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मनुसमृति 2:103
जो मनुष्य नितय प्रात: और सांय ईश्वर आराधना नहीं करता उसको शूद्र समझना चाहिए । मनुसमृति 2:172 जब तक वयशकत ्वदेिों की शिक्ाओं में दीतक्त
नहीं होता ्वह शूद्र के ही समान है । मनुसमृति 4:245 ब्राह्ण- ्वणमासथ वयशकत श्रदेष््ठ-अति श्रदेष्ट वयशकतयों का संग करतदे हुए और नीच-नीचतर वयशकतयों का संग छोड्र अधिक श्रदेष््ठ बनता जाता है । इसके त्वपरीत आचरण सदे पतित होकर ्वह शूद्र बन जाता है ।( अतः सपष्ट है कि ब्राह्ण उतिम कर्म करनदे ्वालदे त्वद्ान वयशकत को कहतदे हैं और शूद्र का अर्थ अतशतक्त कर्म करनदे ्वाला वयशकत है । इसका किसी भी तरह जनम सदे कोई समबनध नहीं है) मनुसमृति 2:168 जो ब्राह्ण, क्तत्य या ्वै्य ्वदेिों का अधययन और पालन छोड्र अनय त्वरयों में ही परिश्रम करता है, ्वह शूद्र बन जाता है ।( अतः मनुसमृति के अनुसार आज भारत में ्वदे
सारदे लोग जो भ्रष्टाचार, जातत्वाद, स्वार्थ साधना, अन्धविश्वास, त्व्वदे्हीनता, लिंग-भदेि, चापलूसी, अनैतिकता इतयाति में लिपत हैं, ्वदे सभी शूद्र हैं) मनुसमृति 2:126 भलदे ही कोई ब्राह्ण हो, लदेत्न अगर ्वह अतभ्वादन का शिष्टता सदे उतिर िदेना नहीं जानता तो ्वह शूद्र( अतशतक्त वयशकत) है । मनुसमृति 2:238 अपनदे सदे नयून वयशकत सदे भी त्वद्या को ग्रहण करना चाहिए और नीच कुल में जनमी उतिम सत्ी को भी पत्ी के रूप में स्वीकार कर लदेना चाहिए । मनुसमृति 2:241 आवश्यकता पडनदे पर अ-ब्राह्ण सदे भी त्वद्या प्रापत की जा सकती है और शिष्यों को पढ़ानदे के दायित्व का पालन ्वह गुरु जब तक तनिवेश दिया गया हो तब तक करदे ।
दरअसल ्वामपंथी हिंदू, हिंदू धर्म और हिनिुसतान की सुरक्ा के लिए सबसदे बडा खतरा हैं । कयोंकि ्वामपंथी हिनिुसतान और हिंदुओं के उस प्रत्येक चीज सदे नफरत करतदे है जो हमें
त्वरासत में मिला है । इसलिए ्वदे हमारी गौर्वशाली सभयता, संस्कृति, धर्म, परमपरा, ज्ान, त्वज्ान सदे नफरत करतदे हैं और इसके त्वरुद्ध घृणा फैलातदे हैं । इसके अला्वा एक प्रमाणित तथय यह भी है कि ्वामपंथी बदेहद डरपोक होतदे हैं इसलिए यदे मुशसलम परसत होतदे हैं और आपनदे कभी नहीं सुना होगा की यदे इसलातम् आतं््वाद, हिंसा, दंगा, बलात्ार के त्वरुद्ध बोलदे होंगदे । बोलना तो दूर यदे तो भारत में उनके संरक्् और ढाल बनकर खड़े हैं और कतई माननदे को तैयार नहीं है कि इनका इसलाम सदे कोई लदेना िदेना है । दूसरी ओर लाखों ्वर्ष पुरानी सनातन सभयता में आयदे चंद सामाजिक बुराई को ्वामपंथी सीधदे हिंदू धर्म की बुराई घोषित कर हिंदू धर्म को ही बदनाम करतदे हैं । अगर इन धूतगों की मक्ारीपूर्ण तर्क को मान भी लें की हिंदू धर्म में चंद बुराई है तो भी कया यह उस धर्म सदे लाख गुना बदेहतर नहीं है जो आतं््वाद, हिंसा, दंगा, बलात्ार, लूट को धार्मिक जामा पहनाता हो? परनतु इनके त्वरुद्ध इन कथित सदेकयुलर ्वामपंथियों के मुंह सदे एक शबि नहीं निकलता है । �
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