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समतुदाय के िकोगको पर सेना और पतुतिस ने हिंसा कको बढ़ावा दिया । सयलहेट जिले के हबीबगढ़ में तनदवोर हिंदू पतुरुरको और महिलाओं कको पीटा गया । सेना ने न के्वि तनदवोर हिंदतुओं कको बेरहमी से मारा बपलक उनकी महिलाओं कको सैनय तशत्वरों में भेजने के लिए मजबूर किया ताकि ्वको सेना की कामतुक इचछाओं कको पूरा कर सके । मैं इस मामले कको आपके संज्ान में लाया था , मतुझे इस मामले में रिपकोटटि के लिये आश्वसत किया गया लेकिन रिपकोटटि नहीं आई ।”
पाकिस्तान की कलंक गाथा
मंडल आगे लिखते हैं , “ खतुिना जिले के कलशैरा में सशसत्र पतुतिस , सेना और सथानीय िकोगको ने निर्दयता से हिंदतुओं के पूरे गाँ्व पर हमला किया । कई महिलाओं का पतुतिस , सेना और सथानीय िकोगको द्ारा बलातकार किया गया । मैने 28 फर्वरी 1950 कको कलशैरा और आसपास के गां्वों का दौरा किया । जब मैं कलशैरा में गया तको देखा ्वह सथान खंडहर में बदल चतुका है । लगभग 350 घरों कको ध्वसत कर दिया गया था , मैंने तथ्यों के साथ आपकको यह सूचना दिया लेकिन आपने कुछ नहीं किया । ढाका में नौ दिनों के प्रवास के दौरान मैंने दंगा प्भात्वत इलाकों का दौरा किया । नारायणगंज और चंटगाँ्व के बीच रेल पटरियों पर तनदवोर हिंदतुओं की हतयाओं ने मतुझे अंदर से झकझकोर दिया । मैंने पूर्वी बंगाल के मतुखयमंत्री से मतुिाकात कर दंगा रकोकने के लिये जरूरी कदमों कको उठाने का आग्ह किया । 20 फर्वरी 1950 कको मैं बरिसाल पहतुंचा । यहाँ की घटनाओं के बारे में जानकर में चकित था । बड़ी संखया में हिंदतुओं कको जिंदा जला दिया गया और महिलाओं से बलातकार किया गया । मैंने जिले के सभी दंगा प्भात्वत इलाकों का दौरा किया , मधापाशा के जमींदार के घर में 200 िकोगको की मौत हतुई और 40 घायल थे । मतुिादी में एक प्तयक्दशटी ने बताया कि ्वहां 300 हिंदतुओं का कतिेआम हतुआ । मैंने खतुद ्वहां नर कंकाल देखे जिनहें तगद और कुत्े खा रहे थे । ्वहां पतुरुषों की हतयाओं
के बाद िड़तकयों कको आपस में बाँट लिया गया । राजापतुर में 60 िकोग मारे गये । बाबूगंज में हिंदतुओं की सभी दतुकानों कको लूटकर आग लगा दिया गया । पूर्वी बंगाल के दंगे में 10,000 से अधिक हिंदतुओं की हतयाएं हतुई । अपने आसपास महिलाओं और बच्चो कको त्विाप करते हतुए देख मेरा दिल पिघल गया और मैंने अपने आपसे पूछा , क्या मै इसिाम के नाम पर पाकिसतान आया था ।”
दलितों को हिंदू होने की मिली सजा
