रयामयास्वयामी िया्कर ्या अन्नादरुरयाई में से किसे सयामयानजक आनदोलन कया िया्क मयािते हैं ?
आजादी के समय सबसे पहले सामाजिक आनदोलनों के नायकों ने दठक्ण भारत में सबसे अग्रणी भूमिका ई . बी . रामास्वामी नायकर तथा अन्ादुराई की रही है । डा . राममनोहर लोहिया ने समता मूलक समाज के निर्माण हेतु नारा दिया था ‘ समाज्वाद ने बांधा गाठ , पिछड़ा पा्वें सौ में साठ ’, ‘ अंग्रेजी में काम न होगा फिर से देश गुलाम न होगा ’। लोकनायक जयप्रकाश ने भी छात् आंदोलन के समय मान्व-मान्व में भेदभा्व मिटाने की दृषषटकोण से कहा था कि ‘ जे . पी . का संदेश यु्वक बचाओ अपना देश , भा्वी इतिहास तुम्हारा है ’ I परनतु दठक्ण के ई . बी . रामास्वामी नायकर और अन्ादुराई जी उत्र भारत में उतना असर नहीं डाल पाए , जितना दठक्ण भारत में डाला । इसका कारण यह था कि दठक्ण के दोनों नायकों को हिनदी ठ्वरोधी माना गया ।
• समयाजवयाद , सयाम्वयाद और मिरुवयाद में आप क्या अनतर पयाते है ? जिस समयाजवयाद की धयारया डया . लोनह्या ने शरुरू की , वह किस हद तक सफल हरुई ्या नहीं नहीं , उसके पीछे क्या कयारण रहे ?
इस देश में समाज्वाद , पूंजी्वाद और साम्य्वाद के बीच का दर्शन है । लेकिन ्वहीं मनु्वाद समाजिक ठ्वषमता का पोषक है । समाज्वाद हर प्रकार के गैरबराबरी को मिटाने का संकषलपत दर्शन है । यही नहीं , समाज्वाद , सामाजिक ठ्वषमता और आर्थिक ठ्वषमता दोनों के मुखालफत का दर्शन है । देश की आजादी के बाद डा . लोहिया ने पाया था कि देश में सामाजिक ठ्वषमता और आर्थिक ठ्वषमता दोनों जटिल समसया है । आज सामाजिक ठ्वषमता मिटाने में आंशिक सफलता तो मिली है । लेकिन आर्थिक ठ्वषमता की खाई बनी हुई है ।
• जे . पी . ने जो समपूर्ण क्रान्ति कया ियारया किस हद तक समयाज के अनदर कयारगर सयानबत हरुआ ? और नहीं हरुआ तो उसके पीछे क्या कयारण रहे ?
1974-75 में पटना के गांधी मैदान में छात् संघर्ष समिति के तत्वाधान में आयोजित ऐतिहासिक जनसभा में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने सम्पूर्ण क्राषनत का उदघोष करते हुए संघर्ष करने हेतु शंखनाद किया था । उस समय मैं मधुबनी जिला छात् संघर्ष समिति का जिलाधयक् था और मैं उदघोठषत सम्पूर्ण क्राषनत के ऐतिहासिक क्ण का ग्वाह बना । बिहार बंद कार्यक्रम में 17 माह मीसा कानून के अनतगतित जेल में भी रहा । गांधी मैदान में सम्पूर्ण क्राषनत के उदघोषणा के बाद ठ्वदेशी पत्कारों ने जे . पी . से पूछा था कि इस सम्पूर्ण क्राषनत की वयाखया कया है ? तो जे . पी . ने बिना कहा था कि मेरे अनुज डा . लोहिया जी का ‘ सपत क्राषनत ’ ही ‘ सम्पूर्ण क्राषनत ’ है । इसलिए मेरा मानना है कि सम्पूर्ण क्राषनत भी सत्ा परर्वततिन की ही लड़ाई थी । इसमें जो कुछ लोग व्यवसथा परर्वततिन की आशा रखते चले आ रहे हैं , उनहें निराशा ही हाथ लगेगी । ्वास्तव में सम्पूर्ण क्राषनत आनदोलन का व्यवसथा परर्वततिन से कुछ लेना-देना नहीं था , के्वल सत्ा परर्वततिन उद्ेशय था और ्वह पूर्ण सफल भी हुआ ।
• वयामपंथी नवचियारक कयाल्ण मार्क्स ने अपने सिदयांत में धर्म को अफीम की संज्ञा दी है । जबकि इसे न तो सयाम्वयादी ही अमल में लया पयाए और न ही समयाजवयादी । आप इस
सिदयांत को किस रूप में देखते हैं ?
मेरी समझ ए्वं जानकारी जहां तक है , उसके आधार पर कह सकता हूं कि चीन में साम्य्वादी व्यवसथा है । ्वहां ्वोट के लिए धार्मिक पहचान दिखाने पर कठोरता से कुचला जाता है । ्वहां एक ही पाटटी है और ्वह है कम्युनिसट पाटटी । जबकि भारत में समाज्वादी हो या साम्य्वादी , दोनों ही सभी धममो का आदर करते नजर आते है । यहां समाज्वादी हो या साम्य्वादी हो , दोनों ्वोट की राजनीति में ठ्वश्वास करते है और दोनों ही स्वति धर्म समभा्व की नीति अपनाते है । इसीलिए समाज्वादी और साम्य्वादी यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं कि धर्म एक अफीम है ।
• क्या आप यह मयािते है कि आज मिरुवयाद कया विरोध करने वयाले रयाजनेतया सिर्फ दिखयािे के लिए मिरुवयाद कया विरोध करते हैं और ऐसे ही रयाजनेतया मिरुवयाद के पोषक बन रहे हैं ?
देश में दुख के दो कारण हैं मनु्वाद और मनी्वाद । ्वोट की राजनीति के कारण मनु्वाद के ठ्वरोध में लगातार रट लगाने ्वाले राजनेता ऊपर से मनु्वाद ठ्वरोधी ते्वर में दिखते हैं , परनतु भीतर से मनी्वाद का शिकार हो जाया करते हैं । चुना्वी प्रणाली के कारण राजनेताओं द्ारा झूठे आश्वासन का राग अलापा जाता है ,
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