Basant 10 Feb 3013 | Page 25

Sushil Sarna

‎(शीर्षक----"बसंत " / सप्ताह 1) पर एक प्रयास

तुम ही आदि हो तुम ही अंत हो .....

तुम ही आदि हो तुम ही अंत हो

इस जीवन का तुम बसंत हो

नयन आँगन का तुम मधुमास हो

अतृप्त अधरों की तुम ही प्यास हो

तुम ही सुधि हो मेरे मधु क्षणों की

मेरे एकांत का तुम अवसाद हो

नयन पनघट पे मिलन का पंथ हो

इस जीवन का तुम ही बसंत हो .......

तुम ही हो जीवन की परिभाषा

मिलन-ऋतु की तुम अभिलाषा

भ्रमर आसक्ति का मधुर पुष्प तुम

बिन दरस दृग तुम बिन प्यासा

इस प्रेम विरह का तुम अंत हो

इस जीवन का तुम ही बसंत हो .......

सुशील सरना /11/02/2013