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इसके ब द आई स ुंझी छत , घोडे व ले ने पूछ तय rest करोगे , म त के भतत , हमने कह , नहीुं बबलक ल नहीुं , अब हम रे प स नहीुं है वतत , अब तो जल्द म त के दशशन करने है , हम भी है उसके अनन्य भतत , इतने में ही श रू हो ररम झझम ब ररश , हमने कह चलते रहो , अब तो जल्द प र ू ी होगी खव ठहश । जोर से बोलो जय म त दी , स रे बोलो जय म त दी । आझखर मुंक्जल आ ही गयी करीब , कोतूहल के म रे लग रह थ बड अजीब , घोडे से कूद गए हम बडे बेतरतीब , लग रह थ ख ल गय आज हम र नसीब , जल्दी से जूते उत र कर रखे , ह थ मे उि य प्रस द , पहले मुंठदर चलो ब की सब दशशन करने के ब द । म ाँ के दशशन प कर हो गए हम रोम ुंचचत , रोम रोम हो गय ख शी से प लककत , म ाँ के दशशन क मौक जब भी अवसर शमल भततों कभी न छोडन , अपन रुख उसी ओर मोडन । जय म त दी क लग ओ जय क र , म ाँ बबन ओर कौन है हम र । जोर से बोलो जय म त दी , स रे बोलो जय म त दी । *** Writer : JAINSCBPCL Creations by Preeta Nair