Outlook Hindi Outlook Hindi, 26 February 2018 | 页面 4

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्पत्र
किसानों के लिए सराहनीय कोशिश
आउटलुक 12 फरवरी 2018 के अंक में आवरण कथा के तहत ‘ इनोवेशन के रासते मुनाफे की खेती ’ पढ़ते हुए ऐसा महसूस हुआ कि किसानों की आ्य बढ़ाने और मुश्कलें घटाने के ना्याब नुसखे के बारे में पमरिका ने सराहनी्य कोशिश की है । लेकिन किसानों की आ्य में इजाफा और मुश्कलें तभी कम हो सकती हैं जब इस बाबत केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें ईमानदारी से किसानों के हितों के बारे में सोचें । किसानों को उनकी फसल का सम्य पर उचित
मूल्य मिले इसके लिए सरकार को ईमानदारी और कठोरता से पहल करनी चाहिए ।
शंकर जालान | कोलकाता
किसानों के लिए बनें योजनाएं
आउटलुक 12 फरवरी का अंक अच्ा लगा । देश में कृषि पर बहुत कुछ हो रहा है । सरकार की जो भी ्योजना बने वह छोटे किसान और मजदूर को ध्यान में रखकर बने तो ज्यादा अच्ा होगा । हम देख रहे हैं कि छोटे किसानों ने खेती करना लगभग छोड़ मद्या है क्योंकि वे इसकी लागत नहीं निकाल पाते । कर्ज देने के नाम पर भी छोटे किसानों की अनदेखी की जाती है । जरूरत है कि इन पर भी ध्यान मद्या जाए ।
केआर निखिल | नई दिल्ी
बेबाक और निष्पक्ष
आउटलुक ने अपनी बेबाक रा्य के साथ , निषपक्षता और सामाजिक सरोकार से जु़ड़े मवि्यों पर जनमत जुटाने में महतवपूर्ण भूमिका निभाई है । 15 जनवरी के अंक में धर्म और कट्टरता जैसे ज्वलंत मवि्य पर प्रसतुत आलेख में शिव विश्वनाथन ने धर्म और विज्ान के समन्वय पर जोर मद्या है वहीं सद्‍‍गुरु जगगी वासुदेव का ्यह नजरर्या हृद्यग्ाही है कि तुमहारा फा्यदा-मेरा घाटा और मेरे घाटे से , अगले को कैसे फा्यदा होगा ? संपादकी्य के अंतिम पैरा में उममीद जता‌ई है कि ‘ हर आमो-खास को अपने का्य्जकलाप से ्यह साबित करना चाहिए कि वह देश को मजबूत राष्ट्र के रूप में खड़ा करने में ्योगदान देगा ।’
गजानन ्पांडेय | हैदराबाद
पुरस्कृत पत्र
नयाय्पालिका का सुप्ीम संकट
लोकतंत्र के तीसरे सतंभ न्यायपयालिकया के प्रति लोगों की आस्था और सम्मान कया अंदयाजया इसी से लगतया है कि जिंदगी और मौत कया फैसलया करने वयाले इन जजों को मीलॉर्ड कहते हैं । स्याज में शया्द ही ऐसया कोई हो जो अंतिम आस इस संस्था से न लगयाए रखतया हो । कहीं भी सुनवयाई न हो रही हो तो मन में एक बयात गहरे पैठी रहती है कि चलो अभी न्यायपयालिकया की देहरी बयाकी है । यह आस्था न्यायपयालिकया ने एक दिन में नहीं क्याई है । बरसों के त्याग , तपस्या और तटस्तया ने उसे इसकया हकदयार बनया्या है । जब भी न्यायमूर्तियों के आचरण पर सवयाल खडे हुए हैं तो जन्यानस आहत हुआ है क्ोंकि उसे तो सिर्फ यह पतया है कि मीलॉर्ड सिर्फ बेदयाग और निषकलंक होते हैं । अगर ऐसया नहीं होगया तो न्याय की मूर्ति खंडित नजर आएगी और खंडित मूर्ति की पूजया नहीं होती ।
अभय कुमार | पटना
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