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की उममीदों को अधमरया कर ही लद्या है जिसे अगर बसपया कया भी सहयारया नहीं लमिया तो इस बयार यूपी में कयांग्रेस मतुकत विधयानसभया गठित होने की संभयावनया बेहद प्रबल दिखयाई पड रही है ।
सांप्रदायिक और जातीय ध्ुिीकरण पर टिकीं उम्ीदें
इस प्रकयार समग्रतया में जो तसवीर उभर रही है उसमें यह तय है कि मतुकयाबिया बहतुकोणीय होने जया रहया है जिसमें विपक् के पयास न तो वैियारिक एकमततया है और नया ही सैदयांलतक समरूपतया । यहयां तक कि बीते सयाढ़े ियार सयाि में यूपी को बीमयारू रयाज् की स्थापित छवि से बयाहर निकयािकर देश में सबसे तेज गति से चहतुंमतुखी विकयास कर रहे रयाज्ों की सूची में स्थान लदियाने वयािी योगी आदित्नया् की सरकयार के लखियाफ मतदयातयाओं को भडकयाने के लिए विपक्ी दलों के पयास कोई ठोस मतुद्दा भी नहीं है । ऐसे में भयाजपया के विरोधियों की तमयाम उममीदें सयांप्रदयाल्क व जयालतवयादी ध्रुवीकरण पर ही टिकी हतुई हैं । सपया को भरोसया है कि ्यादव और मतुसलमयान उसकी मतुट्ी में हैं जबकि बसपया को विश्वास है कि एकजतुट होकर उसकया समर्थन करने के अियावया दलितों के पयास दूसरया कोई
विक्प ही नहीं है । इसी भरोसे और विश्वास मे अब दोनों ही दलों ने अन् जयालत्ों को अपने पयािे में ियाने की कवया्दें आरंभ कर दी हैं जिसमें उनहें सबसे आसयान ब्राह्मणों को अपनी ओर करनया ही लग रहया है ।
फिर ब्ाह्मणों को झांसा देने में जुटी बसपा
दरअसल उत्तर प्रदेश में बसपया ने जो गणित बिठया्या है उसके मतुतयालबक अगर 24 फीसदी दलितों और 16 फीसदी ब्राह्मणों कया उसे एकमतुशत समर्थन मिल जयाए तो प्रदेश की सत्तया पर कब्जा जमयाने से उसे कोई भी तयाकत नहीं रोक पयाएगी । इसी सोच के तहत बसपया ने बीते कई ितुनयावों से ब्राह्मणों को रिझयाने की भरसक कोशिश की है । इसी रणनीति को अमली जयामया पहनयाने की मंशया के तहत सतीशचंद् मिश्रा को पार्टी में िरयातयार नंबर — दो की मजबूत हैसियत में भी रखया र्या है और उममीदवयारों के चयन में भी बडी तयादयाद में ब्राह्मणों को तरजीह दी जयाती रही है । लेकिन 2007 के विधयानसभया ितुनयाव में बसपया कया समर्थन करने के बयाद ही ब्राह्मणों को यह एहसयास हो र्या ्या कि पार्टी कया ब्राह्मण प्रेम महज दिखयावया ही है । अलबत्तया ब्राह्मणों कया
कल्याण करने के नयाम पर सत्तया में आने के बयाद जिस तरह से सतीशचंद् मिश्रा के रिशतेदयारों और करीबियों को रेवलड्यां बयांटकर सिर्फ उनकया ही कल्याण लक्या र्या उससे प्रदेश कया ब्राह्मण समयाज ठरया हतुआ महसूस करने िरया । नतीजन ब्राह्मणों कया बसपया से ऐसया मोह भंग हतुआ कि उस ितुनयाव के बयाद वे दोबयारया हया्ी की सवयारी करने की हिममत भी नहीं जतुटया सके । अलबत्तया हर ितुनयाव के पहले बसपया की ओर से पूरे प्रदेश में कभी सयामयालजक समरसतया सममेिन और कभी प्रबतुद वर्ग के सममेिन कया आयोजन करयाने के नयाम पर ब्राह्मणों को रिझयाने की कोशिशें हर बयार की जयाती हैं लेकिन अब तक नया तो ब्राह्मण कभी दोबयारया बसपया के झयांसे में आ्या है और नया 2022 के ितुनयाव में भी ऐसया हो पयानया संभव दिख रहया है ।
ब्ाह्मणों को बेवकू फ बना रही सपा
दूसरी ओर ्यादव और मुस्लिम वोटों पर अपनया एकयालधकयार समझने वयािी सपया की नजरें भी प्रदेश के 16 फीसदी ब्राह्मण मतदयातयाओं पर टिकी हतुई हैं । सपया कया सपनया है कि अगर ब्राह्मण मतदयातयाओं कया पूरया समर्थन हयालसि करने में कयाम्याबी मिल गई तो अपने दम पर ही प्रदेश की सत्तया पर कब्जा जमयानया बेहद आसयान हो जयाएरया । इसी सोच के तहत सपया ने भी ब्राह्मणों पर डोरे डयािने की तमयाम कोशिशें अंजयाम देने में कसर नहीं छोडी है । ियाहे भगवयान परशतुरयाम की दिव् , भव् और विशयाितम मूर्ति बनवयाने कया वया्दया हो ्या पूरे प्रदेश में ब्राह्मण सममेिन के आयोजन की पहलकदमी हो । अपनी पार्टी के ब्राह्मण नेतयाओं को आगे ियाकर सपया द्वयारया ब्राह्मणों को रिझयाने की भरसक कोशिशें हो रही हैं । लेकिन पहले मंडल — कमंडल के टकरयाव की रयाजनीति के कयारण ब्राह्मण समयाज सपया से छिटकया रहया और बयाद में रयाम जनमभूमि आंदोलन के दौरयान कयारसेवकों पर गोलि्यां चलवयाकर तत्कालीन मतुख्मंत्री मतुिया्म सिंह ्यादव ने हिन्दुओं कया जो नरसंहयार करया्या उसके बयाद सपया के प्रति ब्राह्मणों में घृणया कया भयाव ही भर
6 दलित आंदोलन पत्रिका vxLr 2021