Sept 2024_DA | Page 3

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यह कै सा दलित कल्ाण ? ns

श की लोकतान्त्रिक व्यवस्ा में सत्ा प्राप्त के लिए किसी भी नागरिक को प्रयास करने का अधिकार है । सत्ा में भागीदारी मिलने पर नेतृतव करने वाले से ्यही अपेक्ा की जाती है कि वह लोकतंरि और संविधान के दा्यिे में रह कर सकारातमक नीति और रणनीति के आधार पर जनकल्याण सुलनन््चित करेंगे । क्या ऐसा हो रहा है ?
इस प्श्न का उत्ि राजधानी दिलली के निकट उत्ि प्देश स्थिति गालज्याबाद में हुई एक घटना के रूप में देखा जा सकता है । हाल ही में गालज्याबाद में दलित सांसद चिंद्रशेखर आजाद एवं और उनके का ्यकर्ताओं ने वालमीलक समाज के लोगों पर हमला करके बुरी तरह घा्यल कर लद्या । आजाद समाज पाटटी एवं भीम आमटी नामक संगठन के संस्ापक एवं संचिालक चिंद्रशेखर आजाद की उपस्थिति में बालमीलक समाज के लोगों पर हुए जानलेवा हमले के बाद ्यह कहना गलत नहीं लगता है कि कथित रूप से दलित वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए गठित आजाद समाज पाटटी एवं भीम आमटी संगठन का दलित कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है , बल्कि ्यह दलितों के नाम पर चिलाई जा रही वह राजनीतिक दुकान है , जिसका लक््य सवलहतों की पूर्ति से ज्यादा और कुछ नहीं है ।
गालज्याबाद में बालमीलक समाज के लोगों पर हुए हमले के पीछे का सत्य भी भीम आमटी पर कई गंभीर प्श्न पैदा करता है । गत माह उच्चतम त््या्याल्य ने आिक्ण में कोटे के समबत्ि में अपना लनण्य सुनाते हुए आिलक्त श्ेणी समूहों ( अनुसूलचित जाति एवं अनुसूलचित जनजाति ) को आिक्ण का लाभ देने के लिए राज्यों को उनके पारसपरिक पिछडेपन के आधार पर विभिन्न समूहों में उप-वगटीकृत करने का लनददेश लद्या था । उच्चतम त््या्याल्य के लनददेश के बाद आिलक्त श्ेणी समूहों में उप-वगटीकरण करके अति पिछड़े एवं हाशिए में रहने वाले दलितों के लिए अलग से कोटा निर्धारित करके आिक्ण लद्या जा सकता है । आिक्ण की नई सटीक व्यवस्ा के लिए उच्चतम त््या्याल्य ने 2004 में दिए गए अपने उस लनण्य को पलट लद्या , जिसमें आिलक्त श्ेणी समूहों में उप-वगटीकरण की व्यवस्ा करने से इंकार लक्या था । उच्चतम त््या्याल्य के लनण्य का देश में विभिन्न हिससों में अति पिछड़े एवं हाशिए में रहने वाले दलितों के साथ ही गालज्याबाद में बालमीलक समाज के लोगों ने सवागत लक्या । ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अब उन्हें भी आिक्ण का लाभ मिलने का रासता खुल ग्या था ।
दलितों के नाम पर राजनीति करने वाले कई राजनीतिक दल अति पिछड़े एवं हाशिए में रहने वाले दलितों को उप-वगटीकरण करके दिए जाने वाले आिक्ण समबत्िी उच्चतम त््या्याल्य के लनण्य के विरोध में उतर आए हैं । इनमें आजाद समाज पाटटी भी शामिल हैं । गालज्याबाद के बालमीलक समाज ने आिक्ण में उप-
वगटीकरण के विरोध में आ्योजित भारत बंद को अपना समर्थन नहीं लद्या था , जिसके कारण आजाद समाज पाटटी एवं भीम आमटी के नेता सांसद चिंद्रशेखर आजाद और उनके का ्यकर्ता बालमीलक समाज से नाराज थे । ्यही नाराजगी बालमीलक समाज पर जानलेवा हमले का उस सम्य कारण बन गई , जब बालमीलक समाज के लोग गालज्याबाद में सफाईकलम्यों से जुडी समस्याओं को लेकर सांसद चिंद्रशेखर आजाद से मिलने पहुंचिे थे । गालज्याबाद के कोतवाली थाना क्ेरि में आ्योजित आजाद समाज पाटटी के भाईचिारा सममेलन में बालमीलक समाज के लोगों की बेरहमी से पिटाई की गई , जिसमें कई लोग घा्यल हो गए । हालांकि पुलिस ने मामला दर्ज कर लल्या है , लेकिन पुलिस की कार्रवाई के नाम पर बस खानापूर्ति में जुटी हुई है ।
लोकतंरि में सामात््य नागरिक की अपेक्ा ्यही रहती है कि कोई भी राजनीतिक दल किसी विशेष जाति ्या वर्ग विशेष का सहारा लेकर अपने हितों की पूर्ति नहीं करेगा क्योंकि संविधान निर्माता डा . भीम राव आंबेडकर ने भारत में जाति प््ा उन्मूलन को सवीकार लक्या था । साथ ही एक सशकत राष्ट्र के निर्माण के लिए जाति उन्मूलन की आवश्यकता पर जोर लद्या था । लेकिन वासतव में ऐसा नहीं हो रहा है और इसका प्त्यक् प्माण गालज्याबाद में हुई घटना के रूप में देखा जा सकता है । देश में जाति को लेकर विभिन राजनीतिक दल अपना-अपना राग सुनाने में लगे हुए हैं और कोई भी जाति उन्मूलन की चिचिा्य नहीं करना चिाहता है ।
भारत को जब सवतंरिता मिली , तो उसके बाद देश में जमींदारी प््ा का जिस तरह उन्मूलन हुआ , उसी तरह उममीद ्यह भी थी कि जाति प््ा के उन्मूलन के लिए भी गंभीरता से काम लक्या जाएगा । इसके विपरीत सवतंरिता के बाद से ही दलित , पिछड़े , वनवासी एवं वंलचित वर्ग को जाति में बांट कर राजनीतिक हितों एवं सवा्थों की पूर्ति का जो खेल आरमभ हुआ , उसका नकारातमक परिणाम अंततः दलित वर्ग को भी भुगतना पड़ा । दलित समाज सिर्फ वोट बैंक बन कर रह ग्या और दलितों के कथित कल्याण का दावा करने वाले राजनीतिक दल एवं संगठन सत्ा हासिल करने और फिर सत्ा की मलाई खाने की होड़ में लग गए ।
दलितों के कल्याण के नाम पर कोई जाति जनगणना की मांग कर रहा है तो कोई तथाकथित दलित-मुस्लिम गठजोड़ बनाकर सत्ा` प्ा्त करने की चिककि में है । वासतव में दलित वर्ग की प्लत लचिंता , उनकी समस्याओं का अध्य्यन-समाधान और कल्याण के मार्ग में दिखाई देने वाली राजनीतिक दुर्भावना से दलित समाज के लोगों में नकारातमकता और निराशा बढ़ती जा रही है । आपसी सह्योग , पारसपरिकता , सामाजिक भागीदारी , शिक्ा के प्रचार-प्सार के स्ान पर दलित ही दलित के लिए समस्या एवं संकट पैदा करेगा , इसकी अपेक्ा सवस् लोकतंरि में किसी भी राजनीतिक दल से नहीं की जा सकती है ।
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