इसके ब द आई स ुंझी छत ,
घोडे व ले ने पूछ तय rest करोगे , म त के भतत ,
हमने कह , नहीुं बबलक ल नहीुं , अब हम रे प स नहीुं है वतत ,
अब तो जल्द म त के दशशन करने है , हम भी है उसके अनन्य भतत ,
इतने में ही श रू हो ररम झझम ब ररश ,
हमने कह चलते रहो , अब तो जल्द प र ू ी होगी खव ठहश ।
जोर से बोलो जय म त दी ,
स रे बोलो
जय म त दी ।
आझखर मुंक्जल आ ही गयी करीब ,
कोतूहल के म रे लग रह थ बड अजीब ,
घोडे से कूद गए हम बडे बेतरतीब ,
लग रह थ ख ल गय आज हम र नसीब ,
जल्दी से जूते उत र कर रखे , ह थ मे उि य प्रस द ,
पहले मुंठदर
चलो ब की सब दशशन करने के ब द ।
म ाँ के दशशन प कर हो गए हम रोम ुंचचत ,
रोम रोम हो गय ख शी से प लककत ,
म ाँ के दशशन क मौक
जब भी अवसर शमल
भततों कभी न छोडन ,
अपन रुख उसी ओर मोडन ।
जय म त दी क लग ओ जय क र ,
म ाँ बबन ओर कौन है हम र ।
जोर से बोलो जय म त दी ,
स रे बोलो
जय म त दी ।
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Writer : JAINSCBPCL
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