रूप से अपनाना चाहिए । डा . आंबेडकर के सपनों के लोकतंरि को सही मायने में साकार करने के लिए यह संतुलन आव्यक है । केंद्रीय मंरिी ने डा . आंबेडकर के इस हव्वास को दोहराते हुए अपनी बात समापत की कि सामाजिक और आर्थिक लोकतंरि के बिना राजनीतिक लोकतंरि अधदूरा है और इन आ्शषों को रदूरा करने के लिए सरकार की प्हतबद्ता दोहरायी ।
समारोह में सामाजिक नयाय एवं अधिकारिता सचिव अमित यादव ने अपने संबोधन में कहा कि यह आयोजन ्भारत के कानदूनी और सामाजिक विकास में मुंबई हव्वहवद्ालय की महत्वपूर्ण ्भदूहरका की याद दिलाता है । डा .
की कि वह मादक पदा्षों के सेवन से निपटने में अग्णी ्भदूहरका हन्भाएं और न केवल खुद की बल्क अपने समुदायों की ्भी रक्ा करें ।
मुंबई हव्वहवद्ालय से डा . आंबेडकर के गहरे जुड़ाव , जहां उनिोंने अपनी शिक्ा रदूरी की पर विचार करते हुए डा . कुमार ने कहा कि इसी संस्ान में एक छारि से लेकर हमारे संविधान के निर्माता बनने तक की डा . आंबेडकर की यारिा ्भारत के लिए उनके दृढ संक्र और ्दूरदर्शिता का प्राण है । उनके कार्य ने केवल
कानदूनी ढांचा ही प््ान नहीं किया , बल्क सामाजिक और आर्थिक लोकतंरि की ्भी परिक्रना की जो आज ्भी सरकार की नीतियों की मार्गदर्शक शक्त है ।
डा . कुमार ने कहा कि संविधान केवल मौलिक अधिकारों की ही गारंटी नहीं देता , बल्क कर्तवयों पर ्भी जोर देता है । उनिोंने कहा कि हमें यह सवीकार करना चाहिए कि जब हम अपने अधिकारों पर धयान केंद्रित करते हैं , तो हमें समाज के प्हत अपने कर्तवयों को ्भी समान
आंबेडकर इस हव्वहवद्ालय से निकले सबसे बेहतरीन नेताओं में से थे , जिनिोंने न केवल यहां डिग्ी हासिल की , बल्क अधयारन ्भी किया और अपने पीछे बदलाव की विरासत छोड़ गए ।
इस समारोह में महाराषट्र सरकार के उच्च शिक्ा मंरिी चंद्रकांत पाटिल , मुंबई हव्वहवद्ालय के कुलपति प्ो . रवींद्र कुलकणजी , सामाजिक नयाय एवं अधिकारिता हव्भाग के निदेशक अनिल कुमार पाटिल के साथ ही मुंबई हव्वहवद्ालय के छारि और हशक्क शामिल हुए । �
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