-776256846 | Page 46

lkfgR ;

मैथिली लोकगीतों का असीम अथाह स्ंदन

gk

लांकि किसी भी देश , जाति , भाषा , समतुदाय अथ्वा क्ेत्र के िकोक गीतों कको चनद भागों में ्वण्सन करना बहतुत ही दतुशकर कार्य हकोता है , खासकर जब मैथिली िकोक गीतों का वर्गीकरण करना हको तको यह कार्य असंभ्व नहीं तको दुष्कर अ्वशय हको जाता है । हालांकि मैथिली िकोक गीतों कको अजय कानत मिश्ा ( १९४८ ) ए्वं माखन झा ( १९७९ ) जैसे त्वद्ानों ने वर्गीककृत करने का प्यास किया है । बहरहाल मिथिला की प्ाण्वायतु में प्रवाहित िकोकगीतों कको इन सात श्ेतणयों में वर्गीककृत किया जा सकता है ।
( 1 ) जीवन चक्र को दर्ाताते गीत
बहतुतेरे िकोक गीत जी्वन चक के विभिन्न तकया कलापों यथा जनम , नामकरण संसकार , मुण्डल संसकार , उपनयन संसकार , त्व्वाह संसकार , कुँ्वारी लड़कियों के हेततु विभिन्न अनुष्ठानिक संसकार इतयातद में गाये जाते हैं । ग्ामीण ललनाएँ बच्े के जनम के छठें दिन पर रकोहर गाकर मातमृ दे्वी षष्ट के प्ति अपना धन्यवाद ज्ातपत करती है । रकोहर गीतों कको सामानय रुप से दको भागों में त्वभक्त किया जा सकता है । जनम से समबपनित रकोहर और कभी- कभी धार्मिक रकोहर । उपनयन मुण्डन ए्वं त्व्वाह संसकार में रकोहर भी गाया जाता है । रकोहर की ही तरह कुछ बालगीत ्व िकोरी बच्ों कको खतुश करने के लिए महिलाओं द्ारा गाया जाता है । इसके अला्वा त्व्वाह संसकार से जुड़े रतुहाग से समदान या त्वदाई के गीत हैं जको त्व्वाह के तीन चार दिन पू्व्स से लेकर तद्रागमन के चार-पाँच दिन पशचात तक विभिन्न चरणों में गाए जाते
हैं ।
( 2 ) वार्षिक क्रिया कलाप को दर्ाताने वाले गीत
मिथिला के िकोग साल भर विभिन्न व्रत , तयौहार ए्वं अनय उत्सवों का आयकोजन बड़े ही धूमधाम ए्वं अनुष्ठानिक ककृतयों के द्ारा किया करते हैं । मिथिला के तयौहारों में प्मतुख हैं- रामन्वमी , जतुतिशीतल , ्वटसात्वत्री , नागपञ्चमी , मितु श्रावणी , दतुगा्सपूजा , ककोजागरा , दीपा्विी , सामाचके्वा , ततुरारी , भ्राततद्तीया , दाहा इतयातद । इन तयौहारों में विभिन्न प्कार के गीत गाए जाते हैं । ऐसे गीत ग्ामीण जी्वन में विभिन्न ॠततुओं के महत्व कको दर्शाने का काम करते हैं । इसके अला्वा ककृतर से समबंतित गीत भी हैं तको ककृतर के विभिन्न चरणों यथा खेत की जतुताई , बकोआई , बीज का छिड़का्व , फसलों का काटना इतयातद के समय में गाये जाते हैं । इस तरह के गीत ग्ामीण किसानों ए्वं महिलाओं का प्ककृति के साथ तारतमय सथातपत करने में मदद करते हैं ।
( 3 ) ॠतुओ ंसे सम्ंवधत गीत
मैथिली िकोकगीतों में ्वर्ष के हर महीने या फिर हर अ्वसथा का ्वण्सन विभिन्न संदभषों में किया गया है । इन गीतों में निराशा या ्यार में त्वरिता , सामानयतया प्ेमी या पति के अनतुपपसथती के कारण की अधिकता हकोती है । ॠततु गीतों कको सामानयतया बारहमासा , छैमासा , ए्वं चौमासा तीन श्ेतणयों में गाया जाता है । बारहमासा में बारह महिने का , छैमासा में छै महिने का ए्वं चौमासा में चार महिने का ्वण्सन हकोता है । प्ेम , करुणा , त्वरह , अभिसार , नोंक-
झोंक , भक्ति , ज्ान , इतयातद सभी चीजों का समा्वेश इन गीतों से हकोता है ।
( 4 ) ज्ानपरक गीत
मैथिल िकोक कत्वयों ने िकोकगीतों से समाज में ज्ान कको अक्तु्ण बनाने में अपना यकोगदान दिया है । ऐसे प्तयेक गीत में ज्ान के तत्व
46 दलित आं दोलन पत्रिका uoacj 2021