Divya Prakash Aug. 2013 | Page 23

&y{eh dkUr feJ U;w dkyksuh] nsofj;k हभाये धभण ग्रॊथेआ भें कहा गमा है कक दे वी- दे वताओॊ क दशणन भात्र से हभाये सबी ऩाऩ अऺम ऩुण्म भें फदर जाते हेऄ। कपय बी िी गणेश े औय ववष्ट्णु की ऩीि क दशणन वक्जणत ककए गए हेऄ। गणेशजी औय बगवान ववष्ट्णु दोनेआ ह सबी े सुखेआ को दे ने वारे भाने गए हेऄ। अऩने बततेआ क सबी दखेआ को दय कयते हेऄ औय उनकी शत्रुओॊ े ु ू से यऺा कयते हेऄ। इनक ननत्म दशणन से हभाया भन शाॊत यहता है औय सबी कामण सपर होते हेऄ। े गणेशजी को रयवि-ससवि का दाता भाना गमा है । इनकी ऩीि क दशणन कयना वक्जणत ककमा गमा े है । गणेशजी क शय य ऩय जीवन औय ब्रहभाॊड से जुड़े अॊग ननवास कयते हेऄ। गणेशजी की सूॊड े ऩय धभण ववद्मभान है तो कानेआ ऩय ऋचाएॊ , दाएॊ हाथ भें वय, फाएॊ हाथ भें अन्न, ऩेट भें सभवि, नाबी भें ब्रहभाॊड, आॊखेआ भें ृ रक्ष्म, ऩैयेआ भें सातेआ रोक औय भस्तक भें ब्रहभरोक ववद्मभान है । गणेशजी क साभने से दशणन कयने ऩय उऩयोतत सबी सुखे शाॊनत औय सभवि प्राप्त हो जाती है । ऐसा भाना जाता है इनकी ऩीि ऩय दरयिता का ननवास होता है । गणेशजी की ऩीि क े ृ दशणन कयने वारा व्मक्तत महद फहुत धनवान बी हो तो उसक घय ऩय दरयिता का प्रबाव फढ़ जाता है । इसी वजह से इनकी े ऩीि नह ॊ दे खना चाहहए। जाने-अनजाने ऩीि दे ख रे तो िी गणेश से ऺभा माचना कय उनका ऩूजन कयें । तफ फुया प्रबाव नष्ट्ट होगा। वह ॊ बगवान ववष्ट्णु की ऩीि ऩय अधभण का वास भाना जाता है । शास्त्रेआ भें सरखा है जो व्मक्तत इनकी ऩीि क े दशणन कयता है उसक ऩुण्म खत्भ होते जाते हेऄ औय धभण फढ़ता जाता है । इन्ह ॊ कायणेआ से िी गणेश औय ववष्ट्णु की ऩीि क े े दशणन नह ॊ कयने चाहहए। ***************************** तरसी नभस्काय भॊत्रु वन्दामै तरसीदे व्मै वप्रमामै कशवस्म च |ववष्ट्णुबक्ततप्र दे दे व्मै सत्मवत्मै नभो नभ् || े ु ृ तरसी स्नान भन्त्रु गोववन्दवल्ल्बाॊ दे वीॊ बततचैतन्मकारयण ीीभ ् |स्नाऩमासभ जगिात्रीॊ ववष्ट्