में ऐसा नहीं है ।
भारत में दलित जातियों का उदय विदेशी मुकसलम आकांिाओं के शासनकाल में हुआ था । मुकसलम आकांिाओं से लेकर अंग्ेजों और फिर सविंरििा भारत में कांग्ेस , वामपंथियों और अनय हिनदू विरोधी मानसिकता वाले दलों एवं नेताओं ने दलित समाज को भ्रमित करने और उनहें अपने हितों के लिए इसिेमाल करने का काम किया । समयपरिवर्तन के साथ दलित समाज अपने विकास और समग् कलयाण के लिए उनहीं ततवों पर निर्भर होता चला गया जो ततव दलितों को उनके अपने अंधेरे से बहार निकलने ही नहीं देना चाहते हैं । ऐसे ही ततव अब " जय भीम-जय मीम " का नारा देकर दलित-मुकसलम राजनीतिक
राजनीतक गठजोड़ से नहीं हो सकता ।
इस समबनध में डा . आंबेडकर ने कहा था कि किसी भी लोकतंरि का निर्माण वहां के रहने वाले लोगों के सामंजसय और तौर-तरीकों से होता है । भारतीय समाज जीवन पूर्ण रूप से जातिवाद पर आधारित है , यदि समाज में निम्न वर्ग को तशतक्ि कर देंगे तो जाति वयवसथा को उखाड़ फेंक देगा और हम लोकताकनरिक वयवसथाओं को ही मजबूत करेंगे और भारत के लोकतंरि को सुरतक्ि हाथों में पंहुचा देंगेI इसलिए बेहतर तो यह होगा कि दलित समाज अपने उन कथित नेताओं का बारीकी से खुद मूलयांकन करे कि जो उनहें सवर्णिम सपने दिखा कर मोदी सरकार और उनकी नीतियों का विरोध
आज देश का सामाजिक वातावरण सामान् नहीं है । जाति , धर्म और संप्रदाय के साथ क्ेत्रीयता में बंटा आम आदमरी राष्ट्रभाव से अलग होकर स्वहित तक सिमिट कर रह गया है । दूषित राजनरीबतक एवं आरथंक चिंतन के मध्य सांस्कृ तिक चिंतन लगभग समाप्त हो चुका है । हिन्ू समाज में जातिगत भेद और दलित जातियहों के साथ अन् जातियहों के लोगहों के मानस में स्ाबपत अव्यवहारिक एवं अवैज्ानिक तथ्य , हिन्ू समाज के सामाजिक सौष्ठव की दिशा में भारी अवरोध है ।
समाज के तथाकथित वर्तमान रखवाले , कांग्ेस और वामपंथी षड्ंरि के अनुरूप दलित जाति के उतपीडन और अतयाचार के लिए मोदी सरकार को जिममेदार ठहरा कर अपने सवाथशों को पूरा करने के लिए एकजुट हैं । सुनियोजित रणनीति के तहत ऐसा प्चार किया जा रहा है कि दलित समाज की दीं एवं दयनीय दशा के लिए तथाकथित हिनदू समाज की कुछ जातियां ( रिाह्मण और ठाकुर ) ही जिममेदार हैं । इतना ही नहीं , तथाकथित विद्ानों द्ारा ऐसा प्चारित कराया जा रहा है कि दलित जातियां हजारों विशों से हिनदू समाज में हैं और इनके निर्माण के पीछे वर्ण वयवसथा का हाथ है । जबकि वासितवकता
गठजोड़ के माधयम से सत्ा हासिल करने की फ़िराक में हैं । दलित समाज को यह समझना ही होगा कि विकास और समग् कलयाण के लिए जिस " दलित-मुकसलम गठजोड़ " के सपने दलितों को दिखाए जा रहे हैं , वह गठजोड़ 1947 में भी सामने आया था और उस समाज ततकालीन दलित नेता जोगेंद्र नाथ मंडल को मोहरा बनाया गया था । पाकिसिान निर्माण के लिए दलित समाज का समर्थन , जिन्ना को देने वाले जोगेंद्र नाथ मंडल को जब " दलित-मुकसलम गठजोड़ " के सपने की सच्चाई सामने आयी , तब तक बहुत देर हो चुकी थी और लाखों दलित इस कथित एकता की नाम पर अपनी जान गंवाने के लिए मजबूर हो गए और लाखों को मुकसलम धर्म अपना कर अपनी और परिवार की जान बचा पाए । इसलिए दलित समाज को यह समझना ही होगा कि उनका कलयाण और विकास के सिर्फ कथित नारों या दलित-मुकसलम
करने के प्ेरित कर रहे हैं । दलित समाज को एकजुट होकर उन शककिओं को भी जवाब देना होगा जो उनके कलयाण और विकास के नाम पर अपना भारत विरोधी एजेंडा चलाने की फ़िराक में हैं । दलित समाज में आज नेतृतव के अनेक सिर उभर आए हैं । वयककििि राजनीतिक महतवाकांक्ाओं की टकराहट दलित राजनीति को कमजोर कर रही है । ऐसे में यह आवशयक हो जाता है कि डा . आंबेडकर के आदशशों के प्ति वासितवक रूप से अपनी प्तिबदिा दिखाई जाए और दलित राजनीति को महतवाकांक्ाओं की टकराहट , भाई-भतीजावाद , सत्ा प्ाकपि की होड़ से दूर किया जाए तभी हम उस भारत का निर्माण कर सकेंगे , जिस भारत का सपने डॉ भीम राव राम जी राव आंबेडकर ने देखा था और जिस भारत के निर्माण की परिकलपना लेकर प्धानमंरिी नरेंद्र मोदी लगातार काम कर रहे हैंI �
vizSy 2024 19