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'' बांगलादेश में रहने वाले हिनदुओं की तज्मेदारी से बच नहीं सकते ''

राष्ट्रीय ्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार

राष्ट्रीय सवरंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने स्पष्ट

किया हैं कि बांगलादेश में हिंदुओं के साथ अनरार, प्रताड़ना और हिंसा सिर्फ सतिा परिवर्तन की वजह से नहीं हुआ है, बषलक यह एक सतत प्रक्रिया है । बांगलादेश के हिंदू भारत की जिममेदारी हैं और हम इस जिममेदारी से बच नहीं सकते । बेंगलुरु में संपन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में पारित प्रसताव की जानकारी देते हुए उनहोंने कहा कि प्रसताव में हिंदुओं के विरुधि जारी हिंसा के पीछे बांगलादेश की सरकार और संसथाओं के समर्थन कमो लेकर गहरी चिंता जताई गई है । बांगलादेश में हिंदू विरमोध कमो भारत विरमोध बनाने की कमोवशश की जा रही है । बांगलादेश की षसथवत के लिए पाकिसतान और अमेरिका के डीप सटिेटि की भूमिका कमो भी रेखांकित किया गया है ।
उनहोंने कहा कि बांगलादेश में हिंदुओं कमो गरिमा और शांति के साथ जीवन जीने का हक दिलाने के लिए भारत सरकार के साथ-साथ सभी अंतरराष्ट्रीय संसथाओं और पूरी दुनिया में रहने वाले हिंदुओं कमो आगे आना हमोगा । जिस भारत कमो हम गर्व से अपना देश कहते हैं, उसे बांगलादेश के
हिंदुओं ने उतना ही आकार दिया है जितना भारत के हिंदुओं ने ।
उनहोंने कहा कि बांगलादेश में हिंदुओं कमो शांति और खुशी से रहना चाहिए । उनहें अपने देश के लिए रमोगदान देना चाहिए, लेकिन अगर भविष्य में कमोई मुषशकल षसथवत पैदा हमोती है, तमो हम पीछे नहीं हटि सकते । अगर ऐसी षसथवत आती है, तमो हम उसका समाधान करेंगे । उनहोंने इस बात पर जमोर दिया कि भारत और बांगलादेश का इतिहास और सभरता एक समान है । उनहोंने कहा कि यह दुर्भागरपूर्ण है कि 1947 में विभाजन हुआ । हमने जमीन का बंटिवारा किया, जनसंखरा का नहीं । दमोनों देशों ने अलपसंखरकों की सुरषिा पर सहमति जताई थी । नेहरू-लियाकत समझलौते पर भी हसताषिर किए गए थे । यह दुर्भागरपूर्ण है कि बांगलादेश ने कभी इसका सममान नहीं किया ।
बांगलादेश की षसथवत पर चिंता वर्त करते हुए उनहोंने कहा कि इसे राजनीतिक मुद्े के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए । शासन बदल गया है, लेकिन हिंसा का कारण वसफ़्क यही नहीं है । इसका एक धार्मिक पहलू भी है । प्राथमिक और निरंतर लक्र हिंदू और अनर अलपसंखरक हैं । हिंदुओं और अलपसंखरकों का उतपीड़न कमोई नई बात नहीं है । यह बांगलादेश में हिंदू समुदाय के लिए अषसततव का संकटि है । इस हिंसा के लिए जिममेदार लमोग इसे न केवल हिंदू विरमोधी, बषलक भारत विरमोधी भी बनाने की कमोवशश कर रहे हैं । इस संबंध में कई नेताओं ने बयान दिए हैं । भारत और उसके पड़ोसियों के बीच अविशवास और मतभेद पैदा करने की कमोवशश की जा रही है । इसके पीछे कई अंतरराष्ट्रीय ताकतें हैं । हमने पाकिसतान और अमेरिकी डीप सटिेटि की भूमिका पर चर्चा की है । बांगलादेश में हिंदू समुदाय के साथ एकजुटिता से खड़े हमोने का आह्ान किया गया है । प्रसताव में इस चिंता का उललेख किया गया है और जब तक सामानर षसथवत पूरी तरह से बहाल नहीं हमो जाती, तब तक प्रयास जारी रहने चाहिए ।
ममोथाबाड़ी में हुई हिंसा के बाद केंद्रीय वशषिा एवं उतिर-पूवथी षिेत्र विकास राजरमंत्री डा. सुकांत मजूमदार ने हिंसा से संबंधित कई वीवडरमो समोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि दवषिण मालदा के ममोथाबाड़ी से भयावह दृशर-हिंदू घरों और दुकानों कमो हिंसक भीड़ द्ारा तोड़ा गया ।
ममता बनजथी और उनकी मूकदर्शक बंगाल पुलिस ्रा कर रहे हैं? चुपपी । यह उनकी बेशर्म तुष्टिीकरण राजनीति की कीमत है- कानूनहीनता, भय और हिंदुओं के साथ अनरार!
उधर राष्ट्रीय सवरंसेवक संघ( आरएसएस) ने बंगाल सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते
हुए हिंसा कमो ' सरकार की विफलता ' बताया । संघ ने प्रबुधि समाज से इन षसथवतरों का सामना का आह्ान भी किया है । ममोथाबाड़ी की षसथवतरों कमो देखने के लिए संघ के एक प्रतिनिधि दल भी गया, जमो घटिना की विसतृत रिपमोटि्ट तैयार करेगा । उतिर-बंगाल प्रानत के संघ चालक
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