Nov 2024_DA | Page 33

चुका है कि वह जािमीय जनगणना के विरुद्ध नहीं हैं I प्रधानमंत्री मोिमी भमी सपष्ट कर चुके हैं कि जािमीय जनगणना का मुद्ा सिर्फ हिंदुओं को विभाजित करने के लिए उठाया जाता है , जबकि हिंदुओं कमी तरह भाििमीय मुसलमान भमी कई जातियों में बं्टे हुए हैं । असम के मुखय्ंत्री हिमंत बिसि सरमा कमी सरकार पहले हमी मुसलमानों कमी जािमीय जनगणना करा चुकमी है ।
देश में प्रतयेक दस वर्ष में जनगणना कराने वाले महापंजमीयक और जनगणना आयु्ि भमी जािमीय जनगणना होने कमी कसथवि में आवशयक तैयारियों में जु्ट गया है । भारत में पहिमी जनगणना के सभमी आंकड़े वडवज्टि रूप में
एकरि किए जाएंगे । इसके लिए तैयार पो्ट्टल में जािमीय जनगणना के आंकड़ों के लिए भमी प्रविधान किए जा रहे हैं । 2011 में जनगणना के साथ-साथ सामाजिक , आर्थिक और जािमीय जनगणना के आंकड़े जु्टाए गए थे । जिसमें 1931 में हुई जािमीय जनगणना में 4,147 जातियों के मुकाबले 2011 में 86.80 लाख से अधिक जातियां दर्ज कमी गई । जातियों में इस अप्रतयावशि बढ़ोत्िमी और अनय अनियमितताओं के कारण पमूि्ख प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार और बाद में मोिमी सरकार ने इसके आंकड़ों को नहीं जािमी करने का निर्णय लिया था I
नई जनगणना के बाद देश में राष्ट्रीय जनसंखया रजिस्टर ( एनपमीआर ) को भमी अपडे्ट किया जाना है I जनगणना और एनपमीआर को अपडे्ट करने का कार्य अगले वर्ष में आरंभ होने कमी संभावना है और जनगणना के अंतिम आंकड़े 2026 में जािमी किए जाएंगे । जनगणना के आंकड़े सरकार के लिए नमीवि बनाने और उन पर अमल करने के साथ-साथ देश के संसाधनों का समान वितरण सुवनकशचि करने के लिए बेहद अहम होते हैं । इससे न सिर्फ जनसंखया बकलक जनसांकखयकमी , आर्थिक कसथवि कई अहम पहलुओं का पता चलता है । अबकमी बार जनगणना के आंकड़े लोकसभा समी्टों के परिसमी्न और संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फमीसिमी आिक्ण लागमू करने संबंधमी प्रावधानों के कारण बेहद अहम हैं ।
महा पंजमीयक ( िवजसट्राि जनरल ) और जनगणना आयु्ि के कार्यालय ने जनगणना के दौरान पमूछे जाने वाले 31 प्रश्न तैयार किए हैं । इनमें ' ्या परिवार का मुखिया अनुसमूवचि जाति या अनुसमूवचि जनजाति से संबंधित है और परिवार में कितने लोग रहते है ' जैसे प्रश्न शामिल हैं । विपक्षी कांग्ेस और राष्ट्रीय जनता दल ( राजद ) जैसमी राजनमीविक दल लगातार जाति जनगणना कमी मांग कििमी आ रहमी हैं , ताकि देश में अनय पिछड़ा वर्ग ( ओबमीसमी ) कमी कुल संखया का पता चल सके । जाति गणना
को विपक् ने भले हमी बड़ा मुद्ा बना दिया है , लेकिन सरकार के कई सहयोगमी दल भमी जाति जनगणना कराए जाने के पक् में हैं I सहयोगमी दलों का सरकार पर ऐसा करने का कोई बड़ा दबाव नहीं है । राष्ट्रीय सियंसेवक संघ ने आंकड़े प्रकाशित न करने कमी शर्त पर अपनमी सहमति िमी है । केंद्र सरकार कमी सबसे बड़ी सहयोगमी तेलुगु देशम पार्टी ने विपक् कमी जाति गणना के जवाब में कौशल गणना का नया विचार सामने रखा है , जो रोजगार के अवसर प्रदान करने पर केंद्रित है ।
केंद्र सरकार जनगणना को बहुआया्मी , भविषयोन्मुखी और सर्व समावेशमी बनाना चाहिमी है I अगर जाति गणना पर सहमति बनमी तो इसका दायरा बहुसंखयक हिंदुओं तक हमी समीव्ि नहीं रहेगा । इसमें मुकसि् सहित सभमी ध्गों और मतों को शामिल किया जाएगा , जिससे सभमी ध्गों में मौजमूिकमी जातियों कमी गिनिमी होगमी । अभमी यह निर्णय नहीं हुआ है कि ्या केंद्र सरकार जनगणना के आंकड़े जािमी होने के बाद 2026 में होने वाले परिसमी्न के काम को आगे बढ़ाएगमी ? संविधान के अनुचछेि-82 के अनुसार लोकसभा में प्रतयेक राजय के प्रतिनिधियों कमी संखया निर्धारित करने के लिए कोई भमी पुनर्गठन वर्ष 2026 के बाद पहिमी जनगणना और उसके निमीजों के प्रकाशन पर निर्भर करेगा । यानि जनगणना अगर 2025 में कराई जािमी है और निमीजे 2026 में प्रकाशित होते हैं तो इसके आधार पर परिसमी्न नहीं किया जा सकता । इसका अर्थ यह भमी है कि इस जनगणना के आधार पर परिसमी्न कराने के लिए अनुचछेि-82 में संशोधन करना होगा । वर्तमान में लोकसभा में राजयों का प्रतिनिधिति 1971 कमी जनगणना पर आधारित है । जनगणना प्रक्रिया पमूिमी होने और इसकमी रिपो ्ट प्रकाशित होने के ततकाि बाद केंद्र सरकार लोकसभा समी्टों कमी परिसमी्न प्रक्रिया शुरू करने कमी तैयािमी में है । सरकार परिसमी्न का काम 2028 तक पमूिमी कर लेना चाहिमी है ्योंकि इसके बाद हमी अगले लोकसभा चुनाव में समी्टों कमी संखया 33 फमीसिमी बढ़ाकर महिला आिक्ण का लाभ दिया जा सकेगा । �
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