शुभमस्तु December. 2012 | Page 3

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सुखमय पारिवारिक जीवन

‘श्रीसीता जी के सहित भगवान् राम की स्तुति’ का नित्य पाठ करें।

“नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम,

पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम

” (अयोध्याकाण्ड, श्लो॰ ३)

अर्थः- नीले कमल के समान श्याम और कोमल जिनके अंग हैं, श्रीसीताजी जिनके वाम-भाग में विराजमान हैं और जिनके हाथों में (क्रमशः) अमोघ बाण और सुन्दर धनुष है, उन रघुवंश के स्वामी श्रीरामचन्द्रजी को मैं नमस्कार करता हूँ।।