Vibes Magazine Issue 4 Vibes Magazine issue 4 | Page 18

यात र ् ा हाँ , ये यात्रा ही तो ह अं त से पहले की एक आिखरी यात्रा जै से अब पतझर आने को ह मे रे सारे अं ग िरस-िरस कर टू ट कर िबखर जायग ज़मीन पर, और कोई अनजान मुसािफर उसे पै रों से घसीटता चला जाये गा या बाज़ होगा, मे रे बदन के िचथड़े से अपना िनवाला माँ ग ता हु आ , चुग ता हु आ , या पता सुख हवा म बह कर िकसी शाख पर िफर टं ग जाऊं और िग ँ तो ऐसे जै से मने एक नही कई मौत महस ूस की हो िफर एक रोज़, गरज कर त ूफान मुझ पर करे गा कु छ ऐसा कहर की सं सार की हर ज़मीन पर मे रे मां स के पुज़ बीज की तरह साँ स लग िब कु ल आज ही िक तरह, मे रा एक पुज़ा अब भी हँ स रहा होगा, कहता हु आ - बं ध ू ! या यात्रा कभी ख म होती है ? इरािश झा