पत्र
आसमान से गिऱे , खजूर पर अटके
आउटलुक के 30 जुलाई के अंक की आवरण कथिा ‘ डिजिटल यारी ’ बेहद अचछी लगी । ्तकनीक के दौर में डेटिंग ऐप का प्रचलन बढ़ना कोई बड़ी बा्त नहीं है । एक ्तरफ ऑनलाइन नजदीकियां बढ़ रही हैं ्तो दूसरी ओर ऑफलाइन दूरियां भी बढ़ रही हैं । अब हंसना , बोलना कम हो गया है । भरा पूरा परिवार हो्ते हुए भी लोगों के पास अकेलापन है । डेटिंग एेप ऐसे अकेले लोगों के लिए वरदान ्तो हो सक्ते हैं , लेकिन उनही लोगों के लिए ख्तरनाक भी हैं । इस ्तरह के ऑनलाइन पिेटफॉर्म में ्तमाम ्तरह की विसंगल्तयां सामने आ रही है । ्तकनीक से जहां पर्पर संवाद कम हो गया है , वहीं ये डेटिंग एेप या अनय पिेटफॉर्म आसमान से गिरे , खजूर पर अटके जैसे हैं ।
राज कुमार | दिल्ी
बदल गया तरीका
एक जमाने में कहा जा्ता थिा कि जोलड़यां आसमान में बन्ती हैं या जोलड़यां ‘ ऊपर वाला ’ बना्ता है , लेकिन कािक्म में यह लगभग बदल गया है । आउटलुक के 30 जुलाई , 2018 के अंक की आवरण कथिा ‘ डिजिटल यारी ’ पढ़ी । इस कथिा के जरिए प्ता चला कि मौजूदा वक्त में जोलड़यां बनने का ्तरीका पूरी ्तरह बदल गया है । जिस ्तरह से ्तकनीक का चलन बढ़ रहा है उससे लग्ता है कि वह दिन दूर नहीं जब ‘ ऊपर वाले ’ का काम पूरी ्तरह से डिजिटल माध्यम से होने लगेगा ।
शंकर जालान | कोलका्ता
ढाक के तीन पात
आउटलुक के 30 जुलाई के अंक में प्रकालश्त लेख ‘ मासूमों पर कहर बना चुनावी मुद्ा ’ पढ़ा । दुष्कलमवायों
को सजा देने के लिए सख्त कानून भी बनाए गए हैं , फिर भी अपराधियों को कानून का डर नहीं । ने्ता वोट पाने के लिए लोगों को अपराध-मुक्त प्रदेश बनाने का आश्ासन दिला्ते हैं और चुनाव खतम हो्ते ही स्थिल्त ढाक के ्तीन पा्त वाली हो जा्ती है । केवल सख्त कानून बनाने से ही ऐसी घटनाएं खतम नहीं होंगी । ‘ लक्ताबी ज्ान की कोठरी से निकलें ’ सामयिक लगा । आज शिक्ा का माहौल पूरी ्तरह बदल चुका है । यह वयवसाय का रूप ले चुकी है । चाहे स्कूल हो या कॉलेज हर जगह सर्वाधिक अंक प्रालति की होड़ लगी हुई है । बच्ों की बुलघि का आकलन अंक प्रालति के आधार पर किया जा रहा है । भार्त का विकास युवाओं के विकास पर निर्भर है और उनके विकास के लिए भार्त की शिक्ा प्रणाली में बदलाव की आवशयक्ता है ।
सौरभ पाठक | ग्ेटर नोएडा
गागर में सागर जैसी
आउटलुक पलरिका मुझे कई कारणों से पसंद है । इस पलरिका में व्तवामान राजनील्त , आलथिवाक वयव्थिा , भार्त के विभिन्न प्रदेशों की सामयिक जानकारी ्तो रह्ती ही है , साथि ही खेलककूद , फिलमों और व्तवामान साहितय का सटीक लचरिण भी हो्ता है । संक्ेप में यह गागर में सागर जैसी है । 16 जुलाई के अंक की विशिष्ट्ता यह है कि सरकार कैसे बैंकों का बोझ भार्तीय जीवन बीमा निगम पर डालने का प्रयास कर रही है यह इसमें ्पष्ट किया गया है । इसके साथि ही केंद्र सरकार द्ारा संयुक्त सचिव के पद पर सीधी भर्ती और बिहार , हरियाणा , छत्ीसगढ़ के व्तवामान राजनील्तक परिदृशय का साथिवाक विश्ेषण है । कशमीर सम्या को लेकर गृह मंरिी राजना थि का साक्ातकार महतवपूर्ण है । उनसे यह अपेक्ा की जा सक्ती है कि सरकार की कथिनी और करनी में अं्तर न हो ्तभी कशमीर सम्या का समाधान संभव है । ‘ फुटबलवा दिल हमार ’ शीर्षक से प्रकालश्त वयंगय हमें हाकी में भार्त की दुर्दशा का ्मरण दिला्ता है ।
