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को हानि पहुंचानदे सदे भी सुरतक्त रखना होगा । यह हम सभी का परम कर्तवय है ।' डा . आंबदे््र की लोकतंत् की सं््पना राजनीतिक स्वतंत्ता , समता तथा बंधुत्व की आम सं््पना सदे अधिक वयापक थी । उनहोंनदे लोकतंत् के आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर बल दिया और यह कहा कि यदि आर्थिक और सामाजिक लोकतंत् न हुआ तो के्वल राजनीतिक लोकतंत् सफल नहीं हो पाएगा ।
लोकतंत्र की परिभाषा
डा . आंबदे््र नदे अनदे् दार्शनिकों , समाजशाशसत्यों तथा राजनीतिज्ों द्ारा की गई लोकतंत् की परिभाषाओं का उल्लेख किया है । ्वलॉ्टर बॅगदेहोट की परिभाषा ' चर्चा के माधयम सदे शासन ' तथा लिंकन की परिभाषा ' जनता का , जनता के लिए जनता द्ारा किया जानदे्वाला शासन ' ्वह त्वशदेर रूप सदे याद करतदे हैं । तथापि
इन बहुश्रुत और रूढ़ परिभाषाओं सदे भिन्न ्वह लोकतंत् को ' रकतपात पर निर्भर न करतदे हुए जनता के आर्थिक और सामाजिक जी्वन में रिांतिकारी परर्वतमान लानदे्वाली शासन प्रणाली ' कहतदे हैं । ्वह कहतदे हैं कि ' जिस शासन प्रणाली में शासकों द्ारा जनता के आर्थिक और सामाजिक जी्वन में आमूल परर्वतमान लाना संभ्व हो तथा जिनहें जनता भी रकतपात सदे मुकत बिना शिकायत स्वीकार कर लदे , उसदे मैं लोकतंत् मानता हूं । यही इसकी असली परीक्ा है । यह परीक्ा अतयंत ्त्ठन हो सकती है । परंतु जब आप किसी ्वसतु के गुण-दोषों का मू्यां्न करतदे हैं तो आपको कडी- सदे-कडी कसौटी का प्रयोग करना ही चाहिए ।' इससदे सपष्ट है कि डा . आंबदे््र लोकतंत् को एक अंतिम लक्य नहीं बल्् ्वांछित सामाजिक और आर्थिक परर्वतमान लानदे का एक प्रभा्वशाली साधन मानतदे थदे ।
' सामाजिक और आर्थिक लोकतंत् तो राजनीतिक लोकतंत् की कोशिकाओं और तंतुओं ( तट्यू ऐंड फाइबर ) के सथान हैं । कोशिकाओं और तंतु जितनदे बल्वान होंगदे उतना ही शरीर भी बल्वान होगा ,' यह उनका दृढ़ त्व््वास था ।
fnlacj 2024 7