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सिरफिरों की शरारत , समाज के लिए आफत उभर रही है समाज में असहिष्ुता की तस्ीि समरसता के लिए शासन — प्शासन से बड़ी समाज की भूमिका
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भिन्न जयालत्ों और उप — जयालत्ों में बंट़े हतुए हिनदू समयाज की जयालतरत संरचनया कितनी संवेदनशील है यह बयात किसी से छिपी हतुई नहीं है । जरया — जरया सी बयात पर बड़ा बखेड़ा खड़ा हो जयानया और जयालतरत टकरयाव की लस्लत उतपन्न हो जयानया केवल शयासन — प्रशयासन और कयानून — व्वस्था के लिए ही नहीं बल्क समयाज के लिए भी भयारी सिरददटी और समस्या की वजह बनतया रहतया है । इससे समयाज की भी बदनयामी होती है और विशव सतर पर भयारत की छवि भी खरयाब होती है । वह भी तब जबकि मौजूदया वकत में
शिक्षा और जयाररूकतया कया सतर कयाफी ऊपर उठ ितुकया है । समयाज के सभी वर्ग एकसूत्र में मजबूती से बंध रहे हैं और परसपर विश्वासबहयािी हो रही है । पीलढ्ों से चली आ रही वैियारिक व व्यावहयारिक कटुतया को भतुियाकर सभी वर्ग आपस में मजबूती से जुड़ने की ओर आगे बढ रहे हैं । ऐसे में समयाज में मौजूद कुछ सिरफिरे ततवों की कयाररतुजयारर्यां अकसर हिनदू समयाज की एकतया के आड़े आ जयाती हैं और सयामयालजक समरसतया में बयाधया बनकर खडी हो जयाती हैं । कहीं एक सिरफिरे लोगों कया परिवयार अपनी ही लबलट्या को सिर्फ इसलिए वैधव् की सजया दे देतया है क्ोंकि
उसने उच्च जयालत मयाने जयानेवयािे ब्राह्मण समतुदया् में जनम लेने के बयावजूद नीची जयालत कहे जयानेवयािे दलित समतुदया् के ्तुवक से विवयाह करने की पहल की । यहयां तक कि टोक्ों आलंपिक में सेमीफयाइनल तक भयारत के तिरंगे को शयान के सया् पहतुंियाने में अह्म योगदयान देनेवयािी दलित लखियाडी के परिजनों को समयाज के कुछ सिरफिरे रतुंड़े सिर्फ इसलिए जमील और अपमयालनत करने कया प्र्यास करते हैं क्ोंकि सेमीफयाइनल में भयारतीय मलहिया हॉकी टीम को हयार कया सयामनया करनया पड़ा । लनलशित ही इककीसवीं सदी के भयारत में इससे अधिक
vxLr 2021 दलित आंदोलन पत्रिका 19