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सम्ूणता समाधान
ये सब करने के बाद भी राहतुि गाँधी जी कको बकोिने के लिए तको ठीक है , एकबार आपकको साक्ातकार करने का मौका मिले तको इतना जरुर पूछना कि भईया आपका शासन था तको इसमें से क्या-क्या कर पाए थे ? आप 10 साल तको रहे , उस दौरान आप सांसद भी थे , और आपकी माता जी पाटटी अधयक्ा थी .... मनमकोहन सिंह जी प्िानमनत्री थे ..... तको क्या क्या कर पाए थे ? एक बार पूछियेगा उनसे , ्वैसे साक्ातकार तको ्वे देते नहीं , लेकिन अगर कभी दें तको जरुर पूछना । त्वपक् में रहकर भी जनता का काम तको किया ही जा सकता है । मगर इतना जरूर है कि यहां आप फैसले करके परर्वत्सन कर सकते हैं , ्वहां आप फैसलों के अनदर जको छिद्र हकोते हैं , उनकको उजागर करने का काम करते हको , सिसटमेटिक रतुिार के लिय़े तको आप काम कर ही सकते हको । हमने फैसले लेते ्वक्त ये कभी नहीं रकोचा कि
ये करने से हम चतुना्व जीतेंगे या नहीं जीतेंगे और ना ही मकोदी जी की पालिसी बनाते ्वक्त ये रकोच रहती है । पालिसी बनाते ्वक्त एक ही रकोच रहती है कि ये अचछे परिणाम देगी या नहीं देगी और जको लाभाथटी है , उसका कलयाण हकोगा या नहीं हकोगा ? कई बार ऐसा हकोता है कि जनता में पहले रिएक्शन आता है और उसका कई बार राजनीतिक खामियाजा भी भतुगतना पड़ता है । हम राजनीति में राजनीतिक पाटटी कको जिताने कको नहीं हैं , हम राजनीति में देश कको आगे बढ़ाने के लिये हैं , देश की समसयाओं का परमानेनट सालयूशन लाने के लिये हैं , देश कको सममानजनक जगह पूरे त्वश्व में दिलाने के लिये हैं , देश कको रतुरतक्त करने के लिये हैं , पूरे देश कको तशतक्त करने के लिये हैं और देश की संस्कृति कको पूरे त्वश्व में उच् सथान मिले उसके लिए हम राजनीति के अंदर में हैं । स्वाभात्वक रूप से राजनीति में चतुना्व तको हम जीतना ही चाहते हैं , प्यास तको करते ही हैं , यत्न भी करते हैं उसके
लिए , परन्तु लक्य ्वको नहीं है ।
विरोध से मजबूत होते हैं मोदी , बढ़ता है हौसला
हर त्वरकोि के बाद मकोदीजी मजबूत हकोते हैं और ्वको मकोदीजी का हौसला और बढ़ाता है क्योंकि जनता का आशी्वा्सद मकोदीजी के साथ है , जनता का समर्थन उनके साथ है , जनता चट्ान की तरह नरेनद्र मकोदी जी के साथ खड़ी है । िकोकतंत्र में इससे बड़ी उपलब्ि क्या हको सकती है । एक आदमी कई बार कटु फैसले लेते हैं , कड़े फैसले लेते हैं , कई बार तको जनता के लिये भी कड़े फैसले हकोते हैं . काले धन पर जब आप नकेल कसते हको , जब आप आर्थिक रतुिार करते हको , टैक्स इरकोजन के सारे लूपहकोलर कको सील करते हको , तको कुछ िकोगों कको क्ट तको हकोता है , हको सकता है कि सालों तक हमें ्वकोट देने ्वाले भी कुछ िकोगों कको क्ट हकोता हको , मगर ्वको भी समझते हैं कि इसमें मकोदी कको कुछ नहीं मिलने ्वाला है , इसमें देश का भला हकोने ्वाला है । इसलिए , अनततकोगत्वा सब िकोग मकोदीजी के साथ जुड़ते हैं । भ्र्टाचार के आरकोपों से नहीं , भ्र्टाचार से अिकोकतप्य हकोते हैं , आरकोप तको हम पर भी लगाने का प्यास किया , मगर ्वक्त नहीं है क्योंकि पारदर्शिता है । सा्व्सजनिक जी्वन में जनता की एक करोड़ आंखें हकोती हैं जको आप कको बारीकी से देखती हैं । मकोदीजी कको देखती है , किसी कको भी बखशती नहीं है जनता ।. मगर , सा्व्सजनिक जी्वन में जब ये मालूम पड़ता है कि इसमें कुछ नहीं है , कितना भी आरकोप लगा दको , कुछ भी नहीं चिपकते हैं । आजादी के बाद भारत के िकोकतंत्र में नरेनद्र मकोदी ही एक ऐसी राजनीतिक शपखरयत हैं जिसपर हर प्कार के गंदे-घिनौने आरकोप लगाने का प्यास किया गया , भ्र्टाचार से लेकर कमयूनल राइटर से लेकर सब प्कार का , एक भी नहीं चिपका । इसका एकमात्र कारण है कि पारदशटी जी्वन है , निजी कुछ नहीं है । हर फैसले के पीछे जब खतुद का कुछ नहीं हकोता है , तको गलती भी हको , जनता इसकको स्वीकारती है ।
( संसद टरीिरी पर दिए गए इंटरव्यू पर आधारित )
uoacj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 15