समाचार सार
जनजातीय सांस्कृ तिक विरासत का संरषिण
कें( टीआरआई) को समर्थन ' के अंतर्गत
द्र सरकार द्ारा प्रायोक्जत योजना ' जनजातीय अनुसंधान संस्थानों
राज्यों एवं केंद्र शाक्सत प्रदेशनों( यूटी) द्ारा प्रसतुत वाक्ष्वक कार्य योजना के आधार पर राज्यों एवं केंद्र शाक्सत प्रदेशनों में 29 जनजातीय अनुसंधान संस्थानों( टीआरआई) को क्वत्ीय सहायता प्रदान की जा रही रही है । यह सहायता जनजातीय मामलनों के मंरिालय के सक्चव की अधयक्षता वाली शीर्ष सक्मक्त के अनुमोदन के अधीन है । योजना के अंतर्गत अन्य क्वषयनों के साथ-साथ अनुसंधान और प्रलेखन गक्तक्वक्धयनों और प्रक्शक्षण तथा क्षमता क्िर्माण काय्वरिमनों, आक्दवासी तयौहार के आयोजन, अनूठी सांस्कृक्तक क्वरासत और पर्यटन को बढ़ावा देने के क्लए यारिाओं और आक्दवाक्सयनों द्ारा आदान- प्रदान यारिाओं के आयोजन से संबंक्धत प्रसताव आयोक्जत क्कए जाते हैं क्जससे उनकी सांस्कृक्तक प्रथाओं, भाषाओं और अनुष्ठािनों को संरक्क्षत और प्रसारित क्कया जा सके । योजना के अंतर्गत, अमूर्त जनजातीय सांस्कृक्तक क्वरासत को दसतावेक्जत करने और संरक्क्षत करने के क्लए कई पहल की गई हैं । इनमें समृद्ध जनजातीय सांस्कृक्तक क्वरासत को बढ़ावा देने के क्लए
ऑक्डयो क्वजुअल वृत्तचित्रों सक्हत अनुसंधान अधययन एवं दसतावेजीकरण, क्जसमें जनजातीय भाषाओं का संरक्षण भी शाक्मल है ।
साथ ही आक्दवासी क्चक्कतसकनों और औषधीय पौधनों, आक्दवासी भाषाओं, ककृक्ष प्रणाली, नृतय और चित्रकलाओं द्ारा सवदेशी प्रथाओं का अनुसंधान और दसतावेजीकरण, साक्हन्तयक उतसवनों का आयोजन, आक्दवासी लेखकनों एवं लेक्खकाओं द्ारा क्लक्खत पुसतकनों का प्रकाशन, अनुवाद कार्य और साक्हतय प्रक्तयोक्गताएं आक्द भी शाक्मल है । नई क्शक्षा नीक्त-2020 के अनुरूप बहुभाषी क्शक्षा( एमएलई) हसतक्षेप के तहत आक्दवासी भाषाओं में कक्षा-एक से पांच तक के छात्रों के क्लए द्विभाषी शबदकोश, त्रिभाषी प्रवीणता मलॉड्ूल, प्राइमर तैयार करना, आक्दवासी भाषाओं में वर्णमाला, स्ािीय कक्वताएं और कहाक्ियां प्रकाक्शत करना, आक्दवासी साक्हतय को बढ़ावा देने के क्लए क्वक्भन् आक्दवासी भाषाओं पर पुसतकें, पत्रिका प्रकाक्शत करना, आक्दवासी लोक परंपरा के संरक्षण और संवर्धन के क्लए क्वक्भन् जनजाक्तयनों के लोकगीतनों और लोककथाओं का दसतावेजीकरण एवं मौक्खक साक्हतय( गीत, पहेक्लयां, गाथागीत आक्द)
एकरि करने का कार्य शाक्मल है ।
केंद्र सरकार ने सभी आक्दवासी सवतंरिता सेनाक्ियनों को सम्मानित करने, सवतंरिता संग्ाम और सांस्कृक्तक क्वरासत में उनके योगदान को याद करने और जनजातीय क्षेत्रों के सामाक्जक- आक््थिक क्वकास के प्रयासनों को पुनर्जीवित करने के क्लए 15 नवंबर को जनजातीय गौरव क्दवस के रूप में घोक्षत क्कया है । जनजातीय कार्य मंरिालय, अन्य केंद्रीय मंरिालयनों, राजय सरकारनों और अन्य संस्थानों के साथ क्मलकर-2021 से अपने जनजातीय लोगनों के गौरवशाली इक्तहास, संस्कृक्त और उपलब्धियनों का जश् मना रहा है । इसके अलावा केंद्र सरकार भगवान क्बरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव वर्ष मना रही है, क्जसका उद्ेशय देश भर के आक्दवासी समुदायनों के योगदान, संस्कृक्त और क्वरासत का जश् मनाना है । जनजातीय सांस्कृक्तक तत्वों को जनजातीय संग्हालयनों की प्रदश्वक्ियनों या क्डक्जटल पलेटफ़ॉर्म में एकीककृत क्कया जा रहा है । यह जानकारी लोकसभा में एडवोकेट गोवाल कागडा पडवी के अतारांक्कत प्रश्नों का उत्र देते हुए केंद्रीय जनजातीय मामलनों के राजय मंरिी दुर्गादास उइके ने दी है । �
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