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तरूण चुग
( पीड़ानाशी ) ्वह वयपक्त हकोता
है जको आपके क्टों और पीड़ाओं कको हिलर
समा्त कर देता है । चिकितरक और हिलर ( पीड़ानाशक ) में सूक्म अंतर है । चिकितरक शरीर से संबंधित क्टों और पीड़ाओं कको कम करता है जबकि हिलर ( पीड़ानाशी ) शारीरिक दर्द के साथ ही साथ हर तरह के दर्द कको ठीक करता है । ये दर्द शारीरिक , मानसिक या भा्वनातमक हको सकते हैं । कभी-कभी चिकितरक कको दर्द कको सथायी रूप से ठीक करने के लिए शलय चिकितरा करनी पड़ती है , ताकि पीड़ा सथाई रूप से दूर हको सके ।
अवसरवादी-समाजवाद से सामाजिक-अशांति
जब ककोई समाज त्वकसित अ्वसथा की ओर अग्रर हकोता है और राजनीति उसे गतिमान करती है , तको समाज में सतर कुछ सतर पर सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक त्वरमता आना लाजमी है । आजादी के बाद जब भारत ने अपनी त्वकास की यात्रा शतुरू की , तको यहाँ भी आर्थिक त्वकास के फलस्वरूप कई तरफ की परेशानियां सामने आई , जिसके कारण कई क्ेत्रों , वर्गों , क्ेत्रों , सामाजिक-समूहों आदि में त्वरमता आई जिससे समाज कको पीड़ा हतुई । भारत द्ारा अपनाई गई तथाकथित ' फेबियन- रकोशलिसट ' ( अ्वरर्वादी-समाज्वाद ) त्वकास
राजनीत्तक मास्टर हिलर हैं मोदी
मोदी ने भारत को बनाया वैश्श्वक पीड़ानाशक समाप्त हुई समस्ाएां , नए पथ पर हुए अग्रसर
रणनीति ने अंतर और अंतर क्ेत्रीय , सामाजिक- समूहों और ्वग्स अंतर और भेदभा्व कको जनम दिया । ये भेदभा्व कई उथल-पतुथल और आंदकोिन के रूप में सामने आए । इन उथल- पतुथल ने धीरे-धीरे सामाजिक-राजनीतिक अलरर ( घा्व ) के रूप में भारत में सामाजिक-
अशांति कको जनम दिया ।
स्वतंत्रता के बाद की राह समावेशी नहीं यह एक तथ्य महत्वपूर्ण है कि स्वतंत्रता
के बाद के सामाजिक-आर्थिक त्वकास के मार्ग
पर चलते हतुए जको कार्य किये गए ्वको समा्वेशी और वयापक नहीं था । ये राजनीतिक-घा्वों के रूप में उभरे जको हमारे रा्ट् के राजनीति रूपी शरीर कको दर्द दे रहे हैं । ऐसे कई मतुद्े थे जको त्वतभन्न कारणों से अधूरे रह गए और पूरी तरह से समसयाओं और संकट में फंस गए । ' भारत
22 दलित आं दोलन पत्रिका fnlacj 2021