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 मई-2019 7 frjNh ut+j  : िशव कमार राय इ िवप ी पािटय का कहना है िक वे स ा म आयगी, तभी लोकतं की र ा हो पायेगी. वह स ा प का दृढ़ कथन है िक वे स ा म ह इसीिलये लोकत बचा हुआ है, िवप ी पािटया आ नह िक इस देश म लोकतं ख़ म. www.ujeshatimes.com लोकत ं तो स र साल से कोमा म पड़ा था, हम ही स ा म आए तब जाकर यह अपने पैर पर चलने लायक हआ , अब इसे वापस कोमा म नह जाने दनेा ह.ै अब बताओ, सब लोग इतनी-इतनी बात करके मझ ु े बचाने म लगे हये ह, इतना लगे हये ह िक आपस म लड़ने-मरने क नौबत आ गई ह ै और मझ ु े कोई पछ ही नह रहा. जब बात श ु ही हो गई तो पछ ही िलया िक अ छा बताओ, या कहना ह ै त ु हारा? कै से बचोगे तम? लोकत ं ने जैसे ग़म ह का करते हये कहा िक म बचगा म हर हाथ के पास काम होगा, हर िकसी को ंू तब जब इस दश िजदगी ह गी, कोई भखमरी से नह मरे गा, हर िकसी ू सिवधाय जीने क मलभत को पीने का साफ पानी िमलेगा, बीमार होने पर हर िकसी को हॉि पटल क सिवधा होगी, कोई इलाज के अभाव म नह मरे गा, हर िकसी के िलय गणव ापरक िश ा क यव था होगी, लोग धम और जाित के नाम पर लड़ना बद ं कर दग े और ख़द ु को िकसी चीज से भी पहले इसान समझना श ु कर दग े. जैसे इतना ही काफ़ न था. लोकत ने गहरी सास लेकर कहना श ु िकया- और सबसे पहले तो ये चनाव का का कछ टाईम टेबल िफ़ स करो भाई. दश चनाव का चनाव तो िफर भी चलो, दश ह,ै जब भी िकसी रा य िवधानसभा का चनाव भी घोिषत होता ह,ै उसी समय मझ ु े बचाने वाले घरेना श ु कर दतेे ह. म चनै से अपने म खोया रहता ह ं िक सब आ जाते ह िहलाने-डलान िक चलो, भाई हम आ गये, त ु ह बचाने. म सोचना श ु करता ह ँ िक आिख़र चनाव क घोषणा से पहले ये लोकत बचाने वाले कहा ं रहते ह भाई ? चनाव क घोषणा हई नह िक हािज़र लोकत क र ा करने और जैसे ही चनाव ख़ म, लोकत ं क र ा का सक तो चनै िमलेगा. प भी ख़ म. सोचता ह ं िक चलो, अब कछ मगर मरेी िक मत म चनै कहा? ं एक रा य िवधानसभा का चनाव ख़ म नह होता िक दसरी िवधानसभा का आ जाता ह. अब तो उपचनाव, पाषद ी, िजला पचायत के चनाव जान म भी मरेी र ा का सक प इतनी बार दहराया लगा ह ै िक मझ ु े को त होने लगी ह.ै म तो इन लोकत क र ा करने वाल से इतना हलकान हो गया ह ं िक म गहार कर रहा ह ं िक मझ ु े इन लोकत क र ा करन वाल से बचाओ. < न चनाव के मौसम म एक िदन िमल ही तो गया लोकत ं हरैान-परे शान सा. कारण पछना वाभािवक था. आिखर चनाव को तो लोकत ं का उ सव कहा जाता ह.ै िफर लोकत ं को ही इतनी हरैानी कै सी-परे शानी कै सी ? उसे तो खश होना चािहये िक हजार करोड़ पये खच कर के चनाव आयोग और साथ ही साथ भारत के करोड़ लोग उसका उ सव मनाने के िलये बेकरार ह. हर दल लोकत ं क र ा के नाम पर ही चनाव लड़ रहा ह.ै िवप ी पािटय का कहना ह िक वे स ा म आयगी, तभी लोकत ं क र ा हो पायेगी. वह स ा प का ढ़ कथन ह ै िक वे स ा म ह इसीिलये लोकत बचा हआ ह,ै िवप ी पािटया ं आई नह िक इस दश म लोकत ं ख़ म. बस इसी बात पर तो भड़क गया लोकत िक लोकत बचाना ह,ै लोकत बचाना ह ै तो सब िच ला रह े ह मगर कोई हमसे भी पछे ू गा िक या हआ ह ै त ु ह? य ंू बचाना ह,ै कै से बचाना ह,ै कब बचाना ह?ै सबसे पहले तो ये पछ िक लोकत , त ु ह बचाने क ज रत ह ै भी या नह ? भाई, बहन को बला रहा ह ै िक हमसे, अके ले नह बच रहा लोकत ं , आओ, तम ु भी कछ हे प करो तो बच.े म तो इतने िदन से लगा ह,यहा ं तक िक घर-प रवार बसाने तक का टाईम नह िमला मगर लोकत ं क र ा म अभी तक कछ ख़ास सफल नह हो पाया. चाहो तो जीजा को भी बला लो, वो भी अपना कछ बात बन जाये. उधर चाचा कह रह े िक भतीजे, तम ु ान बाट ं तो शायद कछ मझ ु े लोकत ं ठीक से बचाने नह द े रह.े मरेी जगह बआ क मदद ले रह े हो तो जाओ, तम ु अपना लोकत ं बचाओ, हम तो अपना लोकत ं अलग स बचायगे. बआ अलग िच ला रही ह िक मझ ु े िसफ़ भतीजे क मदद ही चािहय और िकसी क नह . हम लोग िमलकर लोकत को बचा ही लगे, बाक लोग मदद क पेशकश ना ही कर तो अ छा, और अगर कर ही दग े तो वो ठकरा दी जायेगी. दीदी का अलग राग ह ै िक यहा ं तो िकसी क ज रत ही नह , हम अके ले ही काफ ह. लोकत तो बचा-बचाया ह,ै बस मतदाता पी डॉ टर के क फमश न क ज रत ह ै जो चनाव प रणाम वाले िदन क फम हो ही जायेगा. इधर लोग िच ला रह े ह िक