Vibes Magazine Issue 4 Vibes Magazine issue 4 | Page 31

लघुकथा

जून

का जीवन

-जीवंत
जून हमारे जीवन का मोड़ है । जब मौसम अपनी गम छोड़ बरसात की गली म मुड़ जाता है और िफर िमटटी की खुशबू दशहरी आम से हो कर हवा के साथ बहने लगती है ।
बचपन का जून निनहाल म ही बीतता था । एकाएक हमने निनहाल जाना बंद कर िदया और हम बड़े हो गए । हम मौसम का पहला आम निनहाल म ही चखते थे । मौसम की पहली बािरश भी निनहाल म ही होती थी । हमारे घर से कु छ ही दूर एक मावा नाम का आदमी रहता था । उसके बोलने के तरीके से िकसी को भी हंसी आ जाये । वो बड़े आराम से , सोच सोच कर , सु ती से बोलता था । एक बार सरपंच के दामाद गाँव आये और मावा से सरपंच के घर का पता पूछ िलया । मावा उनसे बात करते करते करीबन दो घंटे बाद उनको ससुराल लाया । दामाद जी ने घर म प्रवेश करते ही बोला की इतना समय तो मुझे शहर से गाँव आने म नहीं लगा िजतना बस टड से ससुराल आने म लग गया । बस िफर या था मावा को सबकी डांट का सामना करना पड़ा । लेिकन एक चीज़ म मावा को महारत हािसल थी । वो हर बार बािरश का पूवानुमान करता था । और बािरश की खबर से उसमे उमंग दौड़ जाती थी । इस बार उसने कु छ कहा ही नहीं । आिखर सबने गु से म उसे डाँट जो िदया था । एक शाम जब मने मावा से पुछा की " मामा बािरश कब होगी ?" तब बड़ी धीमी लय म उसने कहा " भ यू लोटा िगरा नहीं अब तक "। मने भी आ चय म पूछ ही िलया , " कौन सा लोटा ?" तब उसने बताया , की वो अपनी छत की मु ंडेर पर एक लोटा रख देता था । जब वो लोटा छत से आँगन म िगर जाता था उस के दो िदन प चात बािरश आ जाती थी । म चिकत हो कर वापस आ गया । अगली ही शाम सरपंच जी मावा के घर पहुचे । उनने भी आिखर सोचा की दामाद तो कल चला ही जायेगा , लेिकन बािरश का अनुमान नहीं हुआ तो बड़ा नु सान झेलना पड़ेगा । सरपंच जी ने मावा से कहा , " तुम बेटे जैसे हो , मेरी डांट का इतना बुरा मान गए "। मावा ने वही धीमी लय म बोला , की " लाला जी अब मेरे पिरवार म तो कोई है नहीं , आप ही सब तो पिरवार ह "। सरपंच जी यू ं तो बािरश का अनुमान जानने आये थे , पर मावा की बात सुन कर भावुक हो गए और छुपते हुए जाने लगे िक लोटा उनके सर पर िगर गया । यह देख मावा उ साह म पूरे गाँव म दौड़ दौड़ कर बािरश का ऐलान करने लगा । अपनी सु त प्रवृि को छोड़ वो फू ित से भर गया । मानो आिकमेडीस ने िरलेिटव डिसटी की खोज कर ली हो ।
मेरे िलए जून की बािरश का आगमन मावा के उ साह से ही हो जाता था । बेशक इस घरेलू टोटके का कोई िस ांत नहीं था । पर आज भी म बािरश से पहले मावा के ऐलान का ही इंतज़ार करता हूँ । पर अब हम निनहाल नहीं जाते । शायद इसिलए योंिक अब गम की छुि टयाँ नहीं होतीं ।