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राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति

आयोग में खाली हैं चार पद

अनुसदूदरत जनजाति आयोग में अधयक्ष सहित चार पद खाली हैं । राषट्रीय

संवैधानिक प्रकृति के इन पदों में 27 जदून 2023 से अधयक्ष एवं उपाधयक्ष पद और सद्यों के दो पद 27 जुलाई 2019 एवं 16 जनवरी , 2020 से रिकत हैं Iमौजदूदा अधयक्ष के वयसकतगत आधार पर इ्तीफा देने से अधयक्ष का पद खाली हुआ है ।
केंद्रीय जनजातीय मामलों के राजय मंत्री बिशवेशवर ्टुडू ने राजयसभा को बताया कि केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्ारा विभिन्न स्ोतों से प्रापत राषट्रीय अनुसदूदरत जनजाति आयोग ( एनसीएस्टी ) के अधयक्ष और सद्यों के चयन के प्र्तावों-जिनमें प्रदतसषठत वयसकततव , राजयों के मुखयमंत्री , विधायक , सांसद और सीधे शामिल हैं-की जांच मंत्रालय द्ारा की जाती है । साथि ही प्र्तादवत वयसकतयों की साख संबंधित राजय सरकारों / राजय प्राधिकारियों से सतयादपत की जाती है । एक बार केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री द्ारा अनुमोदित होने के बाद , प्र्तावों को सक्षम प्राधिकारी के विचार और अनुमोदन के लिए कैबिने्ट सचिवालय को भेजा जाता है , जिसके बाद राषट्रपति की मंजदूरी के लिए चयनित नामों को राषट्रपति के सचिवालय को भेजा जाता है । प्रदकया के अनुसार राषट्रपति एनसीएस्टी के अधयक्ष , उपाधयक्ष और सद्यों के रूप में नियुसकत के लिए नामों को मंजदूरी देते हैं । एनसीएस्टी के अधयक्ष , उपाधयक्ष और सद्यों के पदों पर शामिल होने के बाद एक गज्ट अधिसदूरना जारी की जाती है ।
जानकारी हो कि संविधान निर्माताओं ने इस तथय पर धयान दिया कि देश में कुछ समुदाय अ्पृशयता की सदियों पुरानी प्रथिा के कारण
अतयदधक सामाजिक , शैक्षिक और आदथि्मक पिछड़ेपन से पीदड़त थिे और कुछ अनय इस आदिम कृषि प्रथिाओं , बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण उतपन्न हुए थिे । भौगोलिक अलगाव के कारण उनके हितों की सुरक्षा और उनके तवरित सामाजिक-आदथि्मक विकास के लिए विशेष धयान देने की आवशयकता है । इन समुदायों को संविधान के अनु्छेद 341 और 342 के खंड 1 में निहित प्रावधानों के अनुसार कमशः अनुसदूदरत जाति और अनुसदूदरत जनजाति के रूप में अधिसदूदरत किया गया थिा । जनजातीय लोगों के सामाजिक-आदथि्मक और समग् विकास के लिए संविधान में विशेष प्रावधान और सुरक्षा उपाए प्रदान किए गए हैं और भारत सरकार द्ारा कुछ पहल भी की गई हैं , जिसमें जनजातीय उप योजना ( ्टीएसपी ) रणनीति भी शामिल है ।
जनजातीय उपयोजना ( ्टीएसपी ) रणनीति
का उद्ेशय जनजातीय लोगों का तेजी से सामाजिक-आदथि्मक विकास करना थिा । राजय की जनजातीय उपयोजना के तहत प्रदान की जाने वाली धनराशि प्रतयेक राजय या केंद्रशासित प्रदेश की एस्टी आबादी के अनुपात में कम से कम बराबर होनी चाहिए । इसी प्रकार केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों को भी जनजातीय उप-योजना के लिए अपने बज्ट से धनराशि निर्धारित करने की आवशयकता होती है । योजना आयोग द्ारा जारी दिशादनददेशों के अनुसार , जनजातीय उपयोजना निधि गैर-परिवर्तनीय और गैर- वयपगत योगय होनी चाहिए । राषट्रीय अनुसदूदरत जनजाति आयोग को एस्टी के सामाजिक- आदथि्मक विकास की योजना प्रदकया में भाग लेने और सलाह देने और संघ और किसी भी राजय के तहत उनके विकास की प्रगति का मदूलयांकन करने का कर्तवय सौंपा गया है । �
fnlacj 2023 19