दिया गया और वहां पर बड़े-बड़े कल-कारखानरे , खदान , बांध आदि बना दिए गए ।
यदि आंकड़ों पर गौर करें तो हम पातरे हैं कि आदिवासी दरेश की कुल आबादी का 8.14 प्रतिशत भूभाग पर हैं और भारत के भौगोलिक क्रेत्रल के 15 प्रतिशत भूभाग पर यरे निवास करतरे हैं । भारत का संविधान आदिवासी अथवा अनुसूचित जनजाति समाज को अलग सरे परिभाषित नहीं करता किनतु संविधान के
वृहत्र समुदाय सरे समपक्फ में संकोच और पिछड़ापन । यह दुखद तथय हैं कि आदिवासी समाज की 52 प्रतिशत आबादी गरीबी की ररेखा के नीचरे जीवनयापन करती है तथा 54 प्रतिशत आदिवासियों के पास आर्थिक समपदा , संचार और परिवहन की पहुंच रही है ।
भारत में आदिवासी समूहों की संखया-700 सरे अधिक है । सन् 1951 की जनगणना के मुताबिक उनकी आबादी 1,91,11 , 498 थी ,
नाकटे , बांगचू , तांगसा , आका , मिजी , मरेमबा , बु्रगुन , मर्रम , रियाम आदि प्रमुख आदिवासी जनजातियां निवास करती हैं । मधय क्रेत् का विसतार उत्र प्रदरेश के मिर्जापुर जिलरे सरे लरेकर दतक्णी और राजमहल पर्वतश्रेणी के पषशचमी भाग सरे होता हुआ दतक्ण में गोदावरी तक है । इस क्रेत् संथाल , मुंडा , उरांव , भूमिज , हो , खडि़या , बिरहोर , जुआंग , खोंडं , सवरा , गोंड , भील , बैगा , कोरकू , कमार , असरेर , बिरजा , हिल
अनुचछेद-366 ( 25 ) के अनतग्तत " अनुसूचित " का सनदभ्त उन समुदायों में करता है , जिनहें संविधान के अनुचछेद-342 में अनुसूचित किया गया है । संविधान के अनुचछेद-342 के अनुसार अनुसूचित जनजातियां वह आदिवासी या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासी समुदायों का भाग या उनके समूह हैं , जिनहें राष्ट्रपति द्ारा एक सार्वजनिक अधिसूचना द्ारा इस प्रकार घोषित किया गया है । किसी समुदाय के अनुसूचित जनजाति में विशिष्टीकरण के लिए पालन किए गए मानदणड हैं , आदिम लक्णों का होना , विशिष्ट संस्कृति , भौगोलिक बिलगांव ,
जो सन् 2001 की जनगणना में बढकर 8,43,26,240 हो गयी । आदिवासियों के निवास की दृष्टि सरे भारत के क्रेत् को चार भागों में वगटीककृत किया जा सकता है । यरे हैं- उत्र पूवटी क्रेत् , मधय क्रेत् , पषशचमी क्रेत् और दतक्णी क्रेत् । उत्र-पूवटी क्रेत् के अनतग्तत हिमालयी क्रेत् और रिह्मपुत् की यमुना-पद्ा शाखा के पूवटी भाग का पर्वतीय क्रेत् आता है । यहां गुरूंग , लिंबू , लरेपचा , आका , डाफल , अबोर , मिरी , मिशमी , सिंगपी , मिकिर , राम , कवारी , गारो , खासी , नागा , कुकी , लुशाई , चकमा , नयीशी , आदी , गालो , आपातानी , मोमपा , तागीन , शरेरदुरूपरेन , खामती , सिंगफो ,
खढिया , कोरवा , माल पहाडि़या , सौरिया , सवर सहारिया , अबूझमाडि़या , भाडि़या , बुकसा , रजिया आदि जनजातीय लोग निवास करतरे हैं । पषशचमी क्रेत् में मधय पषशचम राजसिान सरे होकर दतक्ण सहयाद्रि पर्वतश्रेणी तक का पषशचमी भाग आता है । इस भाग में मीजा , ठाकुर , कटकरी , कोलम , माडि़या , ग्रेट अणडमानी , जारवा , ओंगरे , सेंटनरेली , शोम्पेन आदि जनजातियां निवास करती हैं । दतक्ण क्रेत् के अनतग्तत गोदावरी के दतक्ण सरे कनयाकुमारी तक का समपूण्त क्रेत् आता है । इस भाग में चेंचू , कोड़ा , ररेड्ी , राजगौंड , कोया , कोलाम , कोटा , कममाद , कांडकाफ , कोंडदोरा ,
fnlacj 2022 17