मंडल ने अपने तयाग पत्र में आगे लिखा , “ पूर्वी बंगाल में आज क्या हालात हैं ? त्वभाजन के बाद 5 लाख हिंदतुओं ने देश छोड़ दिया है । मतुरिमानों द्ारा हिंदू ्वकीलों , हिंदू िरॉक्टरों , हिंदू वयापारियों , हिंदू दतुकानदारों के बतह्कार के बाद उनहें आजीत्वका के लिये पलायन करने के लिये मजबूर करना पड़ा । मतुझे मतुरिमानों द्ारा हिंदतुओं की बतच्यों के साथ बलातकार की लगातार जानकारी मिल रही है । हिंदतुओं द्ारा बेचे गये सामान की मतुरिमान पूरी कीमत नहीं दे रहे हैं । पाकिसतान में इस समय न ककोई नयाय है , न कानून का राज , इसीलिए हिंदू अतयतिक चिंतित हैं । पूर्वी पाकिसतान के अला्वा पपशचमी पाकिसतान में भी ऐसे ही हालात हैं । त्वभाजन के बाद पपशचमी पंजाब में लगभग एक लाख पिछड़ी जाति के िकोग थे उनमे से बड़ी संखया कको बलपू्व्सक इसिाम में परर्वतत्सत किया गया है । मतुझे एक लिसट मिली है जिसमे 363 मंदिरों और गतुरूद्ारे मुस्लिमों के क्जे में हैं । इनमे से कुछ कको मकोची की दतुकान , कसाईखाना और हकोटलों में त्दीि कर दिया है , मतुझे जानकारी मिली है सिंध में रहने ्वाली पिछड़ी जाति की बड़ी संखया कको जबरन मतुरिमान बनाया गया है । इन सबका कारण एक ही है । हिंदू धर्म कको मानने के अला्वा इनकी ककोई गलती नहीं है ।”
पाकिस्तानियों ने रखा मंडल के कांधे पर बंदूक
जकोगेंद्र नाथ मंडल ने अंत में लिखा , “ पाकिसतान की पूर्ण तस्वीर तथा उस निर्दयी
ए्वं कठकोर अनयाय कको एक तरफ रखते हतुए मेरा अपना अनतुभ्व भी कम दतुखदायी और पीड़ादायक नहीं है । आपने प्िानमंत्री और संसदीय पाटटी के पद का उपयकोग करते हतुए मतुझसे एक ्वक्तवय जारी कर्वाया था , जको मैंने 8 सितमबर कको दिया था । आप जानते हैं मेरी ऐसी मंशा नहीं थी कि मैं ऐसा असतय और असतय से भी बतुरा अर्धसतय ्वक्तवय जारी करूं । जब तक मै मंत्री के रूप में आपके साथ और आपके नेतमृत्व में काम कर रहा था मेरे लिये आपके आग्ह कको ठुकरा देना मतुमकिन नहीं था , पर अब मैं और अधिक झूठ दिखा्वा तथा असतय कको अपनी अंतरातमा पर नहीं थकोप सकता । मैंने अब निशचय किया कि मंत्री के तौर पर अपना इसतीरा दूँ । मतुझे उममीद है आप बिना किसी देरी के इसे स्वीकार करेंगे । आप इसिातमक सटेट के उद्ेशय कको धयान में रखते हतुए अब इस पद कको किसी कको भी देने के लिये स्वतंत्र हैं ।”
पाकिस्तान में धोखा खाकर भारत लौटे
भारत त्वभाजन के बाद मंडल पाकिसतान के संत्विान सभा के सदसय और असथायी अधयक् बने और पाकिसतान के प्थम कानून और श्म मंत्री बने । 1947 से 1950 तक ्वह पाकिसतान की ततकािीन राजधानी कराची में रहे , 1950 में पाकिसतान के ततकािीन प्िानमंत्री लियाकत अली खान कको अपना इसतीरा देने के बाद मंडल ्वापस भारत लौट आये । अपने इसतीरे में मंडल ने पाकिसतानी प्शासन के हिंदू त्वरकोिी कायषों का त्वस्तृत ह्वाला दिया । उनहोंने अपने तयाग पत्र में सामाजिक अनयाय और अलपरंखयकों के प्ति पक्पातपूर्ण व्यवहार से संबंधित घटनाओं का त्वस्तृत उलिेख किया । पाकिसतान में मंत्रिमंडल से इसतीरे के बाद जकोगेंद्र नाथ मंडल भारत आ गये । कुछ ्वर्ष गतुमनामी की जिनदगी जीने के बाद 5 अक्टूबर , 1968 कको पपशचम बंगाल में उनहोंने अंतिम सांस ली । �
50 दलित आं दोलन पत्रिका uoacj 2021