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नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को मना कर एकजुट करने के प्रयास युद्ध ्तर पर किए जा रहे हैं , इसके बावजूद आंतरिक गुटबाजी का वायरस अपने नकारातमक प्रभाव को दिखाने से बाज नहीं आ रहा है । प्टटी का केंद्रीय नेतृति लगातार इससे निपटने के लिए तेजी के साथ सवरिय है । इसके अलावा भ्षट्चार का मुद्् भी प्टटी के सामने खड़ा हुआ है । 40 % कमीशन वाली सरकार का आरोप राजय सरकार पर लगा है तो एक विधायक की हाल में हुई गिरफ़त्री को भी विपक् एक बड़ा मुद्् बना रहा है । भ्षट्चार के मुद्े को लेकर कांग्ेस पिछले काफी समय से सवरिय है ।
हाल में भाजपा सरकार ने चार प्रतिशत मुस्लम आरक्ण को समापत करके यह आरक्ण दोनों प्रमुख चुनावी वोट बैंक लिंगायत और वोकालिगग् को दे दिया गया है । प्टटी को लग रहा है कि उसका यह निर्णय वोट बैंक को बढ़ाने में कामयाब होगा । लेकिन इसका दूसरा पक् यह भी है कि राजय के बड़ा मुस्लम मतदाता वर्ग जहां इससे नाराज है , वहीं इसका नकारातमक प्रभाव दलितों के साथ ही अनय उपजातियों में देखा जा रहा है । नाराज मुस्लम मतदाता इसके विरोध में एकजुट हो रहे है । मुस्लम मतदाताओं को अपनी-अपनी ओर
खींचने के लिए कांग्ेस और जेडीएस दोनों ही सवरिय है , पर लगता ऐसा है कि मुस्लम मतदाता एक बड़ा वर्ग कांग्ेस के खेमे में जायेगा , जिससे कांग्ेस को लाभ होने की पूरी उममीद दिखाई दे रही है । इसीलिए मुस्लम मतदाओं के बीच में जाकर उनहें कांग्ेस आ्ि्त करने में जुटी हुई है कि सत्् में आने के बाद मुस्लम आरक्ण को वह पुनः लागू करेगी । कुछ ऐसा ही प्रभाव दलितों के साथ ही अनय उपजातियों के बीच में भी है । येदिरुपप् के घर पर हुआ हमला इसी की कड़ी के रूप में देखा जा सकता है ।
चुनावी जीत के लिए भाजपा प्रतिमाओं की राजनीति में भी तेजी से सवरिय हुई है । प्रतिमाओं के अनावरण की इस राजनीति के पीछे भिन्न- भिन्न जातीय-उपजातीय समूहों को जोड़कर उनहें सत्् में वह्सेदार बनाने का आ्ि्शन दिया जा रहा है । वोकालिगग् समाज के लिए गौरव के सबसे बड़े प्रतीक केंपे गौड़् की 108 फुट प्रतिमा का अनावरण के साथ ही भाजपा नेता विभिन्न क्ेत्रों में लगभग 16 मूर्तियों का अनावरण कर चुके हैं या बनाने का घोषणा कर चुके हैं । इनमें सरदार बललभ भाई पटेल , महादे्िर ्ि्मी , देवी भुवने्िरी , अ्क् महादेवी , कन्नड़ अभिनेता राजकुमार से लेकर
शिवाजी महाराज तक की प्रतिमाएं शामिल हैं ।
भाजपा की तमाम उममीदों को धि्त करने के लिए राजय में कांग्ेस पूरी ताकत से सामने है । इसके लिए कांग्ेस में मौजूद गुटबाज नेता भी एकजुट होकर साथ में है । कांग्ेस लगातार भाजपा सरकार की नाकामियों , भ्षट्चार के साथ ही उन मुद्ों को जनता के बीच ले जा रही है , जो आम जनता से जुड़े हुए हैं । जेडीएस से समझौता करने के ्र्र पर अकेले ही चुनावी मैदान में जाने का निर्णय कांग्ेस कर चुकी हैं । भाजपा सरकार के विरुद्ध कांग्ेस जिस तेजी के साथ सवरिय है , वह भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है । कांग्ेस के राजय प्रभारी महासचिव कई माह से राजय में सवरिय है और यही वजह है कि प्टटी के सभी नेता गुटबाजी छोड़कर एकजुट होकर चुनावी मैदान में डट गए हैं ।
राजय में जेडीएस के लिए यह चुनाव अपनी प्रतिष्ठा और राजनीतिक जमीन को बचाने का यह अंतिम मौका होगा । राजनीतिक वि्लेषकों का मानना है कि अबकी बार चुनाव में जेडीएस को अगर बीस से कम सीटें मिली तो इसका पूरा लाभ भाजपा या कांग्ेस को मिलेगा । अगर ऐसा हुआ तो जेडीएस राजनीतिक रूप से कमजोर होगी और उसका भविषय खतरे में आ जायेगा ।
फिलहाल राजय में भाजपा और कांग्ेस दोनों के लिए करो या मरो जैसी स्रवत बनी हुई है । भाजपा लगातार कोशिश कर रही है कि उनके नेताओं या कार्यकर्ताओं के वयस्तगत हित या विवाद का कोई प्रभाव चुनाव में न पड़े , वहीं कांग्ेस के तमाम नेता अपने-अपने विवादों को परे रखते हुए एकजुट होकर मैदान में है । भाजपा को चुनावी जीत में प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के विकास क्ययों से लाभ्सनित होने वाले वर्ग का पूरा साथ मिलने का बड़ा सहारा बताया जा रहा है , वही कांग्ेस को ऐसा लग रहा है कि राजय की सत््रूढ़ भाजपा सरकार का नकारातमक पक् उसे सत्् तक पुनः पहुंचाने में मदद करेगा । देखना यह होगा कि आगामी 13 मई को राजय का मतदाता तमाम राजनीतिक दावों के बीच किसे सत्् तक पहुंचाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करेगा । �
50 vizSy 2023