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हभाये धभण ग्रॊथेआ भें कहा
गमा है कक दे वी-
दे वताओॊ क दशणन भात्र से हभाये सबी ऩाऩ अऺम ऩुण्म भें फदर जाते हेऄ। कपय बी िी गणेश
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औय ववष्ट्णु की ऩीि क दशणन वक्जणत ककए गए हेऄ। गणेशजी औय बगवान ववष्ट्णु दोनेआ ह सबी
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सुखेआ को दे ने वारे भाने गए हेऄ। अऩने बततेआ क सबी दखेआ को दय कयते हेऄ औय उनकी शत्रुओॊ
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से यऺा कयते हेऄ। इनक ननत्म दशणन से हभाया भन शाॊत यहता है औय सबी कामण सपर होते हेऄ।
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गणेशजी को रयवि-ससवि का दाता भाना गमा है । इनकी ऩीि क दशणन कयना वक्जणत ककमा गमा
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है । गणेशजी क शय य ऩय जीवन औय ब्रहभाॊड से जुड़े अॊग ननवास कयते हेऄ। गणेशजी की सूॊड
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ऩय धभण ववद्मभान है तो कानेआ ऩय ऋचाएॊ , दाएॊ हाथ भें वय, फाएॊ हाथ भें अन्न, ऩेट भें सभवि, नाबी भें ब्रहभाॊड, आॊखेआ भें
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रक्ष्म, ऩैयेआ भें सातेआ रोक औय भस्तक भें ब्रहभरोक ववद्मभान है । गणेशजी क साभने से दशणन कयने ऩय उऩयोतत सबी सुखे
शाॊनत औय सभवि प्राप्त हो जाती है । ऐसा भाना जाता है इनकी ऩीि ऩय दरयिता का ननवास होता है । गणेशजी की ऩीि क
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दशणन कयने वारा व्मक्तत महद फहुत धनवान बी हो तो उसक घय ऩय दरयिता का प्रबाव फढ़ जाता है । इसी वजह से इनकी
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ऩीि नह ॊ दे खना चाहहए। जाने-अनजाने ऩीि दे ख रे तो िी गणेश से ऺभा माचना कय उनका ऩूजन कयें । तफ फुया प्रबाव
नष्ट्ट होगा। वह ॊ बगवान ववष्ट्णु की ऩीि ऩय अधभण का वास भाना जाता है । शास्त्रेआ भें सरखा है जो व्मक्तत इनकी ऩीि क
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दशणन कयता है उसक ऩुण्म खत्भ होते जाते हेऄ औय धभण फढ़ता जाता है । इन्ह ॊ कायणेआ से िी गणेश औय ववष्ट्णु की ऩीि क
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दशणन नह ॊ कयने चाहहए।
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तरसी नभस्काय भॊत्रु
वन्दामै तरसीदे व्मै वप्रमामै कशवस्म च |ववष्ट्णुबक्ततप्र दे दे व्मै सत्मवत्मै नभो नभ् ||
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तरसी स्नान भन्त्रु
गोववन्दवल्ल्बाॊ दे वीॊ बततचैतन्मकारयण ीीभ ् |स्नाऩमासभ जगिात्रीॊ ववष्ट्