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इस भॊत्र का उच्चायण कयते हुए बगवान सूमदेव को दग्ध से स्नान कयाना चाहहएण
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काम धेनु समूद भूतं सर्वेषां जीर्वन ऩरम ्A ऩार्वनं यऻ हे तुश्च ऩयः स्नानाथथ समर्ऩथतम ्AA
बगवान सूमदेव की ऩूजा क दौयान इस भॊत्र को ऩढ़ते हुए उन्हें द ऩ दशणन कयाना चाहहएण
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साज्यं च र्वर्तथ सं बह्ननणां योह्जतं मयाA दीऩ गहाण दे र्वेश त्रैऱोक्य र्तममरा ऩहम ्AA
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इस भॊत्र का उच्चायण कयते हुए बगवान सूमदेव को चन्दन सभऩणण कयना चाहहएण
ददव्यं गन्धाढ़्य सुमनोहरम ्A र्वबबऱेऩनं रह्श्म दाता चन्दनं प्रर्त गह यन्तामAA
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इस भॊत्र को ऩढ़ते हुए बगवान सूमदेव को वस्त्राहद अऩणण कयना चाहहएण
शीत र्वातोष्ण संत्राणं ऱज्जाया रऺणं ऩरम ्A दे हा ऱंकारणं र्वस्त्र मतः शांर्त प्रयच्छ में AA
बगवान सूमदेव की ऩूजा क दौयान इस भॊत्र का उच्चायण कयते हुए उन्हें मऻोऩवीत सभऩणण कयना चाहहएण
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नर्वमभ स्तन्तु ममयथक्तं बत्रगुनं दे र्वता मयम ्A उऩर्वीतं मया दत्तं गहाणां ऩरमेश्र्वरःAA
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इस भॊत्र को ऩढ़ते हुए बगवान सूमदेव को घत स्नान कयाना चाहहएण
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नर्वनीत समुत ऩन्नं सर्वथ संतोष कारकम ्A घत तभ्यं प्रदा स्यामम स्नानाथथ प्रर्त ग