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आवरण कथा

पाक्कसताि, अफगाक्िसताि, बांगलादेश, नेपाल, श्रीलंका और मयांमार जैसे देशनों ने भी नागरिकता रक्जसटर या पहचान परि बना रखे हैं, क्जससे शरणाक््थियनों और घुसपैक्ठयनों पर क्िगाह रखी जा सके ।
ऐसे में भारत के क्लए आवशयक हो गया क्क अपनी चुनाव प्रक्रिया को घुसपैठ के नकारातमक प्रभाव से बचाने के क्लए नागरिकता रक्जसटर बनाए । देश में जनकलयाण योजनाओं का क्षेरि लगातार बढ़ता जा रहा है । ऐसे में सरकारी योजनाओं का लाभ उन अवैध घुसपैक्ठयनों को भी क्मल रहा है, जो फजशी दसतावेज के आधार पर सवयं को भारत का नागरिक क्सद्ध करके उन गरीब और असहाय लोगनों का क्हससा चुरा रहे हैं, क्जि दक्लत, गरीब एवं असहाय लोगनों के कलयाण के क्लए योजनाएं चलाई जा रही हैं । देश में नागरिकता रक्जसटर बनाने की प्रक्रिया से घुसपैक्ठए न तो योजनाओं का अनुक्चत लाभ उठा पाएंगे और न ही जनादेश को भी प्रभाक्वत कर पाएंगे ।
गायब िदुए 65 लाख मतदाता
क्बहार में मतदाता सूची के क्वशेष गहन पुनरीक्षण का प्रथम चरण पूरा होने के बाद क्िर्वाचन आयोग की ओर से जारी ड्ाफट मतदाता सूची में 65 लाख से अक्धक नाम हटा क्दए गए । गत 1 अगसत को सभी राजनीक्तक दलनों को ड्ाफट मतदाता सूची दे दी गई । आयोग ने बताया क्क राजय में 7.24 करोड़ से अक्धक मतदाताओं ने गणना फलॉम्व भरे, जबक्क क्वशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया से पहले की मतदाता सूची में 7.89 करोड़ मतदाता पंजीककृत थे । आयोग का कहना है क्क बाकी बचे 65 लाख वोटर ' लापता ' पाए गए । इनमें अक्धकतर की मौत हो चुकी है या उनके नाम दो जगहनों पर हैं या क्बहार से स्ायी रूप से पलायन कर चुके हैं या उनका कोई पता नहीं चल रहा है ।
आयोग के अनुसार राजधानी पटना में सबसे जयादा 3.95 लाख वोटर्स के नाम मतदाता सूची में शाक्मल नहीं क्कए गए हैं । इसी तरह पूवशी चंपारण, मधुबनी और गोपालगंज, तीिनों क्जलनों
में से प्रतयेक में तीन लाख से अक्धक मतदाता ड्ाफट रोल में नहीं हैं । अन्य दस क्जलनों में 2-2 लाख मतदाताओं की क्गरावट देखी गई है, जबक्क 13 क्जलनों में ड्ाफट रोल में एक लाख से अक्धक मतदाताओं की कमी हुई है । ऐसे में समझा जा सकता है क्क आक्खर क्वपक्ष दलनों क्यों सड़क से लेकर संसद तक धरना-प्रदर्शन करके क्वशेष गहन पुनरीक्षण का क्वरोध कर रहे हैं ।
आयोग को गलत ठहराने के लिए फजशी दस्तावेज का प्योग
क्िर्वाचन आयोग की आगामी क्वधानसभा चुनाव के क्लए जारी क्वशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया का क्वरोध करने वाले क्वपक्षी दल येन- केन-प्रकारेण प्रक्रिया को रोकने की कोक्शश कर रहे हैं । इसके क्लए असतय एवं भ्ामक तथ्यों और आरोपनों का सहारा क्लया जा रहा है । इसका एक उदाहरण राजय के पूर्व उपमुखयमंरिी, सह
तेजस्वी यादव और लालू प्साद यादव
नेता प्रक्तपक्ष तेजसवी प्रसाद यादव के रूप में देखा जा सकता है ।
क्वशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के बाद जारी मतदाता सूची के प्रारूप को गलत क्सद्ध करने के क्लए उत्हनोंिे एक फजशी दसतावेज का प्रयोग क्कया । उत्हनोंिे आरोप लगाया क्क क्वशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के बाद प्रकाक्शत प्रारूप मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है । अपने आरोपनों को सही क्सद्ध करने के क्लए उत्हनोंिे एक मतदाता पहचान परि को भी सामने रखा । तेजसवी के आरोप को क्िर्वाचन आयोग ने गलत बताया, साथ ही क्जला क्िर्वाचन पदाक्धकारी ने मतदाता सूची सक्हत आयोग के पास उपलबध सभी दसतावेज उपलबध कराते हुए उन्हें बताया क्क उनका नाम दर्ज है ।
लेक्कि तेजसवी ने जो मतदाता परि क्दखाया था, उसकी वास्तविकता पर प्रश् पैदा हो गए हैं । तेजसवी द्ारा बताए गए नंबर का आयोग के
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