामलों में पहली बार एकमतता कायम हकोना ही है । तमाम अगड़े — पिछड़े हों , कुमांउनी — गढ़वाली हों , मैदानी — पहाड़ी हों या सामानय ्वग्स , पिछड़ा ्वग्स अथ्वा अनतुरूचित ्वग्स के िकोग । इन सबके बीच इस बात कको लेकर कतई त्वरकोिाभास या मतभेद नहीं है कि खतुशहाली बढ़ाने्वाले जमीनी त्वकास के सपने कको साकार करने में भाजपा ही रक्म है । यही ्वजह है कि जाति की राजनीति करके उत्राखंड की सत्ा पर क्जा जमाने की कांग्ेर की ककोतशशें पर्वान नहीं चढ़ पाई हैं । हालांकि त्वकास के मोर्चे पर भाजपा कको कठघरे में खड़ा करने में नाकाम रहने के बाद कांग्ेर ने समाज में जातीय टकरा्व पैदा करने की ककोतशश के तहत इस बार दलित समाज के वयपक्त कको प्देश का मतुखयमंत्री बनाने का शगूफा अ्वशय छोड़ा लेकिन मतदाताओं कको भ्रमित
करने की उसकी यह चाल कामयाब नहीं हको सकी है ।
भाजपा के साथ हैं दलित
यह सच है कि तकरीबन एक दशक पू्व्स तक सूबे के दलित समाज के मतदाताओं का बहतुत बड़ा ्वग्स या तको बसपा कको अथ्वा कांग्ेर
28 दलित आं दोलन पत्रिका fnlacj 2021