eMag_Dec_2021-DA | Page 15

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जनजातीय समुदायों के लिए मार्मिक क्षण
जनजातीय समतुदायों के बलिदानों ए्वं यकोगदानों कको सममान देते हतुए , भारत सरकार ने 15 न्वंबर कको जनजातीय गौर्व तद्वर के रूप में घकोतरत किया है । इस तिथि कको भग्वान बिरसा मतुंडा की जयंती हकोती है । यह ्वाकई जनजातीय समतुदायों के लिए एक मार्मिक क्ण है जब देश भर में जनजातीय समतुदायों के बहादतुर स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष कको आखिरकार स्वीकार कर लिया गया है । इन गतुमनाम ्वीरों की ्वीरता की गाथाएं आखिरकार दतुतनया के सामने लाई जायेंगी । देश के त्वतभन्न हिसरों में 15 न्वंबर से लेकर 22 न्वंबर तक र्ताह भर चलने ्वाले समारकोहों के दौरान बड़ी संखया में गततत्वतियों का आयकोजन किया गया है ताकि इस प्तिष्ठत र्ताह के दौरान देश के उन महान गतुमनाम आतद्वासी नायकों , जिनहोंने अपने जी्वन का बलिदान दिया , कको याद किया जा सके । जनजातीय गौर्व तद्वर
मनाने के इस ऐतिहासिक अ्वरर पर , यह देश त्वतभन्न इलाकों से संबंध रखने ्वाले अपने उन नेताओं ए्वं यकोदाओं कको याद करता है , जिनहोंने औपतन्वेशिक शासन के खिलाफ बहादतुरी से िड़ाई िड़ी और अपने प्ाणों की आहतुति दी । हम सभी देश के लिए उनकी तनाःस्वार्थ से्वा और बलिदान कको सलाम करते हैं ।
जनजातीय नायकों के प्रति क्र तज्ञ है देश
बिरसा मतुंडा का नाम हमेशा भारत के स्वतंत्रता संग्ाम के सभी महान त्वभूतियों की तरह ही सममान के साथ लिया जाएगा । 25 साल की छकोटी सी उम्र में उनहोंने जको उपलब्ियां हासिल कीं , ्वैसा कर पाना साधारण आदमी के लिए असंभ्व था । उनहोंने अंग्ेजों के खिलाफ आतद्वासी समतुदाय कको लामबंद करते हतुए आतद्वासियों के भूमि अधिकारों की रक्ा करने ्वाले कानूनों कको लागू करने के लिए औपतन्वेशिक शासकों कको मजबूर किया । भले ही उनका जी्वन छकोटा था , लेकिन उनके द्ारा जलाई गई सामाजिक ए्वं सांसकृतिक कांति की लौ ने देश के जनजातीय समतुदायों के जी्वन में मौलिक परर्वत्सन लाए । तरिटिश दमन के खिलाफ सशसत्र स्वतंत्रता संग्ाम ने रा्ट््वाद की भा्वना कको उभारा । समूचा भारत इस ्वर्ष भारत की आजादी के 75्वें ्वर्ष के उपलक्य में " आजादी का अममृत महकोत्सव " मना रहा है और यह आयकोजन उन असंखय जनजातीय समतुदाय के िकोगों ए्वं नायकों के यकोगदान कको याद किए और उनहें सममान दिए बिना पूरा नहीं हकोगा , जिनहोंने मातमृभूमि के लिए अपने प्ाण नयौछा्वर कर दिए । उनहोंने लंबे समय तक चलने ्वाले स्वतंत्रता संग्ाम की नीं्व रखी । 1857 के स्वतंत्रता संग्ाम से बहतुत पहले , जनजातीय समतुदाय के िकोगों और उनके नेताओं ने अपनी मातमृभूमि और स्वतंत्रता ए्वं अधिकारों की रक्ा के लिए औपतन्वेशिक शक्ति के खिलाफ त्वद्रकोह किया ।
पीढ़ियों को प्रेरणा देगा जनजातियों का संघर्ष
चतुआर और हलबा समतुदाय के िकोग 1770 के दशक की शतुरुआत में उठ खड़े हतुए और भारत द्ारा स्वतंत्रता हासिल करने तक देश भर के जनजातीय समतुदाय के िकोग अपने-अपने तरीके से अंग्ेजों से िड़ते रहे । चाहे ्वको पूर्वी क्ेत्र में संथाल , ककोि , हको , पहातड़या , मतुंडा , उरां्व , चेरको , लेपचा , भूटिया , भतुइयां जनजाति के िकोग हों या पूर्वोत्र क्ेत्र में खासी , नागा , अहकोम , मेमारिया , अबकोर , नयाशी , जयंतिया , गारको , मिजको , सिंघपको , कुकी और ितुशाई आदि जनजाति के िकोग हों या दतक्ण में पद्यगार , कुरिचय , बेड़ा , गोंड और महान अंडमानी जनजाति के िकोग हों या मधय भारत में हलबा , ककोि , मतुरिया , ककोई जनजाति के िकोग हों या फिर पपशचम में डांग भील , मैर , नाइका , ककोिी , मीना , दतुबला जनजाति के िकोग हों , इन सबने अपने दतुसराहसी हमलों और तनभटीक लड़ाइयों के माधयम से तरिटिश राज कको असमंजस में डाले रखा । हमारी आतद्वासी माताओं और बहनों ने भी दिलेरी और साहस भरे आंदकोिनों का नेतमृत्व किया । रानी गैडिनलयू , फूिको ए्वं झानको मतुमू , ्स हेलेन ले्चा ए्वं पतुतली माया तमांग के यकोगदान आने ्वाली पीतढ़यों कको प्ेरित करेंगे ।
राष्ट्र के प्रति समर्पण का समारोह
15 न्वंबर से लेकर 22 न्वंबर , 2021 ्वाले र्ताह के दौरान , त्वतभन्न राजयों और केंद्र शासित प्देशों द्ारा हमारे जनजातीय समतुदाय के महान स्वतंत्रता सेनानियों की यादों के प्ति सममान के तौर पर आतद्वासी नमृतय उत्सवों , शिलप मेलों , चित्रकला प्तियकोतगताओं , आतद्वासी उपलब्ियों का सममान करने , कार्यशालाओं , रक्तदान तशत्वरों और महान आतद्वासी स्वतंत्रता सेनानियों कको श्दांजलि देने जैसी गततत्वतियों की एक त्वस्तृत श्रृंखला का आयकोजन किया गया है । यह जनजातीय समतुदाय के बहादतुर स्वतंत्रता सेनानियों के जी्वन कको तहेदिल से याद करने और खतुद कको रा्ट् के लिए समर्पित करने का एक अ्वरर है । �
fnlacj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 15