BISWAS Nov 1 Issue 18 | Page 142

कोई भी व्यक्ति अपना मालिक स्वयं नहीं है, उनका मालिक कोई और हो गया है. कोरोना के नाम पर लाखों रुपये की दवा खरीदने कहा जाता रहा है. ऐसी दवाइयों का नाम भी हमने कभी नहीं सुना, फिर भी ये दवाएं ली जा रही हैं. इन महंगी और अत्यधिक जहरीली दवाओं के सेवन से लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. इन दवाओं का प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, फिर भी कोई इस पर ध्यान नहीं देता. और कोई भी डॉक्टर इसके खिलाफ बोलने को तैयार नहीं हो रहा है. हालांकि जब जनसंख्या नियंत्रण नहीं हो रहा है, तो उन्होंने 138 करोड़ भारतीयों के दिमाग पर कब्जा कर लिया है. यानी हर कोई एक 'जिंदा लाश' बन गया है! क्योंकि 'जिंदा लाशें' व्यवस्था पर कभी सवाल नहीं उठा सकती!

कभी किसी ने यह नहीं सोचा था कि मीडिया में चौंकाने वाली खबरें जानबूझकर परोसी जाएंगी. हर कोई जान हथेली पर रख कर काम करेगा. अचानक 'सामाजिक दूरी' (सोशल डिस्टेंसिंग) की अवधारणा नए सिरे से सामने आएगी. मास्क अनिवार्य होगा. परीक्षण (टेस्टिंग) अनिवार्य होगा. यहां तक कि ऐसा 'लॉकडाउन(तालाबंदी)' भी घोषित किया जाएगा, जो लोगों को घर पर कैद रखेगा. परिवहन और सभी उद्योग अचानक बाधित हो जाएंगे. लोगों में इतनी दहशत फैलेगी कि लोग बिना सोचे समझे जो मिलेगी, वो दवाइयाँ लेने के लिए दौड़-धूप करेंगे? जब मन में आए तब लाॅकडाउन, जब मन करे तब अनलॉक! अचानक ही लोगों का कारोबार बंद करना. अर्थात लोगों के जीने के अधिकार पर प्रहार करने वाला यह खेल अभी चल ही रहा है.

गुलामी इसी तरह आती है, वह भी बिना बताए, बिना कोई दृष्टांत दिए, बिना कोई पूर्वज्ञान दिए, बिना किसी चर्चा के; यह आज तक का इतिहास रहा है. किसी ने नहीं सोचा होगा कि व्यापार के लिए आए मुगल एक हजार साल से ज्यादा समय तक देश पर राज करेंगे. किसी ने सोचा भी नहीं था कि कोई ईस्ट इंडिया कंपनी डेढ़ सौ साल राज करेगी.

इसी प्रकार वर्तमान समय में ऐसी महामारी आएगी और लोग इस महामारी से इस कदर अंधे हो जाएंगे कि वे विदेशी शक्तियों के गुलाम हो जाएंगे और एक ऐसी भयानक गुलामी, जो पहले कभी नहीं देखी गयी, वह फिर से पैदा होगी, जिसे 'नई दुनिया का आदेश' (न्यू वर्ल्ड आर्डर) कहा जाता है, लागू हो जाएगा. क्योंकि हम सब फिलहाल टीकाकरण कार्यक्रम में ही फंसे हुए हैं....

'विनाशकाले

विपरीत बुद्धि....'