अशोक कुमार तिवारी | बेंगलूरू
भाषणों में ही सिमटा विकास
आउटलुक के 2 जुलाई की आवरण कथिा ‘ नाराज किसान नया विपक् ’ पढ़ी । बेहद सटीक और सतय के करीब लगी । अब लोकसभा चुनावों में एक साल से भी कम का समय बचा है । सारी पार्टियां जोर-शोर से ्तैयारियों में जुटी हैं । सभी ने्ताओं द्ारा रैलियां की जा रही हैं और भाषण दिए जा रहे हैं । आगामी चुनाव के मद्ेनजर मुस्िम महिलाओं की ्तकलीफें , उनके हक सभी को दिखने लगे हैं और सभी उनके साथि खड़े दिखने की कोशिश कर रहे हैं । कुल मिला कर बड़ी-बड़ी बा्तें करके मासूम जन्ता के वोटों को बटोरने की कोशिश की जा रही है । विकास , किसान , महिला सुरक्ा की बा्तें बस भाषणों में सिमट कर रह
गई हैं । दिल्ी सरकार की एक योजना के ्तह्त अब गरीब लोग भी निजी अस्पतालों में अपना इलाज फ्ी करवा सकेंगे । यह अचछा कदम है , लेकिन ्तीन लाख सालाना आमदनी की श्तवा के बजाय सभी गरीबों को यह सुविधा देनी चाहिए ।
संध्ा कुमारी | दिल्ी
रोचक और पठनीय अंक
आउटलुक के 7 मई के अंक में ‘ हमारा खाना लक्तना सुरक्षित ’ में विषयों का चयन और इससे संबंधि्त सारगलभवा्त लेख ने इस अंक को रोचक और पठनीय बना दिया है । इसमें मुखय रूप से ्तीन विषयों को प्राथिलमक्ता दी गई है । ‘ मिलावट रोकने का लाचार ्तंरि ’ खाद्य पदार्थों में मिलावट से संबंिध्ा्त है , जो सरकार की लविि्ता को दशावा्ता है । ‘ यह कौन- सा दयार है ’ के अं्तगवा्त यौन शोषण और बलातकार पर आधारर्त मार्मिक दास्तान है । कठुआ , उननाव , सूर्त और एटा की वारदा्तों पर हरवीर सिंह जी की समीक्ा ऐसे जघनय अपराधों पर समाज और सरकार की लविि्ता पर उमदा कटाक् है । इसके अलावा दूसरा विष्ाय ‘ अब शोषण बर्दाश्त नहीं ’ दलि्तों के शोषण और आक्ोश पर है । दलि्त ने्ता उलद्त राज एक ऐसे गठबंधन से जुड़े हुए हैं , जहां उनकी बा्त कोई नहीं सुन रहा है ।
खालिद सिद्ीकी | हमीरपुर
पिछड़ेपन का परिचायक
हाल में एक अं्तरराष्टीय संस्था ने महिला उतपीड़न पर रिपोर्ट जारी किया है । इसमें 193 देशों को शामिल किया गया है । चौंकाने वाली बा्त यह है कि रिपोर्ट में भार्त को शीर्ष पर रखा गया । यानी भार्त महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश है । इस रिपोर्ट के आने के बाद भी इस दिशा में सरकार के द्ारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है । जरूर्त इस बा्त की है कि सरकार महिला सुरक्ा के लिए सख्त कानून लाए और समाज में जागरूक्ता लाने के लिए कदम उठाए । दरअसल , समाज में नारियों पर हो रहे अतयाचार का कारण कहीं न कहीं हमारा समाज और ्वयं महिलाएं भी हैं । आजादी के इ्तने बरसों बाद भी महिलाओं का अपने ्वालभमान के लिए आवाज न उठाना हमारे समाज के पिछड़ेपन को दशावा्ता है ।
पूजा कुमारी | दिलिी
भेदभावपूर्ण रवैया
शरिय्त कोर्ट आज की जरूर्त हैं । नयायालयों में जिस ्तेजी से मुकदमों की ्तादाद बढ़ रही है उसे देख्ते हुए यह कदम फायदे का सौदा है । हाल में 10 सरकारी और 10 निजी शैक्लणक संस्थानों को चुनने के लिए एक कमेटी बनाई गई थिी । इसने आइआइटी बॉमबे , आइआइटी दिल्ी , आइआइएससी बैंगलोर , बिटस पिलानी , मणिपाल यूनिवर्सिटी , जियो यूनिवर्सिटी जैसे
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