पत्र
बैंकों में भी गड़बड़झाला
आज देश के हालात इस प्रकार हो चुके हैं कि किसी भी इंसान को यह नहीं पता कि उसका पैसा कब तक बैंक में सुरसक्त है ( पीएनबी घोटाला , 12 मार्च )। जिस प्रकार से लगातार घोटाले हो रह़े हैं उनसे भारत को अरबों-खरबों का नुकसान हुआ है । कभी ललित मोदी तो कभी विजय मालरा और अब नीरव मोदी जैसे लोग देश का पैसा कब विदेश लेकर भाग जाएं पता नहीं चलता । हाल ही की बात करें तो नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक से करीब 11 , 000 करोड रुपये लेकर फरार हो गया और देश का खुफिया विभाग कुछ नहीं कर पाया । एक मामला सुलझा नहीं था कि ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में भी 389.85 करोड और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 9.5 करोड का घोटाला हो जाता है । इन सब को देखकर कभी-कभार लगता है कि इसमें कहीं न कहीं देश के उच्च अधिकारियों की मिलीभगत होती है , करोंकि जब 2011 में पंजाब नेशनल बैंक में ही जतिन मेहरा द्ारा 8,000 करोड का घोटाला किया जाता है तब हमको उससे सबक लेना चाहिए था , लेकिन न तो चौकीदार जागा और न ही अधिकारी । अगर देश का कोई गरीब या किसान कर्ज नहीं चुका पाता तो बैंक अधिकारी उसके घर को नीलाम कर देते हैं उसको मुजरिम साबित कर देते हैं यहां तक कि उस वरष्ति को 1-2 लाख तक के कर्ज न चुकाने पर आतमहतरा के लिए मजबूर होना पडता है । लेकिन यह नियम सिर्फ गरीब और किसानों के लिए है , नीरव मोदी , ललित मोदी , विजय मालरा जैसे भगोडों के लिए नहीं । इनके जैसे लोग देश में घोटाला कर विदेश में मौज करते हैं । आम नागरिक कुछ दिन शोर मचाने के बाद चुप हो जाते हैं और अगले घोटाले के खुलासे का इंतजार करते हैं ।
मोहममद अली | दिल्ी
ये कैसी कार्यप्रणाली
बैंकों की कार्यकुशलता देखें ( पीएनबी घोटाला 12 मार्च ) मोदी सरकार के प्रयास से देशवासियों के लिए 28 अगसत 2014 को जनधन खाता योजना का शुभारंभ हुआ था । इस योजना के अंतर्गत केवल पंजाब में ही 61 लाख खाते खुले थे लेकिन इनमें से आठ लाख जनधन खाते निष्क्रिय हैं और उनको बंद करने की तैयारी हो रही है । चूंकि इन खातों में पैसा न होने के कारण बैंकों के आंकड़े बिगड रह़े हैं और इन खातों के रख-रखाव में भी अनेक कठिनाइयां आती हैं । इस प्रकार बैंकों की कार्यप्रणाली पर प्रशन यह उठता है कि देश के विभिन्न बैंकों द्ारा पिछले कई वर्षों में बड़े-बड़े पूंजीपतियों को दिए गए उधार के लगभग आठ लाख करोड रुपये फंसे ( एनपीए ) हुए हैं , के प्रति कोई भी चिंतित नहीं हुआ , करों ? अभी ताजा उदाहरण नीरव मोदी का है जिसने भ्रष्ट राजनेताओं और बैंक अधिकारियों की सांठ-गांठ से 11,400 करोड रुपये की बडी राशि को धीऱे-धीऱे ठगा है । आश्चर्य है कि फिर भी उसके खाते चालू रह़े । करा यही हमाऱे उच्च और योगर बैंक अधिकारियों और उनसे संबंधित अनर अधिकारियों और नेताओं की विशेर्ता है ? करा जनधन योजना के निष्क्रिय खाते भ्रष्ट बैंक अधिकारियों और नेताओं के पर्स नहीं भरते इसलिए इन पर शीघ्रता से कार्रवाई हो रही है ? आज जब भारत एक उभरती शक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो रहा है तो ऐसे में देश के ही कुछ गणमानर कह़े जाने वाले सज्जन या कहें दुर्जन अपने दुराचारी और भ्रष्टाचारी आचरणों से राष्ट्र के सवासभमान को तार-तार करने से नहीं चूकते । अगर इस प्रकार निर्धनों पर अंकुश और धनवानों को लूटने की छूट मिलती रही तो सफेद धन भी काला होता रह़ेगा । फिर करों कहा जाता है कि काला धन आएगा जबकि सफेद धन के ही बाहर जाने का सिलसिला रुक नहीं रहा है ।
