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दुष्प्रियार के बयाद कोरोनया महयामयारी , कृषि कयानून से लेकर त्याकथित पेरयासस जयासूसी मयामले में विपक् के जनविरोधी व्वहयार को सपषट रूप से देखया जया सकतया है । संसद के मयानसून सत्र कया सतुलन्ोजित रूप से ठपप करने वयािे विपक्ी दल जनतया के सयामने यह दयावया कर रहे हैं कि मोदी सरकयार संविधयान के विरुद कया््ग कर रही है और संविधयान खतरे में हैI संविधयान खतरे में है-कया नयारया िरयाकर विपक् देश की जनतया , विशेष रूप से दलितों , पिछड़ों और वंचित वर्ग की जनतया को एक बयार फिर भ्रमित करने की फ़िरयाक में है । रयाजनीतिक वैमनस्तया के कयारण
भयाजपया विरोधी रयाजनीतिक दल यह प्रियारित करने में जतुट़े है कि मोदी रयाज में संविधयान खतरे में है , देश में असहिष्णुतया बढ गई है , अभिव्लकत की सवतंत्रतया पर खतरया मंडरया रहया है , मौलिक
अधिकयारों को कुििया जया रहया है , मुस्लिम और दलित अत्याियार के शिकयार हो रहे हैं । प्रश्न यह उठतया है कि वयासतव में संविधयान खतरे में है ? ्या फिर विपक् की रयाजनीति को ग्रहण लग ितुकया है ? ्या फिर संविधयान और अभिव्लकत की सवतंत्रतया के नयाम पर केंद् सरकयार के विरुद संघर्ष छेड़ने की कोशिश की जया रही है ? उत्तर बहतुत सरल है । न तो संविधयान खतरे में है और न ही अभिव्लकत की सवतंत्रतया पर किसी तरह कया प्रतिबनध नहीं है । बल्क देश में उस कुलतसत रयाजनीति कया अलसततव खतरे में है , जो रयाजनीति जनतया को धर्म , जयालत , वर्ग में बयांटकर सव्ं अपने हितों को पूरया करने के लिए वषगों से की जया रही थी । रयाजनीतिक कया यह वह सवरूप रहया , जिसकी बतुलन्याद स्वार्थ , परिवयारवयाद , भ्रषटयाियार , हिंसया और आपरयालधक गतिविधियों पर टिकी हतुई है ।
कांग्ेस की स्ार्थ एवं हितों पर कें ररित राजनीति
भयारतवर्ष कया यह दतुभया्गग् ही रहया कि सैकड़ों वषगों तक मुस्लिम आक्रांतयाओं और फिर अंग्रेजों ने 200 सयाि तक जनतया को विभिन्न वरगों और जयालत्ों में बयांट कर रयाज लक्या । सवतंत्रतया के बयाद देश में पहली सरकयार बनयाने कया मौकया कयांग्रेस को लमिया और सत्तया िियाने की जिममेदयारी जवयाहरियाि नेहरू को मिली । सत्तया मिलने के बयाद पलशिमी मयानसिकतया से ग्रसत नेहरू ने देश
की मूल समस्याओं की तरफ ध्यान देने की आवश्कतया नहीं समझी । नेहरू ने भयारतीय समयाज को सदया उच्च वर्ग , दलित जयालत्ों , जनजयालत्ों और अ्पसंख्कों में बयांटकर देखया और उनकी गोलबंदी करते हतुए उनकया रयाजनैतिक फया्दया उठयाते रहे । देश के प्रधयानमंत्री के रूप में उनहोंने 17 वर्ष रयाज लक्या । आज हमयारे सयामने जितनी समस्याएं हैं , उनकया मूल उनकी नीतियों और निर्णयों में ही है । उनके वैियारिक पूवया्गग्रहों के कयारण अब तक देश को कयाफी क्लत उठयानी पडी । भयारतीय रयाजनीति में वंशवयाद , परिवयारवयाद , भयाई-भतीजयावयाद एवं सवया््ग्तुकत रयाजनीति के जनमदयातया नेहरू ने 1959 में अकस्मात इंदिरया रयांधी को कयांग्रेस कया अध्क् बनवयाकर जिस वंशयानतुरत रयाजनीति की आधयारलशिया रखी , उस परंपरया पर कयांग्रेस आज भी चल रही है और समयाज के सभी वर्ग , वह ियाहे दलित हों ्या अन् कोई वर्ग , सभी कयांग्रेस के लिए सिर्फ वोट बैंक से ज्यादया कुछ नहीं हों पयाए । नेहरू के बयाद इंदिरया रयांधी , रयाजीव रयांधी से लेकर सोलन्या रयांधी के नेतृतव वयािी यूपीए सरकयार के कया््गकयाि के दौरयान , देश के विकयास के लिए कई ठोस कयाम होने कया दयावया लक्या जयातया रहया । पर विकयास के इन दयावों के पीछ़े भ्रषटयाियार , सवलहत , भयाई- भतीजयावयाद , जयालतवयाद , वंशवयाद , साम्प्रदयाल्कतया सहित राष्ट्रविरोधी ततवों को संरक्ण और संसयाधनों की लूट को भी जनतया ने बहतुत करीब से देखया । जीप घोटयािे से लेकर टू-जी और जीजया
vxLr 2021 दलित आंदोलन पत्रिका 11