Sri Vageesha Priyah eSouvenir navya-smRti-deepaH Part 1 | Page 58

॥ श्रीः॥ ु ॥ श्रलक्ष्मरहयवदन लक्ष्मरनारायण वेणगोपाल परब्रह्मणे नमीः॥ ु ॥ श्र शठकोप रामानज देशशके भ्यो नमीः॥ ु ॥ श्र ब्रह्मतन्त्र स्वतन्त्र परकाल गरुपरम्परायै नमीः॥ ॥श्रमदशिनव रङ्गनाथब्रह्मतन्त्र स्वतन्त्र परकाल महादेशशकाय नमीः॥ श्रलक्ष्मरहयग्ररव-शदव्य-पादुकासेवक- श्रमदशिनवरङ्गनाथ-ब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्र-परकालमहादेशशकाष्टोत्तरशतम ् - डा.ए.एस. ् वेङ्कटनाथन ,् ु श्रकायाकताा, परकालमठार्स्ानम ,् महरशूरपरर श्रमतेऽशिनवायास्म ै रङ्गनाथाय िरमते। ब्रह्मतन्त्रस्वतन्त्राय परकालाय योशगने॥ १॥ ु लक्ष्मरहयास्यपादूि-तलस्यचाा शवहाशरणे। महादेशशक-शवज्ञाय नमोवाकमिरमशह॥२॥ ु सवनरययज्ञाय स्वान्तरचाानिाशवने। कालशवज्ञानपूज्याय पराचाारािनावते॥३॥ ु यथाकालप्रबोिाय हयास्यान्तशवािाशषणे। पञ्चकालस्ववेद्याय यथाकालानराशगणे॥४॥ गूढाथासङ्ग्रहज्ञाय तत्त्विावप्रकाशशने। रय्यन्तामृतसाराय शवशेषाद्वयिानवे॥ ५॥ वैराग्यकालसूयााय महायोगतपशस्वने। आचाराचारचाराय यथोपर्स्ानलक्ष्मणे॥ ६॥ ु पाश्चात्ययामबद्धाय स्वामृतागािगाशहने। सूयोपर्स्ानलक्ष्याय स्वािरज्यापशश्चमाशथाने॥ ७॥ ु ा े ब्रह्मशवद्याप्रबद्धाय हयास्याख्यानमूतय। हयग्ररवप्रिोद्धर्त्त्रे यशतस्वत्वशवहाशरणे॥८॥ शवश्वकमास्विाष्याय िमाव्याख्यानशाशलने। यथाकालप्रमाबोद्ध्रे स्वजाशमत्वप्रकाशशने॥९॥ यशतराडवताराय हाररतान्वयिास्वते। िमााचारप्रमावेर्त्त्र े सप्रदादायाका िाशसने॥ १०॥ ु शङ्खचक्र-स्वबोिाय शरणागशतराशगणे। मौनमिाशवहाराय ब्रह्मयोगवते सते॥११॥ िावशवशक्रयहाराय स्वोशमाराज्यशविोशगने। महाराज्यस्वयोक्त्राय स्वाश्याश्मिाशगने॥१२॥ ममकारशविाताय ममकारप्रबोशिने। परराज्यशवहाराय परशासनिेशदने॥ १३॥ अध्यात्मग्रन्थशनमाार े स्वाध्यात्मग्रशन्थिेशदने। हयास्यारामशसह्माय हयास्यारामराशगणे॥१४॥