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जन्म जयंती

आंध्र प्रदेश में दलित आंदोलन के जनक भाग्य रेड्ी िममा vka

ध्र प्रदेश में दलित आंदोलन के जनक भाग्य रेड्ी वर्मा( मदारी भगै्या) की 137वीं जन्म ज्यंती आगामी 22 मई 2025 को धदूमधाम के साथ मनाई जाएगी । आंध्र प्रदेश में आदि हिंददू आंदोलन के संस्ापक भाग्य रेड्ी एक ऐसे समाज सुधारक थे, जिन्होंने हैदराबाद राज्य में असपृ््यता के साथ ही जोगिनी एवं देवदासी प्रथा के उत्मदूलन के लिए काम मक्या ।
उनका जन्म 22 मई 1888 में ततकालीन हैदराबाद रर्यासत में निवास करने वाले माला जाति के परिवार में हुआ था । माला जाति मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में निवास करने वाली वह जाति है, जिसे अनुसदूमचित जाति( एससी) के रूप में वगमीककृत मक्या ग्या है । उनके पिता का नाम मदारी वेंकै्या था और वह परंपरागत रूप से चिमड़े का काम करते थे । बचिपन से ही उन्हें सामाजिक असमानताओं का ज्ान होने लगा था । इसी कारण वह सुधारवादी आंदोलनों से प्रभावित हुए । शिक्ा पदूरी करने के बाद वह सामाजिक रूप से समक्य हो गए । डा. भीम राव आंबेडकर और ज्योतिराव फुले से प्रभावित भाग्य रेड्ी ने दलितों में जागरूकता पैदा करने के लिए आदि महत्ददू नामक संगठन की स्ापना की । 1910 में उन्होंने दलित परिवार के बच्ों की शिक्ा के लिए काम शुरू मक्या और जलद ही दो हजार से अधिक छारिों को मशमक्त करने के लिए पच्ीस केंद्ों की स्ापना करने में सफल रहे ।
1906 में उन्होंने लोकगीतों के माध्यम से दलितों को मशमक्त करने के लिए जगन ममरि मंडली की शुरुआत कर दी थी । इस मंडली ने दलित समाज के मध्य सामाजिक चिेतना पैदा करने का काम मक्या । 1911 में उन्होंने मात््या संघम की स्ापना की, जिसने साहित्य और व्याख्यानों के माध्यम से दलितों को जागरूक करने का काम मक्या । 1912 में हैदराबाद क्ेरि में आदि-हिंददू आंदोलन आरमभ करने वाले भाग्य रेड्ी ने 1924 में आदि-हिंददू सोशल सर्विस लीग की स्ापना करके हैदराबाद( आधुनिक तेलंगाना क्ेरि) में दलित समाज के कल्याण हेतु का्यता मक्या । दलितों के अधिकार एवं पहचिान को मुखर करने और जाति-आधारित भेदभाव को समापत करने के लिए उन्होंने आदि-हिंददू आंदोलन भी आरमभ मक्या, जिसने पदूरे समाज में सकारातमक प्रभाव डाला ।
अपने जीवनकाल में भाग्य रेड्ी ने बाल विवाह, काला जाददू, महिला शिक्ा, शराबबंदी सहित कई सामाजिक मुद्ों को लेकर अमभ्यान चिला्या । ्यही कारण रहा कि कर्नाटक, तमिलनाडु, महारा्ट्र और आंध्र प्रदेश के लोग भी उनके अमभ्यानों से जुड़े और सामाजिक कांमत का अनुसरण
मक्या । ्यह उनके ही प्र्यासों का परिणाम रहा कि 1931 में निजाम सरकार ने उनकी मांगों को सवीकार करके आम चिुनावों में दलितों को आदि हिंददू के रूप में पंजीककृत मक्या । बाद में निजाम ने उनके सामाजिक कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें सममामनत मक्या । साथ ही अपनी सरकार का मुख्य सलाहकार बना मद्या ।
दलितों के मध्य होने वाले आपसी विवादों के समाधान के लिए दलित पंचिा्यत त््या्याल्यों की स्ापना करने वाले भाग्य रेड्ी ने दिसंबर ' 1930 में लखनऊ में आ्योजित अनुसदूमचित जामत्यों के अखिल भारती्य सममेलन की अध्यक्ता भी की थी । सममेलन में बाबासाहब डा. भीमराव आंबेडकर भी उपस्थित थे । वासतव में देखा जाए तो समाज सुधारक भाग्य रेड्ी के कार्यों और मवचिारों को इतिहास में समुमचित स्ान नहीं मिला । ्यही कारण है कि देश में रहने वाले दलित समाज की अधिकांश वर्तमान पीढ़ी उनके बारे में नहीं जानती है । इसके बावजदूद ततकालीन सम्य में भाग्य रेड्ी ने दलित समाज के लिए जो का्यता किए, उन्हें कभी भी विसमृत नहीं मक्या जा सकता है । � ebZ 2025 5