May 2025_DA | Page 39

मक्या है, जिससे देश भर में गरीबी का अंतर कम हुआ है ।
भारत के लिए मव्व बैंक की रिपोर्ट में बता्या ग्या है कि अत्यधिक गरीबी में तीव्र कमी व्यापक आधार पर हुई है, जिसमें ग्ामीण और शहरी दोनों क्ेरि शामिल हैं । ग्ामीण क्ेरिों में अत्यधिक गरीबी 2011-12 में 18.4 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.8 प्रतिशत हो गई । जबकि इसी अवधि में शहरी क्ेरिों में अत्यधिक गरीबी 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत हो गई । ग्ामीण और शहरी गरीबी के बीचि का अंतर 7.7 प्रतिशत अंक से घटकर 1.7 प्रतिशत अंक रह ग्या है तथा 2011-12 और 2022-23 के बीचि वार्षिक गिरावट दर 16 प्रतिशत होगी ।
मव्व बैंक के अनुसार भारत को निम्न- मध्यम आ्य सतर पर गरीबी को कम करने से महतवपदूणता लाभ प्रापत हुआ है, जिसे प्रतिदिन 3.65 अमेरिकी डलॉलर मापा ग्या है । ग्ामीण और शहरी दोनों क्ेरिों में इस व्यापक-आधारित वृद्धि से लाखों लोगों को लाभ हुआ है । भारत
में 3.65 डलॉलर प्रतिदिन की गरीबी दर 2011- 12 में 61.8 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 28.1 प्रतिशत हो गई, जिससे 37.8 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए । इसी प्रकार ग्ामीण गरीबी 69 प्रतिशत से घटकर 32.5 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी गरीबी 43.5 प्रतिशत से घटकर 17.2 प्रतिशत हो गई ।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में ग्ामीण-शहरी गरीबी का अंतर 25 से घटकर 15 प्रतिशत अंक रह ग्या, जिसमें 2011-12 और 2022-23 के बीचि 7 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट आई । रिपोर्ट में कहा ग्या है कि पदूरे भारत में अत्यधिक गरीबी को कम करने में महतवपदूणता प्रगति हुई है, जिसमें प्रमुख राज्यों ने गरीबी में कमी लाने और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने में महतवपदूणता भदूमिका निभाई है । पांचि सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य अर्थात उत्र प्रदेश, महारा्ट्र, बिहार, पन््चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में 2011-12 में भारत के 65 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते थे । 2022-23 तक इन राज्यों ने अत्यधिक गरीबी में समग् गिरावट में दो-तिहाई ्योगदान मद्या ।
मव्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने गैर-मौमद्क गरीबी को कम करने में महतवपदूणता प्रगति की है और भविष्य में गरीबी के अनुमानों में अद्तन वैन््वक मानकों के आधार पर बदलाव होने की उममीद है ।
बहुआ्यामी गरीबी सदूचिकांक( एमपीआई) द्ारा मापी गई गैर-मौमद्क गरीबी, जो शिक्ा, सवासथ्य और जीवन न्स्मत्यों जैसे कारकों पर मवचिार करती है, 2005-06 में 53.8 प्रतिशत से घटकर 2019-21 तक 16.4 प्रतिशत हो गई । मव्व बैंक का बहुआ्यामी गरीबी माप 2022-23 में 15.5 प्रतिशत रहा, जो जीवन न्स्मत्यों में चिल रहे सुधारों को दर्शाता है । संशोधित अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखाओं( बुमन्यादी जरूरतों को पदूरा करने के लिए आवश्यक त््यदूनतम आ्य) और 2021 क्य शक्ति समानता( पीपीपी)( जो देशों के बीचि जीवन लागत में अंतर के लिए समा्योजित होती है) को अपनाने के साथ, 2022-23 के लिए नई
गरीबी दरें अत्यधिक गरीबी के लिए 5.3 प्रतिशत और निम्न-मध्यम आ्य वाली गरीबी के लिए 23.9 प्रतिशत होने की उममीद है । भारत का उपभोग आधारित गिनी सदूचिकांक 2011-12 में 28.8 से सुधरकर 2022-23 में 25.5 हो ग्या, जो आ्य असमानता में कमी का संकेत है ।
मव्व बैंक की रिपोर्ट में बता्या ग्या है कि भारत में रोजगार वृद्धि में सकारातमक रुझान देखे गए हैं, विशेषकर 2021-22 के बाद से, ग्ामीण और शहरी दोनों क्ेरिों में उललेखनी्य सुधार हुआ है । 2021-22 से रोजगार वृद्धि ने कामकाजी आ्यु वर्ग की आबादी को पीछे छोड़ मद्या है, खासकर महिलाओं के बीचि रोजगार दरों में वृद्धि हुई है । शहरी बेरोजगारी मवत् वर्ष 24-25 की पहली तिमाही में 6.6 प्रतिशत तक गिर गई, जो 2017-18 के बाद सबसे कम है । हाल के आंकड़ों से पता चिलता है कि 2018-19 के बाद पहली बार ग्ामीण क्ेरिों से शहरी क्ेरिों में पुरुष श्रमिकों का स्ानांतरण हुआ है, जबकि ककृमर में ग्ामीण महिला रोजगार में वृद्धि हुई है । इसके साथ ही सवरोजगार में वृद्धि हुई है, विशेषकर ग्ामीण श्रमिकों और महिलाओं के बीचि, जिसने आर्थिक भागीदारी में ्योगदान मद्या है ।
इस प्रकार देखें तो भारत ने पिछले दशक में गरीबी कम करने में उललेखनी्य प्रगति की है । मव्व बैंक की स्प्रिंग इन उपलन्बध्यों पर प्रकाश डालती है । ्यह समावेशी विकास के लिए देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है । उच्तम और निम्न-मध्यम आ्य वाली गरीबी में तेज गिरावट, साथ ही ग्ामीण-शहरी गरीबी के अंतर में कमी, भारत सरकार के प्रभावी प्र्यासों को दर्शाती है । इसके अतिरिकत, रोजगार में वृद्धि, विशेष रूप से महिलाओं के बीचि और बहुआ्यामी गरीबी में कमी जीवन सतर में व्यापक सुधार की ओर इशारा करती है । जैसे-जैसे भारत अपनी ्यारिा जारी रख रहा है, ्यह उपलन्बध्यां गरीबी और असमानता से निपटने में निरंतर प्रगति के लिए एक ठोस आधार के रूप में काम करेंगी । �
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