जाने की घटना ने देश के अलपसंखयक क्हंदू समुदाय में भारी आरिोश पैदा कर क्दया । यह घटना रथयारिा पर्व से महज एक क्दि पहले हुई, क्जसके कारण इसकी संवेदनशीलता और बढ़ गई । कार्रवाई के क्वरोध में‘ बांगलादेश बंद’ का आह्ाि क्कया गया, क्जसका उद्ेशय अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भारत सरकार का धयाि इस गंभीर मुद्े की ओर आकक्ष्वत करना रहा ।
मंक्दर क्गराने की कार्रवाई बांगलादेश रेलवे द्ारा की गई, क्जसने दावा क्कया क्क यह मंक्दर रेलवे की जमीन पर‘ अवैध रूप से’ बनाया गया था । रेलवे के अक्धकारी दावा कर रहे हैं
क्क मंक्दर के साथ-साथ इलाके से अन्य सौ से अक्धक अस्ायी दुकािनों, राजनीक्तक कार्यालयनों और संरचनाओं को भी हटाया गया । लेक्कि स्ािीय मंक्दर सक्मक्त और कई चशमदीदनों ने इस दावे को क्सरे से खारिज करते हुए कहा क्क मंक्दर पर क्बिा क्कसी पूर्व सूचना के बुलडोजर चलाया गया और वहां रखी मूक्त्व को भी खंक्डत क्कया गया । मंक्दर सक्मक्त के सक्चव अर्जुन रलॉय ने आरोप लगाया क्क मंक्दर पर पहले भी हमला हो चुका था । गत 23 जून की रात लगभग पांच सौ से अक्धक कट्टरपंक््यनों की उत्माक्दत भीड़ ने मंक्दर पर धावा बोला था, जबक्क उस समय मंक्दर के भीतर श्रद्धालु मौजूद थे और क्फर हमले के तीन क्दि बाद मंक्दर को धवसत कर क्दया गया, जबक्क आसपास बनी अन्य कक््त अवैध संरचनाओं को नहीं छुआ गया ।
घटना के बाद बांगलादेश के कई शहरनों में क्वरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए । ढाका, चटगांव, क्सलहट और बारीसाल जैसे प्रमुख शहरनों के अलावा कई क्वश्वविद्यालय परिसरनों में मानव श्रृंखलाएं बनाकर क्वरोध दर्ज कराया गया । प्रदर्शन कर रहे क्हंदू संगठिनों का कहना था क्क अगर मंक्दर को अवैध बताकर क्गराया गया तो उसी जमीन पर बनी मस्जिदनों और मदरसनों को क्यों नहीं हटाया गया? इससे सपष्ट है क्क
सरकार में कट्टरपंथी ततव प्रभावी भूक्मका में आ चुके हैं । घटना के बाद रेल मंरिालय के सलाहकार मुहममद फौजुल कबीर खान ने दावा क्कया क्क मूक्त्व को उक्चत सममाि के साथ बालू नदी में क्वसक्ज्वत क्कया गया, लेक्कि स्ािीय लोगनों ने बताया क्क मूक्त्व को तोड़ा गया और उसका कोई क्वसर्जन नहीं हुआ ।
केंद्र सरकार ने घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा क्क यह मंक्दर चरमपंथी संगठिनों के दबाव में क्गराया गया । बांगलादेश सरकार की क्जममेदारी है क्क वह अलपसंखयकनों और उनके धाक्म्वक स्लनों की सुरक्षा सुक्िश्चित करे । भारत इस मुद्े को लंबे समय से क्वक्भन् मंचनों पर उठाता रहा है और ऐसी घटनाओं से लगातार नाराजगी जाक्हर करता रहा है ।
बांगलादेश में रह रहे क्हत्दुओं की जनसंखया लगभग 8-9 प्रक्तशत है । क्पछले कई वषयों से दुर्गा पूजा पंडालनों, मंक्दरनों और मूक्त्वयनों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं । इसके कारण क्हत्दुओं में असुरक्षा की भावना बढ़ी है.‘ बांगलादेश बंद’ का आह्ाि इसी असंतोष और डर की अक्भव्यक्त के रूप में देखा गया । इस घटना ने एक बार क्फर बांगलादेश में अलपसंखयकनों की न्स्क्त और धाक्म्वक सवतंरिता पर सवाल खड़े कर क्दए हैं । �
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