Sri Vageesha Priyah eSouvenir | Page 5
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- ज्यौशतषरत्नां सांस्थानधमािशधकाशर महाशवद्वान श्रमान उ। वे। करूरु शेषाचायिीः
वैशदकधमिप्ररोचनम ्
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श्रलक्ष्मरहयवदनरत्नमालास्तोिम ्
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- श्रमान उ। वे आत्मकू रु रङ्गाचायिीः
- परमहम्सेत्याशद श्रमदशिनवरङ्गनाथ ब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्र परकालमहादेशशकाीः
लक्ष्मरकल्याणां नाम समवाकाररूपकम ्
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सवणिपल्लवगशां ु िततोरणमालाबन्धीः मरजबन्धीः सधाांशबन्धीः स्तवचतष्टयां दण्डकपञ्चकां गद्यमेकां च
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श्रमखपशिकाीः
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- श्रमान उ। वे प ैत्तम्
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