के साथि समान रूप सरे निकटता के दर्शन और सामाजिक समरसता के प्रचार-प्रसार को बनाए रखा है । दरेखा जाए तो भारत नरे अब सभी के साथि समान रूप सरे निकटता के दर्शन को अपनाया है, जिसके मूल में सामाजिक समरसता को दरेखा जा सकता है ।
वैशशवक नेतृतव की ओर श्ी मोदी के बढ़ते कदम
प्रधानमंत्ी श्री मोदी अब पूररे विश् के नरेता बन चुके हैं । ककूटनीति के दुनिया में उनकी एक अलग पहचान बन गई है । समानता एवं सामाजिक समरसता के भाव सरे कदम उठानरे वालरे प्रधानमंत्ी मोदी को हाल ही आए एक स्जे में दुनिया के नरेताओं में 75 प्रतिशत मत हासिल हुए हैं, जो यह बतानरे के लिए काफी हैं कि वह अब विश् के सबसरे बड़े लोकप्रिय लोकतांधत्क नरेता हैं । वह जवाहरलाल नरेहरू के बाद सबसरे लंिरे समय तक बनरे रहनरे वालरे प्रधानमंत्ी बन गए हैं । इस स्जे में अमरेरिका के राष्ट्पति डोनालड
ट्ंप आठवें स्थान पर हैं, जिन्हें केवल 44 प्रतिशत मत मिलरे । वह दूसररे दरेशों के संसद को सबसरे जयादा बार संबोधित करनरे वालरे प्रधानमंत्ी भी बन गए हैं । उन्होंनरे विदरेशी संसदों में 17 बार भाषण दरेकर भारत के वैसश्क प्रभाव को िढ़ाया, जो उनकी ककूटनीतिक समझ का प्रमाण है । साथि ही उनके सामाजिक समरसता के भाव को मिलती वैसश्क स्ीकृति के रूप में दरेखा जा सकता है ।
बदलते वैशशवक वयवस््ा के जनक श्ी मोदी
वर्तमान समय में संसार एक विश्ास, मानवतावादी न्याय, विश् शांति एवं पर्यावरण संरक्षण पर आधारित एक संतुलित नई वैसश्क वय्स्था( ्लड्ट आर्डर) की ओर अग्सर है । सामाजिक समरसता के भाव सरे आधथि्णक एवं सामरिक शक्त आधारित ऐसी नई वैसश्क वय्स्था में भारत की भूमिका एवं महत् दोंनों बढ़ता जा रहा है । नई वैसश्क वय्स्था की आवशयकता इसलिए भी है ्योंकि विश् ऐसरे
मोड़ पर पहुंच गया है, जहां प्रत्येक दरेश अपनी सुरक्षा एवं बर्चस् के लिए हधथियारों पर खरबों डलॉलर खर्च कर रहा है । हधथियारों पर हो रहा भारी-भरकम खर्च वासत् में मानवता को सुरक्षित बना रहा है या विनाश की ओर लरे जा रहा है? इस प्रश्न को उठानरे वालरे राजनरेताओं में प्रधानमंत्ी श्री मोदी की अग्री भूमिका रही है । संयु्त राष्ट् सरे लरेकर अन्य वैसश्क संस्थाओं में दियरे अपनरे भाषणों में उन्होंनरे सपष्ट कर दिया है कि वैसश्क मानव समाज की वासतध्क सुरक्षा शिक्षा, स्ासथय, पयाांवरण संरक्षण, सकारातमक दिशा में होनरे वाला विकास और आपसी विश्ास और सामाजिक समरसता के भाव सरे ही संभव हो सकती है ।
मानव समाज के मधय बढ़ती असमानता एवं विभाजन को दरेखतरे हुए कहना अनुचित नहीं होगा कि अब एक ऐसी नईं वैसश्क वय्स्था को जन्म दरेनरे का समय आ गया है, जहां प्रत्येक दरेश की भागीदारी उसकी जनसंखया, संसाधनों और योगदान के आधार पर निर्धारित होनी चाहिए । मानव विकास सरे जुड़ें सभी अधिकारों का वितरण समानुपात में हो और नई वैसश्क वय्स्था में पारर्दशिता, जिम्मेदारी और सबकी सुधनसशचत भागीदारी होनी चाहिए, जिससरे नई वय्स्था का समपूर्ण तंत् स्थाई और विश्सनीय रूप सरे कार्य करनरे में समथि्ण हो सके । मोदी जी की कलपना है कि पृथ्ी के प्रत्येक मनुष्य का वैसश्क समाज के प्रति कर्तवय और अधिकार का बोध कराया जाए । इससरे विश् में मानव समाज की सुरक्षा और प्रगति का नया मार्ग प्रशसत हो सकेगा ।
सामाजिक समरसता के भाव सरे ओतप्रोत प्रधानमंत्ी मोदी के नरेतृत् में आज भारत की विकास यात्ा की सराहना संसार के प्रत्येक दरेशों में हो रही है । ऐसरे में प्रधानमंत्ी श्री मोदी अगर वैसश्क सतर पर सामाजिक समरसता की स्थापना के लिए कोई पहल करतरे हैं, तो उस पहल का स्ागत प्रत्येक दरेश कररेगा और यही वह समय होगा जब प्रधानमंत्ी श्री मोदी भारत के साथि ही वैसश्क जननरेता के अवतार में सामनरे आएगें । �
flracj 2025 19