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बसपा सुप्ीमो सुश्ी मायावती ने सत्ा में आने के बाद भगवान परशुराम की मूर्तियां स्ापित करने का वायदा करके भी ब्ाह्मणों को रिझाने का प्यास किया है । ऐसे ही वायदे और प्यास सपा की ओर से भी किए जा रहे हैं । आलम यह है कि किसी भी तरह ब्ाह्मणों की सहानुभूति और उनका समर्थन अरजतित करने के लिए इन दोनों दलों के नेताओं की ओर से श्ीप्काश शुक्ा और विकास दुबे की प्रतमा बनवाए जाने की बात भी कही जा रही है ।
र्या । हयाियांकि 2012 में बसपया के लखियाफ जनयाक्ोश की आंधी में पतुरयानी बयातें भतुियाकर समयाज के सभी वरगों ने सपया को समर्थन देकर सत्तया के शिखर पर अवश् पहतुंिया्या । लेकिन पूर्ववतटी बसपया सरकयार द्वयारया नया सिर्फ ब्राह्मणों बल्क सभी हिन्दुओं की आस्था कया केनद् मयाने जयानेवयािे कयाशी , म्तुरया और प्र्यार के विकयास के लिए जो नौ हजयार करोड रूप्या अलग से आवंटित लक्या र्या ्या उस पूरी योजनया को सत्तया में आते ही सपया ने रद् कर लद्या । ऐसे में सत्तया हल््याने के लिए ब्राह्मणों को रिझयाने कया सपया की ओर से जो तिकडम और उपक्म लक्या जया रहया है वह जमीन पर कितनया फलीभूत हो
पयाएरया इसे आसयानी से समझया जया सकतया है ।
विपक्ष की सिदांतविहीन रणनीति
लेकिन बीते वषगों ही नहीं बल्क दशकों तक िरयातयार अंजयाम दी गई झूठ , फरेब और झयांसे की कयारस्तानियों ने तौबया करते हतुए इस बयार ब्राह्मणों को रिझयाने के लिए सपया ने भी एडी — चोटी कया जोर िरया्या हतुआ है और बसपया ने भी सयारे घोड़े खोल दिए हैं । नया तो सपया ने एक बयार भी यह सोिया कि रयाम मंदिर आंदोलन में कयारसेवकों के नरसंहयार को अंजयाम दे ितुके मतुिया्म सिंह ्यादव पर ब्राह्मण क्ो भरोसया
करेंगे और नया ही बसपया को इस बयात की लफक् हतुई है कि जिस मनतुवयाद के लखियाफ मिशन के तौर पर उसकी स्थापनया हतुई थी उस लक्् की भयावी दशया — दिशया क्या होगी । बसपया की ओर से प्रबतुद वरगों कया सममेिन करयाने के नयाम पर पूरे प्रदेश में जगह — जगह ब्राह्मणों को रिझयाने के लिए सममेिन करयाए जया रहे हैं । यहयां तक कि बसपया सतुप्रीमो सतुश्ी मया्यावती ने सत्तया में आने के बयाद भगवयान परशतुरयाम की मूलत्ग्यां स्थापित करने कया वया्दया करके भी ब्राह्मणों को रिझयाने कया प्र्यास लक्या है । ऐसे ही वया्दे और प्र्यास सपया की ओर से भी किए जया रहे हैं । आलम यह है कि किसी भी तरह ब्राह्मणों की सहयानतुभूति और उनकया समर्थन अर्जित करने के लिए इन दोनों दलों के नेतयाओं की ओर से श्ीप्रकयाश शतुक्ला और विकयास दतुबे की प्रतिमया बनवयाए जयाने की बयात भी कही जया रही है ।
आत्मघाती राजनीतिक राह पर विपक्ष
ऐसया लगतया है कि इन दोनों ही दलों ने शया्द ब्राह्मणों को अववि दजजे कया मूर्ख समझ लि्या है जो इस तरह की घोषणयाओं और वया्दे से रीझकर उनके पयािे में ििया आएरया । सच तो यह है कि जिस विकयास दतुबे और श्ीप्रकयाश शतुक्ला को महिमयामंडित करके ब्राह्मणों की संवेदनया को कुरेदने की कोशिश की जया रही है उसे ब्राह्मण समयाज कभी अपने आदर्श के तौर पर सवीकयार नहीं कर सकतया है । इतिहयास गवयाह है कि ब्राह्मणों ने कभी अपरयालध्ों , हत्यारों अथवया कयानून व समयाज के दोषियों को प्रश्् , संरक्ण ्या समर्थन नहीं लद्या है । वैसे भी विकयास दतुबे और श्ीप्रकयाश शतुक्ला जैसे ब्राह्मण अपरयालध्ों द्वयारया अंजयाम दिए गए हत्याकयांडों की फेहरिसत पर नजर डयािी जयाए तो इनहोंने सबसे अधिक हत्याएं ब्राह्मणों की ही की हैं । लिहयाजया ऐसे नरयाधमों कया महिमया मंडन करने से ब्राह्मणों कया समर्थन मिलनया तो नयामतुमकिन ही है अलबत्तया ऐसया करके सपया और बसपया सरीखी पयालटटि्यां अपने वैियारिक भटकयाव और सैदयांलतक पतन कया परिचय अवश् दे रही हैं । �
vxLr 2021 दलित आंदोलन पत्रिका 7