Education in Delhi Schools: Rhetoric vs. Reality Delhi-School-Education-Rep-June-2018 | Page 30
श ा का गरता तर
कूल का पा य म इतना प र ु ाना और घसा– पटा है क उसे पढ़ने के बाद भी टूडट अनपढ़ ह माना
जाता है । इसका सबसे बड़ा कारण यह है क पछले 30 साल म भारत म कोई नई रा य श ा नी त
नह ं बनी। पछल रा य श ा नी त 1986 म बनी थी। भारत क श ा के गरते हुए तर क बात
अब सफ भारत म ह नह ं बि क प र ू द ु नया म क जा रह है । उदाहरण के लए वैि वक मानव
वकास स च
कांक (एच.डी.आई.) – Global Human Development Index (HDI) – म भारत का
थान व व म बहुत नीचे या न 130 नंबर पर आता है – जो एक चंता का वषय है ।
यहाँ तक क भारत सरकार ने अपनी रा य श ा नी त के ा प 2016 (Draft National
Education Policy, 2016) म भारत क श ा यव था म इतनी क मयाँ बताई ह क कुछ लोग तो
अपने ब च को कूल या कॉलेज म भेजना ह बंद कर दगे । जो वषय हम कूल म पढ़ाए जाते ह, व
नौकर लेने म सहायक नह ं ह।
सरकार नौक रयाँ न के बराबर ह। बढ़ कंप नय म नौक रयाँ ह ले कन उन नौक रय के लए
आधु नक पढ़ाई चा हए जो आम कूल और कॉलेज नह ं दे रहे । आज के आधु नक य ग
म नौकर के
लए ड ी से यादा कौशल और यो यता क ज रत है । ले कन ऐसा कौशल और यो यता हमार
पढ़ाई का ह सा नह ं है । इसका प रणाम यह है क िजसके पास ड ी है , उसके पास नौकर नह ं और
िजसने नौकर दे नी है उसे यो य लोग नह ं मल रहे ।
ट चर सफ लास म आकर और इधर-उधर क बात कर के अपने घर वा पस चले जाते ह। उ ह ने न
तो कभी इस प र ु ानी श ा का हमारे कै रयर म मह व समझाया और न ह इस प र ु ानी श ा को
बदलने क को शश क । इसका प रणाम यह है क आज ड ी वाले बेरोजगार क सं या बढ़ती जा
रह है और बेरोज़गार एक ख़तरनाक बीमार क तरह फैल हुई है । हालाँ क ट चर क यह िज़ मेदार
है क वह टूड स का कै रयर पाथ (career path) बनाए, ले कन ऐसा कसी भी ट चर ने नह ं कया।
इसका कारण यह है क ट चर को शायद ख द
ह आधु नक श ा णाल और कै रयर म उसके
मह व का ान नह ं है । तो कौन बताएगा हम हमारे कै रयर के बारे म?
श ा णाल म स ध
ार
श ा णाल म स ध
ार के लए हमारा स झ
ाव है क आप पाँचवी क ा तक ब च को इंि लश, हंद ,
ग णत, और कं य ट
र क आधु नक श ा द। केवल उ ह ं ब च को अगल क ा म कर जो पर ा
पास कर। पाँचवी क ा के बाद श ा को तीन भाग म बाँट द। यह भाग ह - आ स (Arts), कॉमस
(Commerce), और टे म (STEM - Science, Technology, Engineering, and Math).
छठ क ा से दसवीं क ा तक ब च को उनक यो यता के अन स
ार इन तीन म से कसी एक भाग म
श ा द। उसके बाद दो साल इसी श ा को नौकर म उपयोग के लए ायो गक े नंग द। केवल
उ ह ं ब च को अगल क ा म कर जो पर ा नक़ल से नह ं बि क अपनी यो यता से पास कर। ऐसी
नई श ा णाल के लए नये अ यापक क आव यकता होगी जो टूड स को आधु नक श ा द
सक । प र ु ाने अ यापक को बदल कर कूल म नये अ यापक रखने ह गे िजनक सैलर (salary)
उनक यो यता और टूड स के प रणाम पर नभर होगी।
Education in Delhi Schools: Rhetoric vs. Reality. Research Report by Rakesh Raman. June 2018. Page 29 of 52