eMag_April 2021_Dalit Andolan | Page 43

पर डॉ . आंबेडकर का उत्तर

रहा है , विशेष रूप से मैं उनसे ्पूछता हपूं कि अमेरिका , कनाडा और अनय देशों के संविधान की रखी विशाल रिपोर्ट में से मुझको कोई उदाहरण दे ।
डॉ आंबेडकर ने धारा-10 की उपधारा ( 3 ) में बैकवर्ड श्द का प्रयोग पर कहा कि इसके आयात , महतव व अनिवार्यता को समझने के लिए , मै इसे कुछ सामानय बातों से शुरूआत करूंगा , ताकि सद्यगण समझ सके । प्रथिम सभी नागरिको के लिए सेवा के समान अवसर होने चाहिए , प्रतयेक वयक्त जो निश्चत पद के योगय है , उसको आवेदन पत्र देने की ्वतंत्रता होनी चाहिए , जिससे यह तय हो कि वह किसी पद के योगय है या नहीं । जहां तक सरकारी नौकरियों का समबनध है , सभी नागरिक यदि वे
योगय है , तो उनको समानता के ्तर पर रखा जाना चाहिए । मै जोर देकर कहता हपूं कि यह एक अचछा ससदानत है कि अवसर की समानता होनी चाहिए । उसी समय यह भी प्रावधान होना चाहिए कि कुछ समुदायों को शासन मे स्थान देना है , जिनको अब तक प्रशासन से बाहर रखा गया है । जैसा मैंने प्रारूप समिति के तीनों विचारों को सामने रखकर सपूत्र तैयार किया है । प्रथिम सबको अवसर उपल्ध होंगे , इसका उन निश्चत समुदायों के लिए आरक्र होगा जिनको प्रशासन मे अब तक उचित स्थान नहीं मिला है । उदाहरण के लिए किसी समुदाय का आरक्र कुछ पदों का 70 प्रतिशत कर दिया जाए और 30 प्रतिशत गैर आरसक्त छोड दिया जाए तो ्या कोई कह सकता है कि सामानय प्रतियोगिता
के लिए 30 प्रतिशत आरक्र है । ऐसी स्थिति में यह पहले ससदानत समान अवसर होंगे , के दृष्टिकोण से उचित नहीं है । इसलिए जो पद आरसक्त होने है , यदि धारा 10 उपधारा ( 1 ) के साथि आरक्र को मजबपूत रखना है तो उसकी सीमा अल्संखयक होनी चाहिए । यदि आदरणीय सद्य यह समझते है कि , दो बातों को सुरसक्त रखना , सबको अवसर की समानता का ससदानत और साथि ही उन समुदायों की मांग , की राजय मे भी उचित प्रतिनिधितव देना , ्पूरी करने के लिए , मुझे सव्वास है कि , जब तक आप बैकवर्ड की तरह उचित श्द प्रयोग नहीं करते , तब आरक्र का प्रावधान , नियम को खा जाएगा । नियम में से कुछ नही बचेगा ।
डॉ आंबेडकर ने कहा कि वह यह कह सकते हैं कि यह नयाय ्क् का समथि्णन है , कि प्रारूप समिति ने बैकवर्ड श्द को रखने की जिममेदारी , मैंने अपने कंधों पर ली थिी , मै ्वीकार करता हपूँ कि , संविधान सभा ने मपूलरूप में जो मौलिक अधिकार पारित किए है , उनमें यह नहीं है , मैं समझता हॅपूं कि बैकवर्ड श्द रखने का समथि्णन नयाय ्क् से काफी है । धारा-10 संशोधन पारित होकर संविधान का भाग बन गया , जिसका नतीजा आज सरकारी नौकरियो में दलित , आदिवासियों , पिछड़ों का प्रतिनिधितव सवद्मान है और देश विकास की और अग्सर है , यह है डॉ आंबेडकर की महानता । इतनी सारी विभिन्नता जाति , रंग , वेशभपूषा , भाषा , खान- पान , होने के बावजपूद भी आज , भारत का अस्ततव इस दुनिया में अखणड रूप से सवद्मान है , तो मपूल से भारतीय संविधान की लोकतांत्रिक , सेकुलरिजम , प्रतिनिधितव के भावना के कारण , जो इस देश को एक जुट बनाये रखती है । यह किसी चमतकार से कम नहीं है , जो डॉ आंबेडकर की इस देश को अनमोल भेट है और यही उनकी विरासत है । �
vizSy 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf 43