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देश को खंडित करने वाली राजनीति
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विभाजित भारत के विभाजन पर सहमति जताकर ' नया भारत ' और पाकिसतान का गठन करने में अपनी भूमिका निभाने वाली भारतीय राष्ट्ीय कांग्ेस एक बार पुनः देश को खंडित करने के प्रयास में जुटी हुई है । सत्ा प्रापत करने के लिए कांग्ेस और उसके अनेकानेक नेता , आज पुनः उसी दिशा की ओर चल पड़े हैं , जो भारत के टुकड़े- टुकड़े करने की ओर अग्सर है । सत्ा प्रापपत हेतु सब कुछ करने के लिए तैयार कांग्ेस को भारत विरोधी बाह्य एवं आंतरिक शक्तयों का सहयोग तो मिल ही रहा है , साथ ही मुपसलम-ईसाई नेटवर्क भी कांग्ेस के लिए पूरी तरह से सवरिय है । इनहीं शक्तयों के मोहरे के रूप में कांग्ेस और कांग्ेस के नेता राहुल गांधी दिन-रात दलित , पिछड़े , वनवासी वर्ग को भ्रमित करने के लिए संविधान और लोकतंत्र को समापत करने का मायाजाल रचते हुए पूरे देश में भटक रहे हैं । कांग्ेस पूरे प्रयास में जुटी है कि किसी भी प्रकार से दलित , पिछड़े , वनवासी वर्ग को गुमराह करके मोदी सरकार को सत्ा से हटा कर प्रधानमंत्री की कुससी प्रापत कर लिया जाए ।
दलित , पिछड़े एवं वनवासी वर्ग को भ्रमित करके भाजपा के विरुद्ध भड़काने के साथ ही एकता के नाम पर दलित-मुपसलम गठजोड़ को भी हवा दी जा रही है । दलित , पिछड़े एवं वनवासी वर्ग को यह समझाया गया कि मुपसलम वर्ग के साथ राजनीतिक रूप से जुड़ने पर उनकी सभी समसयाओं का समाधान एक पल में हो जाएगा । भ्रम की राजनीति के साथ दलित-मुपसलम गठजोड़ से सत्ा प्रापत करके इस खेल में वहीं सब तति सममवलत रहे , जो जवाहर लाल नेहरू विशिविद्ालय में भारत विरोधी नारे लगाने के अलावा कथित रूप से दलित छात्र रोहित वेमुलला की आतमहतया , दलित उतपीड़न कानून को फिसी से रूप से समापत करने , नागरिकता संशोधन कानून-2019 , कथित किसान आंदोलन सहित कई मुद्ों को लेकर कहित रूप से दलित-मुपसलम या दलित-ईसाई गठजोड़ की पैरवी करते आ रहे हैं ।
वासति में दलित समाज को इस गठजोड़ में घसीटने का प्रयास सपष्ट रूपेण भारत विरोधी आंतरिक शक्तयों का कुप्रयास है । ग्ामीण क्ेत्रों से लेकर नगरीय इलाकों में दलित हिनदुओं की
बहू-बेटियां और उनका मान-सममान सुरवक्त नहीं है । उनके सिावभमान तथा धर्माभिमान को भंग करने के कुपतसत प्रयास आज भी जारी हैं और ऐसी अधिकांश घटनाओं में मुपसलम अपराधियों का शामिल होना , यह दर्शाता है कि हिनदू समाज को तोड़ने के लिए हर सतर पर और हर तरह से प्रयास किया जा रहा है । दलित , पिछड़े और वनवासी वर्ग के बीच धमाांतरण का खेल जारी है और इस खेल में मुपसलम तंत्र के साथ ही ईसाई मतांतरण गिरोह भी पूरी तरह सवरिय है ।
देश एवं समाज में अवयिसथा उतपन्न करने के लिए भारत विरोधी शक्तयां दलितों का उपयोग करना चाहती हैं । यही कारण है कि सदैव पूरे हिनदू समाज को अपमानित करने वाले कांग्ेस नेताओं के जाल में पैसों के लालची तथाकथित दलित नेता भी फंस चुके हैं । इन दलित नेताओं को अपने सिाथथों एवं हितों की चिंता है , जिसके चलते ऐसे नेता पूरे दलित समाज को गुमराह करने का काम कर रहे हैं । दलित , पिछड़े एवं वनवासी वर्ग को गुमराह करके उनके तयाग और बलिदान को कलंकित करके उनहें अपने ही समाज से दूर करने की जारी कोशिश भविष्य की जटिल पसथवतयों का सपष्ट संकेत दे रही हैं । दलित , पिछड़े एवं वनवासी वर्ग को आरक्ण एवं संविधान के नाम पर भ्रमित करने का परिणाम लोकसभा चुनाव में सभी देख चुके हैं । ऐसे में कांग्ेस की देशविरोधी राजनीति पर गंभीरता से विचार करना ही होगा ।
वासति में देखा जाए तो विकसित राष्ट् बनने की दिशा में अग्सर भारत में राष्ट्ीय सतर पर सामाजिक एकता बनाने की आवशयकता है । पिछले दस वर्षों के दौरान भारत में तीव्र गति से जारी विकास प्रवरिया एवं हिनदू समाज को संगठित होते देख कर भारत विरोधी शक्तयां बौखलाहट में असहिष्णु हो चुकी हैं । उनके मोहरे के रूप में कांग्ेस सहित कई अनय राजनीतिक दल अपने सिाथथों को पूरा करने के लिए एकजुट होकर काम कर रही हैं । ऐसे में सिाथसी , राष्ट् एवं हिनदू समाज विरोधी एवं लालची ततिों से सावधान होने की प्रबल आवशयकता है , जिससे देश एवं समाज को खंडित करने वाले ततिों को उचित और कठोर प्रति उत्र दिया जा सकेगा ।
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