विनोद कुमार सिवोदय | उत्तर प्रदेश
कब होगा संघर्ष विराम
12 मार्च 2018 के अंक में जममू-कशमीर में आतंकी हमलों के बाऱे में पढा । जममू-कशमीर में आतंकी हमलों के साथ संघर््य विराम उल्ंघन का सिलसिला तेज करों हो रहा है ? यह अफसोस की बात है कि सुजवां में सैनर ठिकानों पर वैसे ही हमला हुआ जैसे इसके पहले सुरक्ा बलों के अनर ठिकानों पर होते रहते हैं । लशकर फिर जैश के आतंकी सेना की वददी में आते हैं और अंधेऱे में किसी भी सैनर ठिकानों के अंदर घुस जाते हैं । तो कभी वे सैनर ठिकानों की कमजोर सुरक्ा का फायदा उठाते हैं । आखिर ऐसा कब तक होता रह़ेगा ? यह सही है कि मरने मारने पर आमादा आतंकियों को रोकना आसान नहीं लेकिन इसके लिए तो कुछ ठोस उपाय किए ही जा सकते हैं कि आतंकी सैनर ठिकानों को आसानी से निशाना न बना पाएं । यह
ठीक नहीं कि बार-बार एक जैसे तरीके से ही आतंकी सुरक्ा बलों के ठिकानों पर धावा बोलते हैं और उनकी सुरक्ा के लिए कुछ नहीं होता । कई बार मुठभेड में आतंकी मार भी गिराए जाते हैं लेकिन यह बहुत संतुष्ट होने की बात नहीं है करोंकि इसमें सुरक्ा बलों को भी नुकसान होता है । जममू-कशमीर में आतंक का निर्यात कर रह़े पाकिसतान को सबक सिखाना जरूरी है । और वह सबक तब तक नहीं सीखेगा जब तक उसे कोई बडी कीमत न चुकानी पड़े । पाकिसतान छद्म युद्ध जारी रखने में इसलिए सफल रहा है करोंकि उसके लिए जेहादियों को उनमाद से भरकर भारत भेजने में कोई मुश्किल नहीं आती । पाकिसतान के लिए यह खेल बहुत आसान है । भारत को इस खेल को कठिन बनाना ही होगा ।
शैलेन्द्र कुमार चतुिवेदी | उत्तर प्रदेश
किसका राष्ट्रवाद
आउटलुक के 26 फरवरी 2018 में ‘ राष्ट्रवाद गांधी या गोडसे का ’ पढा । देश में सबको अपने ढंग से विचार रखने और धार्मिक व्रत , उपासना की पद्धति के अनुसार बरताव करने की छूट है । तब इसे ‘ अभिवरष्ति की निजता ’ पर हमला कैसे कहा जा सकता है । अलपसंखरकों में शिक्ा और उनके उतथान के लिए ‘ अलपसंखरक आयोग ’ यदि हज पर सष््सडी और तीन तलाक जैसी कुप्रथा को समाप्त करने पर जोर देता है तो इस पर ‘ हिंदुतव ’ का एजेंडा चलाने की बात की जाती है । ‘ भारत माता की जय ’ या ‘ वंदे मातरम ’ को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश होती है तो दुख होता है । आखिर यह कैसी धर्मनिरपेक्ता है जहां धर्म या मजहब को राष्ट्र से ऊपर मान लिया जाए । इस भ्रामक और पूर्वाग्रह से ग्रसत सोच या विचारधारा पर प्रबुद्ध वर्ग को खुलकर अपनी राय रखनी चाहिए ।
गजानन पांडेय | हैदराबाद
पानी की राजनीति
देश भर में प्रतिदिन पानी की कमी होती जा रही है , हर राजर की सरकार पानी के लिए पानी की तरह करोडों रुपये खर्च कर रही है , फिर भी पानी की समसरा का समाधान नहीं हो पा रहा है । सरकार की नीतियों से एक तरफ पानी की वरवसथा के लिए करोडों रुपये खर्च किए जा रह़े हैं दूसरी तरफ गांव से शहर तक पककी सडक एवं पककी नाली के निर्माण में करोडों खर्च हो रह़े हैं । लेकिन सरकार नालियों के बीच में जगह-जगह पर सोखता नहीं बनाती । इससे बरसात का पानी बेकार चला जाता है । सरकार की नीति में सुधार और सुझाव की गुंजाइश होना चाहिए । पूऱे भारत में सडक किनाऱे बने नाले के पास हर दस फुट पर एक सोखते का निर्माण किया जाए ताकि हर घर का पानी घर के आसपास रह़े ।
अर्जुन महतो | झारखंड
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