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विद्यमान हकोते हैं । मिथिला में असंखय िकोक गीत ऐसे हैं जको िकोगों कको दिशा-तनदवेशन करने के लिए रचित हैं ए्वं उनके लिए मार्गदर्शक के कार्य कर रहे हैं । इन गीतों की रचना , श्रृंगार , भक्ति , प्ेम , करुणा , ्वातरलय , ककृतर , प्ककृति ्वण्सन इतयातद से ऊपर उठकर ज्ान की परमपरा कको अक्तु्ण बनाने ए्वं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी
में सथानानतरण करने के उद्ेशय से किया गया है ।
( 5 ) भवति गीत
मैथिल अपनी भक्ति भा्वना , धार्मिक संसकार और धर्म के प्चार में यकोगदान के लिए त्वखयात हैं । अत : यह स्वाभात्वक है कि यहाँ के िकोक
गीतों में भक्ति गीत का महत्वपूर्ण सथान है । मिथिला के िकोग ्वैसे तको शक्ति के पतुजारी के रुप में त्वखयात है परन्तु तश्व उनके आदर्श दे्व हैं । राम की पूजा में भी उनका ज्वाब नहीं है । त्वद्ापति अपने िकोक गीतों के माधयम से राधा ए्वं कृष्ण कको मथतुरा से मिथिला ले आए । काली , दस त्वद्ा , दतुगा्स , जाया , ब्ह्म बाबा , गकोराउन
और ग्ामदे्वता के अला्वा सूर्य दे्व , गणेश ए्वं अनय दे्वताओं की िकोक गीतों के माधयम से पूजा हकोती है । मिथिला के मतुरिमान भी मैथिली मरसिया गीत ए्वं त्व्वाह के समय रकोहर गाते हैं ।
( 6 ) रिेम एवं सौन्दर्य के गीत
समसय मिथिला क्ेत्र ज्ान के साथ-साथ भक्ति , प्ेम ए्वं सौनदय्स के लिए त्वखयात है । त्वद्ापति ने भक्ति के अगाधभा्व कको राधा-कृष्ण , महेशबानी ्व नचारी , गंगा-गीत , भग्वती गीत के माधय से उजागर किया है ्वहीं दूसरी ओर प्ेम प्रंग ए्वं सौनदय्स का र्वा्सतिक उन्त ्वण्सन भी त्वद्ापति ने ही किया है । यह परमपरा आज भी विद्यमान है । इन गीतों के प्मतुख प्कार में तिरहतुत कको र्वा्सतिक प्चलित माना गया है । तिरहतुत गीत उत्सव , संसकार ए्वं अनुष्ठानिक अ्वररों में तको गाए जाते ही हैं , चर्खा चलाते हतुए , आटा पीसते हतुए , सीकी बिनते हतुए , खाना पकाते हतुए ए्वं अनय कायषों कको समपातदत करते हतुए मैथिली ललना इन गीतों कको गाते-गतुनगतुनाते रहती है । खेतों में कार्य करने ्वाले किसान , मजदूर , सत्री , पतुरुष , ग्वाले , चर्वाहे भी प्ेम , श्रृंगार और सौनदय्स के गीत गाते रहते हैं । तिरहतुत में मिलन का गीत है । तिरहतुत में त्वरह का भी गीत है ।
( 7 ) गौरव गीत व कथा गाथा
इस श्ेणी के अनतग्सत ्वैसे गीत हैं जको मिथिला भूमि ए्वं यहाँ के िकोगों की ऐतिहासिक , आधयापतमक , धार्मिक , माइथकोिकोतजकल महानता की गाथा कहते हैं । ऐसे गीतों में मिथिला भूमि की महानता यहाँ के ऐतिहासक ए्वं पौराणिक पात्रों की महानता की गाथा कको गाते हैं । ऐसी कथा-गाथा कको कहानी की तरह रतुनाया जाता है । इन कथा गाथाओं में प्मतुख है राजा सलहेश , अलहाऊदल , दीनाभद्री , कारिख महाराज , ककोइला बीर , ने्वार , अजतुरा , गकोपीचनद और मैना्वती इतयातद ।
संसार में शायद ही किसी अनय भाग में िकोकगीतों का इतना परत दर परत मिलता है । जितना मैथिली िकोक गीत में । मिथिला में असंखय िकोकगीत अनादि काल से चले आ रहे हैं । इनका संचार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में सामानयतया मौखिक परमपरा द्ारा हकोता रहा है । तिरहतुत गीत ए्वं यहाँ की महिला दकोनों एक दूसरे के बिना पूर्ण नहीं है और िकोकगीत की परमपरा सदा से चली आ रही है । �
uoacj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 47